Noida में भूमि अधिग्रहण के मामले में सुप्रीम कोर्ट हुआ सख्त, 10-15 सालों के मामलों की जाएगी जांच

Noida News -  हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गठित जांच कमेटी की रिपोर्ट को नोएडा प्राधिकरण द्वारा जमीन अधिग्रहण के बदले मुआवजा वितरण में कथित फर्जीवाड़े की जांच पर असंतोष व्यक्त किया है। कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा कि समिति ने नियमों के अनुसार अन्य बड़े अधिग्रहण मामलों में मुआवजे का भुगतान किया था या नहीं।

 

Saral Kisan News : सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा नोएडा प्राधिकरण द्वारा जमीन अधिग्रहण के बदले मुआवजा वितरण में कथित फर्जीवाड़े की जांच की रिपोर्ट से असंतोष व्यक्त किया। शीर्ष अदालत ने कहा कि प्रस्तुत रिपोर्ट से स्पष्ट होता है कि समिति ने 14 सितंबर, 2023 के आदेश के दायरे को समझने की कोशिश नहीं की। कोर्ट ने कहा कि समिति ने नियमों के अनुसार अन्य बड़े अधिग्रहण मामलों में मुआवजे का भुगतान किया था या नहीं।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने इसे गंभीरता से लेते हुए कमेटी को नोएडा में पिछले दस से पंद्रह वर्षों में हुए सभी बड़े भूमि अधिग्रहणों में मुआवजे का भुगतान नियमों के अनुसार किया गया था या नहीं, इसकी जांच करने का आदेश दिया। साथ ही, कमेटी को चार सप्ताह में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने का भी आदेश दिया गया था। 17 जनवरी को मामले की अगली सुनवाई होगी।

जांच का अंतिम अवसर दिया गया-

उत्तर प्रदेश सरकार के अतिरिक्त महाधिवक्ता अर्धेन्दुमौली कुमार प्रसाद ने कमेटी से सभी मामलों की जांच करने के लिए अंतिम अवसर देने की अपील की। इस आग्रह को कोर्ट ने स्वीकार किया। शीर्ष अदालत ने कहा कि न्याय के हित में हम कमेटी को मामले की जांच का अंतिम अवसर दे रहे हैं। साथ ही, उत्तर प्रदेश सरकार और नोएडा प्राधिकरण को उन अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की पूरी जानकारी दी गई, जो पहले अवैध मुआवजा भुगतान कर रहे थे।

एकमात्र मामले पर केंद्रित रिपोर्ट—

शीर्ष अदालत ने कहा कि रिपोर्ट से स्पष्ट होता है कि कमेटी ने 14 सितंबर, 2023 के आदेश के पैराग्राफ 3 में की स्पष्ट टिप्पणियों के बावजूद, कथित तौर पर उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेशों के दायरे से बाहर अतिरिक्त मुआवजा देने के एकमात्र मामले पर केंद्रित है।

विशेष अनुमति की याचिका पर सुनवाई चल रही है—

विशेष अनुमति याचिका सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। इसमें दावा किया गया है कि जमीन मालिकों को अवैध रूप से करोड़ों का मुआवजा दिया गया है। यह भी प्राथमिकी दर्ज की गई, लेकिन नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों के खिलाफ कोई जांच नहीं की गई।

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