उत्तर प्रदेश में राकेश टैकत का बड़ा ऐलान, इस दिन से पूरे राज्य में धरना प्रदर्शन
Saral Kisan : अपनी मांगों को लेकर ही एक बार फिर किसान सरकार के खिलाफ हुंकार भरने की तैयारी कर रहे हैं. इसी कड़ी में भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने एक बार फिर किसानों के अलग-अलग मुद्दों पर यूपी में आंदोलन की चेतावनी दी है. इस मामले में बीकेयू नेता ने शनिवार को एक प्रेस नोट जारी करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में चल रही सरकार के द्वारा विधानसभा चुनाव 2022 में किसानों से अनेकों वायदे किए थे, लेकिन लगभग 2 वर्ष पूर्ण होने को हैं अभी तक अपने घोषणा पत्र में किए गए वायदों को भी सरकार पूर्ण नहीं कर पाई है.
राकेश टिकैत ने प्रदेश सरकार के द्वारा की गयी वायदाखिलाफी को लेकर भारतीय किसान यूनियन उत्तर प्रदेश के समस्त जनपदों में आने वाली 5 जनवरी 2024 को गन्ना मूल्य वृद्धि, गन्ना भुगतान, मुफ्त बिजली, आवारा पशु, भूमि अधिग्रहण, फसलों के भाव सहित सभी मांगों को लेकर जिलाधिकारी के माध्यम से धरना-प्रदर्शन करके मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपेगी. इससे पहले राकेश टिकैत ने कहा कि केंद्र सरकार ने वादा किया था कि किसानों को मुफ्त बिजली देंगे, लेकिन एक साल के लिए फ्री बिजली किसानों को नहीं दिया गया. यह एक बड़ा मुद्दा है. आज किसानों के ट्यूबवेल पर बिजली मीटर लगाए जा रहे हैं. वहीं गन्ना का रेट अबतक नहीं बढ़ाया गया. उन्होंने आगे कहा कि अब गन्ना का रेट नहीं बढ़ेगा तो कब बढ़ेगा. आज गन्ना किसानों का चीनी मिलों पर 5 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का बकाया है. उसका ब्याज अगल से बकाया चल रहा है.
किसानों को कर्जदार बनाकर बड़े घरानों को जमीन देना चाहती है सरकार
टिकैत ने कहा कि किसान सम्मान निधि में 6 हजार रुपये सरकार दे रही है. वह 6 हजार रुपये है न कि अमेरिकन डॉलर. टिकैत ने कहा, भारतीय जनता पार्टी का 30 साल का प्लान है कि 2047 या 2050 तक किसान की फसल न बिके. बिजली का बिल मंहगा हो जिससे किसान कर्जदार हो जाए और ज़मीदार बड़े घराने के लोगों को जमीन बेच दें. 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर कहा कि देश में लोकतंत्र तो अब बचा नही.जो चुनाव लड़ने वाली पार्टी है व डर गई है और डर के सरकार में शामिल हो जायेगी. तो देश का बुरा हाल होगा. यहां अब तो कहने को लोकतंत्र है जो अब नही रहा.
सरकारी मनमानी को रोकने के लिए आंदोलन की जरूरत
इनको रोकने के लिए बड़े आंदोलन की जरूरत है, बिना आंदोलन यह सरकार मनमानी करने से नहीं मानेगी. यह देश इस समय विदेशी संस्कृति से चल रहा है. देश को वर्तमान राजनीतिक सिस्टम नहीं बचा सकता है. इसके लिए आंदोलन की ही जरूरत है. उन्होंने सिपाहियों की हाल ही में घोषित की गई भर्तियों में अभ्यर्थियों की उम्र एक साल घटा देने पर युवाओं के साथ अन्याय बताया है.
किसानों की फसल कम रेट में बिक रही है- टिकैत
उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में भारतीय किसान यूनियन टिकैट गुट के वरिष्ठ नेता स्व- वीरेंद्र पटेल के तेरहवीं संस्कर में शामिल होने आए राष्ट्रीय अध्यक्ष राकेश टिकैत ने किसान सम्मान निधि का पैसा केंद्र सरकार के द्वारा वापस लेने के सवाल पर कहा कि किसानों की फसल कम एमएसपी रेट पर बिक रही है. तो क्या है सम्मान निधि एक किसान को साल में 6 हजार रुपए दे रहे है. वह अब छोटे किसानों को दिया जायेगा और बड़े किसानों को अपात्र बताकर सब किसानों को नही ले रहे हैं. तो इसका मतलब है कि 6 हजार रुपए अमेरिका डॉलर है. जिसका मतलब अपने पैसे का प्रचार कर रहे है और किसानों की फसल कम रेट में बिक रही है उसका कोई जिक्र नही है. क्योंकि भाजपा सरकार के पास प्रचार तंत्र है.
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