मोबाइल चार्ज होने के साथ ही बैंक खाता हो जाएगा खाली! जानिए क्या है 'जूस जैकिंग'

जूस जैकिंग स्कैम मोबाइल और लैपटॉप जैसे डिवाइस में से अहम डेटा को चुराने का तरीका है। इस तरह के स्कैम को अंजाम देने के लिए पब्लिक चार्जिंग स्टेशन पर मैलवेयर वाला सॉफ़्टवेयर या हार्डवेयर इंस्टॉल किया जा रहा है।
 

Saral Kisan : साइबर फ्रॉड से जुड़े कई तरीके आपने सुने होंगे। लेकिन कुछ तरीके ऐसे हैं जिनके बारे में आपने सपने में भी नहीं सोचा होगा। ये अपराधी फ्रॉड के ऐसे हथकंडे अपना रहे हैं जो लोगों की सोच से परे हैं। स्कैमर्स इन दिनों जूस जैकिंग स्कैम (जूस जैकिंग धोखाधड़ी) के जरिए ठगी का जाल बिछा रहे हैं। दरअसल, फाइनेंस फ़ील्ड में फाइनेंस से जुड़े फ्रॉड पर आरबीआई की एक नोटबुक के मुताबिक, जूस जैकिंग का इस्तेमाल कर लोगों को ठगा जा रहा है।

फाइनेंशियल सेक्टर में वित्तीय धोखाधड़ी को लेकर आरबीआई की एक बुकलेट के अनुसार, जूस जैकिंग स्कैम एक तरह का घोटाला है। इसके जरिए साइबर अपराधी आपके मोबाइल से महत्वपूर्ण डेटा चुरा लेते हैं, जिससे आपको वित्तीय नुकसान हो सकता है।

क्या है ज्यूस जैकिंग स्कैम?

जूस जैकिंग स्कैम मोबाइल और लैपटॉप जैसे डिवाइस में से अहम डेटा को चुराने का तरीका है। इस तरह के स्कैम को अंजाम देने के लिए पब्लिक चार्जिंग स्टेशन पर मैलवेयर वाला सॉफ़्टवेयर या हार्डवेयर इंस्टॉल किया जा रहा है। साइबर क्रिमिनल सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशनों, जैसे यूएसबी पोर्ट या चार्जिंग कियोस्क, के जरिए लोगों को अपना शिकार बनाते हैं।

याद रखें कि मोबाइल के चार्जिंग पोर्ट का उपयोग फाइल/डेटा ट्रांसफर करने के लिए भी किया जा सकता है। साइबर बदमाश सार्वजनिक चार्जिंग पोर्ट का उपयोग वहां से जुड़े फोन में मैलवेयर ट्रांसफर करने के लिए करते हैं और किसी व्यक्ति के मोबाइल फोन से डेटा संवेदनशील डेटा जैसे ईमेल, एसएमएस, सहेजे गए पासवर्ड इत्यादि पर नियंत्रण, पहुंच हासिल कर लेते हैं या उनकी चोरी करते हैं।

जूस जैकिंग स्कैम संभावित रूप से वित्तीय नुकसान का कारण बन सकता है। इसके जरिए कनेक्टेड डिवाइसों से संवेदनशील जानकारी, जैसे पासवर्ड, क्रेडिट कार्ड नंबर, या बैंकिंग क्रेडेंशियल्स चुराना होता है, हमलावर इस चोरी की गई जानकारी का उपयोग आपके वित्तीय खातों तक अनधिकृत पहुंच प्राप्त करने के लिए कर सकते हैं।

आम आदमी कैसे बनता है शिकार

शिकार के लिए जाल बिछाना: ये साइबर क्रिमिनल सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन पर सॉफ़्टवेयर या मैलवेयर इंस्टॉल करते हैं। इसके लिए अक्सर वे हवाई अड्डों, रेलवे स्टेशनों, होटलों या अन्य भीड़-भाड़ वाले इलाकों में लगे चार्जिंग स्टेशनों को निशाना बनाते हैं।

फ्री चार्जिंग का लालच: ये अपराधी चार्जिंग स्टेशन को “फ्री चार्जिंग” स्टेशन बताकर या उपयोगकर्ताओं को इसका उपयोग करने के लिए लुभाने के लिए इसे आधिकारिक चार्जिंग पॉइंट जैसा बना देते हैं।


डेटा चोरी या मैलवेयर इंस्टॉलेशन: जब कोई यूजर अपने डिवाइस (जैसे स्मार्टफोन, लैपटॉप या टैबलेट) को यूएसबी केबल के माध्यम से इन चार्जिंग स्टेशन से जोड़ता है, तो सॉफ़्टवेयर या मैलवेयर के जरिए अपराधियों की डिवाइस तक पहुंच हो जाती है। इसके बाद ये लोग कनेक्टेड डिवाइस से संवेदनशील डेटा जैसे पासवर्ड, फोटो, संपर्क या अन्य व्यक्तिगत जानकारी चुरा सकते हैं। कुछ मामलों में, उपयोगकर्ता के डिवाइस पर मैलवेयर इंस्टॉल किया जा सकता है, जिससे हमलावर चार्जिंग स्टेशन से डिस्कनेक्ट होने के बाद भी डिवाइस को हर जगह से एक्सेस कर सकते हैं।

ज्यूस जैकिंग से कैसे बचें?

सार्वजनिक, अज्ञात चार्जिंग पोर्ट और केबल का उपयोग करने से बचें। जब भी संभव हो, अपने डिवाइस को चार्ज करने के लिए अपने स्वयं के चार्जर और इलेक्ट्रिकल आउटलेट या पोर्टेबल पावर बैंक का उपयोग करें।

एक्स्ट्रा प्रोटेक्शन के तौर पर डिवाइस की सिक्योरिटी सेटिंग, जैसे पासकोड, फ़िंगरप्रिंट, या चेहरे की पहचान को इनेबल करें।


सार्वजनिक वाई-फाई नेटवर्क का उपयोग करते समय सावधान रहें, क्योंकि वे सुरक्षा जोखिम भी पैदा कर सकते हैं। असुरक्षित नेटवर्क पर संवेदनशील जानकारी तक पहुँचने या वित्तीय लेनदेन करने से बचें।

इसके अलावा, सुनिश्चित करें कि आपका डिवाइस लेटेस्ट ऑपरेटिंग सिस्टम पर चला रहा है, साथ ही उसमे अप-टू-डेट एंटीवायरस सॉफ़्टवेयर है।

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