Semiconductor Chip plant : आलू के चिप बनाने वाला भारत अब खुद बनाएगा सेमीकंडक्टर चिप

सेमीकंडक्टर का हब बनने  के लिए भारत से बड़ी तैयारी कर ली है, इसके लिए भारत न केवल विदेशी कंपनियों का आमंत्रित कर रहा है, बल्कि अपने देशी खिलाड़ियों को भी मजबूत करने के लिए काम कर रहा है। भारत 17000 करोड़ रुपये के निवेश से बड़ी तैयारी में जुट गया है।

 

Semiconductor Hub : सेमीकंडक्टर को लेकर अभी भारत की निर्भरता चीन और ताइवान जैसे देशों पर हैं। भारतीय कंपनियां चीन और ताइवान से चिप मंगवाती हैं, लेकिन जल्द ही ये निर्भरता खत्म हो सकती है। सरकार भारत सेमीकंडरक्टर के मोर्चे पर देश को मजबूत बनाने की तैयारी में जुट गई है। फिर चाहे विदेशी कंपनियों को भारत लाने की बात हो या फिर भारतीय चिप मेकिंग कंपनियों को मजबूत करने की।

जिस तरह से सरकार सेमीकंडक्टर चिप मेकिंग पर अपना फोकस बढ़ा रही है, उसके भारत जल्द ही न केवल अपनी जरूरत को पूरा कर सकेगा, बल्कि ग्लोबल मार्केट का बड़ा खिलाड़ी बन सकता है। भारत जिस तरह से सेमीकॉन वॉर की तैयारी कर रहा है, उसने चीन की चिंता बढ़ा दी है।

​चिप वॉर की तैयारी में भारत​

सेमीकडंक्टर के लिए विदेशी कंपनियां फॉक्सकॉन, माइक्रॉन भारत का रूख कर रही है। वहीं भारत ने अब विदेशी कंपनियों के अलावा अपनी देशी खिलाड़ियों को भी चिप वॉर में उतराने का फैसला कर लिया है। चंडीगढ़ के पास मोहाली में सेमी कंडक्टर लेबोटरी (SCL) को रिवाइवल करने की तैयारी की जा रही है।

आपको बचा दें कि एससीएल एक रिसर्च इंस्टीट्यूट और चिप मेकर कंपनी है, जिसे रिवाइवल की तैयारी की जा रही है । जहां एक ओर विदेशी कंपनियां भारत आकर यहां प्लांट लगाने की तैयारी कर रही हैं तो वहीं देशी कंपनियों को भी चिप वॉर के लिए मैदान में उतारने की तैयारी में जुट गई हैं। आपको बता दें कि एससीएल भारत की एकमात्र सरकारी सेमीकंडक्टर मेकिंग यूनिट है, जो फिलहाल रणनीतिक उद्देश्यों के लिए चिप तैयार करती है।

​विदेशी कंपनियों के साथ देशी कंपनियों की तैयारी​

भारत सेमीकॉन मार्केट में तेज रफ्तार के साथ बढ़ रहा है। अब तक वो चिप के लिए चीन, ताइवान जैसे देशों पर पूरी तरह से निर्भर है, लेकिन जल्द ही वो इस निर्भरता को खत्म कर ग्लोबल मार्केट में अपनी मौजूदगी दर्ज कराने की ओर बढ़ना चाहता है। इस चिप वॉर में विदेशी कंपनियों के साथ-साथ देशी कंपनियों को भी मैदान में उतारने के की तैयार की जा रही है। एक ओर फॉक्सकॉन, माइक्रॉन जैसी बड़ी कंपनियां भारत में प्लांट लगाने की तैयारी कर रही है तो वहीं दूसरी ओर भारत की देशी कंपनी को मजबूती देने की तैयारी की जा रही है।

​2 बिलियन डॉलर का खर्च​

मोहाली स्थित 40 साल पुरानी सेमीकंडक्टर रिसर्च इंस्टीट्यूट और चिप मेकर कंपनी एससीएल पर सरकार 2 अरब डॉलर खर्च करने जा रही है। आपको बता दें कि इस लेबोटरी में सेमीकंडक्टर माइक्रो चिप्स तैयार किए जाते हैं, जिसका इस्तेमाल भारत के स्पेस मिशन में होता है। अब इस लेबोरटी को बड़ा और विकसित बनाने की दिशा में काम हो रहा है। भारत ग्लोबल कंपनियों के बीच अपने इस पुरानी कंपनी को शामिल कर सेमीकंडक्टर में खुद को मजबूत करना चाहता है। इसके रिवाइवल के लिए, इसे आधुनिक बनाने के लिए टेक्नोलॉजिकल और ऑपरेशनल एक्सपीरियंस वाली कंपनियों की बोली आमंत्रित की जा रही है।

​पुरानी कंपनी को मजबूत करने की कोशिश​

एससीएल का गठन साल 1976 में किया गया था। साल 1984 इसके मैन्युफैक्चरिंग की शुरू हुई थी। आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत की इस कंपनी में चिप उस दौर से बनाया जाता था, जब ताइवान, जो कि आज सेमीकंडक्टर का किंग कहलाता है, वो इस सेमीकंडक्टर चिप के बारे में जानता तक नहीं था। अगर ये कंपनी एक दुर्घटना की शिकार नहीं होती तो आज भारत चिप मेकिंग का किंग होता। दरअसल साल 1989 में मोहाली के इस प्लांट में रहस्यमयी तरीके से आग लग गई। उस आग ने न केवल इस प्लांट को जलाकर खास कर दिया बल्कि भारत के चिप मेकिंग के सपने को भी जला दिया। अब भारत सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में फिर से खुद को मजबूत करने के लिए काम कर रहा है।

चीन की धौंस को कम करेगा भारत​

भारत चिप पर चीन की निर्भता को कम करना चाहता है। इसके लिए वो न केवल विदेशी सेमीकंडक्टर कंपनियों को आमंत्रित कर रहा है, बल्कि अपने देशी खिलाड़ी को भी मजबूत कर रहा है। अमेरिकी चिप मेकिंग कंपनी माइक्रोन भारत में अपना प्लांट लगाने जा रही है। माइक्रोन टेक्नोलॉजी लगभग 22,500 करोड़ रुपये की लागत से भारत में अपना सेमीकंडक्टर प्लांट लगाने जा रहा है। वहीं ताइवान की कंपनी फॉक्सकॉन भी भारत में अपना विस्तार कर रही है। भारत की बड़ी कंपनियों ने भी चिप मेकिंग की दिशा में काम करना शुरू कर दिया है। रिलायंस, टाटा , वेदांता जैसी कंपनियों ने इस दिशा में अपने कदम बढ़ा दिए है। ये कंपनियां विदेशी कंपनियों के साथ डील कर रही है। भारत के चिप मेकिंग हब बनने को इससे बल मिलेगा।

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