गायों की खास किसमों ने बदली महिला की किस्मत, दूध-घी से कमा रही लाखों

रतनगढ़ तहसील के गांव कागड़ की छोटू देवी, चूरू की 32 वर्षीय महिला, आज प्रदेश के पशुपालकों के लिए एक मिशाल है।

 

Rajasthan News : जैसा कि कहते हैं, अगर कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो परिस्थितियां और हालात मायने नहीं रखते. इसी बात को उदाहरण देकर दिखाया है। रतनगढ़ तहसील के गांव कागड़ में रहने वाली 32 वर्षीय चूरू की छोटू देवी, जिन्होंने अकेले 65 साहिवाल नस्ल की गायों को गोद लिया है, आज प्रदेश के पशुपालकों के लिए एक मिशाल है. पशुपालन में अपने इसी नवाचार के कारण आज छोटू देवी राज्य स्तर पर सीएम से सम्मानित हो चुकी है।

छोटू देवी, कागड़ की निवासी, अपने हाथों से 65 गायों को चारा और पानी खिलाती है। इसके लिए छोटू माता सुबह चार बजे उठती है। जो दोपहर दो बजे जाते हैं और फिर तीन बजे इन गायों की देखभाल करते हैं। जो रात के 10 बजते हैं। छोटू देवी बताती है कि उन्होंने और उनके पति बाबूलाल ढाका, जो रेलवे सुरक्षा बल (RPF) में तैनात हैं, पंजाब के नूरमहल में स्थित कामधेनु गौशाला से प्रेरणा ली।

10 साल पहले, उन्होंने शुद्ध साहिवाल नस्ल की 15 गायें और 1 साहिवाल नस्ल का सांड खरीदा. आज उनके पास 65 शाईवाल नस्ल की गायें और 5 साहिवाल नस्ल के सांड हैं। छोटू देवी की पशुपालन की कहानी उतनी ही रोचक है जितनी दूध वितरण की कहानी है।छोटू देवी कहती है कि उनके ग्राहक चुनींदा हैं, जिन्हें वह शुद्ध दूध देती है।

सालाना लाखों रुपये कमाती है

छोटू देवी बताती है कि वे दोनों समय लगभग दो क्विंटल दूध कांच की बोतलों में देते हैं और बछड़ी और बछड़ो के लिए दो थन दूध छोड़ते हैं। छोटू देवी बताती है कि उनका मुख्य लक्ष्य दादा, परदादा के समय शुद्ध साहिवाल नस्ल की गाय थी, जो आज लुप्त हो रही है, उनको नस्ल सुधार के माध्यम से वापस लाना था.

शुद्ध रिकार्डेड सांड।छोटू देवी ने बताया कि आज वह हाथों से बिलोया हुआ 60 किलो शुद्ध घी बेच देती है। छोटू देवी का कहना है कि आज वह पशुपालन कर लाखों रुपए प्रति वर्ष कमा रही है। तहसील में हर घर में देशी गायों का पालन-पोषण करना उनका मुख्य लक्ष्य है।

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