Rasbhari Farming: रसभरी की खेती करवा देगी बल्ले बल्ले, कम लागत में किसान कमा रहे लाखों
रसभरी को 20 से 25 डिग्री सेल्सियस का तापमान अच्छा लगता है, लेकिन 15 डिग्री सेल्सियस तक भी खेती की जा सकती है। इसकी पौध में एक बार फल आना शुरू होने पर तीन महीने तक पर्याप्त फल देता है। दो बीघा जमीन पर खेती करने पर भी ये आपको एक वर्ष में 2 से 3 लाख रुपये का मुनाफा दे सकते हैं।
रसभरी खेती में ध्यान देने योग्य बातें
रसभरी की खेती करना चाहते हैं तो कुछ बातों को ध्यान में रखें। ताकि कम लागत, अधिक मुनाफा और कम नुकसान हो
रसभरी की खेती किसी भी मिट्टी में हो सकती है। लेकिन बलुई दोमट मिट्टी इसके लिए सर्वश्रेष्ठ है।
रसभरी की खेती करने के लिए खेत से पानी की पर्याप्त निकासी की आवश्यकता होती है। खेत में अधिक पानी होने पर पौधे की जड़ें गल सकती हैं।
रसभरी की पौध को 20 से 25 सेंटीमीटर जमीन से ऊपर क्यारियों में लगाया जाता है। इससे पौधों को अधिक समय तक पानी में रहने से भी बचाया जा सकता है।
हर साल जुलाई महीने में रसभरी की पौध लगाई जाती है. जनवरी में ये फल देना शुरू करते हैं और 3 महीने तक निरंतर फल देते हैं।
रसभरी की खेती में खरपतवार एक समस्या है। इसकी पौध में अधिक खरपतवार होने के कारण तीन से चार बार गुड़ाई करनी पड़ती है। वहीं इसके खेत में तीन से चार बार पानी डालना चाहिए।
रसभरी की खेती भी सामान्य गोबर की खाद से होती है। कंपोस्ट खाद का भी उपयोग किया जा सकता है। नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश जैसे उर्वरक फसल को बेहतर बना सकते हैं।
एक हेक्टेयर में रसभरी की खेती करने के लिए 200 से 250 ग्राम बीज पर्याप्त होते हैं। दिल्ली और मुंबई में इसके कई वैरायटी के बीज उपलब्ध हैं। आज इनके बीज ऑनलाइन भी खरीद सकते हैं।
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