Property :फ़र्ज़ी वसीयत करवा सकती है उम्रकैद, जान लें असली वसीयत बनाने का प्रोसेस

Property dispute :प्रॉपर्टी को अपने नाम करवाने के लिए और उसका मालिकाना हक़ लेने के लिए वसीयत का होना बहुत जरूरी है पर कई लोग झूठी या फ़र्ज़ी वसीयत बनवा कर झोल कर देते हैं और इन्ही लोगों को लेकर कोर्ट ने सख्ती दिखाई है
 

Saral Kisan : मृत बुजुर्ग महिला के अंगूठे के निशान से वसीयतनामा तैयार कर मकान और दुकान हड़पने का एक वीडियो वायरल हो रहा है। कमला देवी की मृत्यु के बाद उनके जेठ के दोनों बेटों ने अंगूठे के निशान लगवाकर वसीयत अपने नाम करवा ली थी।

मामला आगरा का है। वीडियो वायरल होने के बाद इस मामले की चर्चा देशभर में हो रही है।

वसीयत कैसे करते हैं, क्या इसे बदला जा सकता है, आगरा की बुजुर्ग महिला के साथ जो हुआ, उस तरह की धोखाधड़ी करने की क्या सजा है, यह सब जानेंगे सुप्रीम कोर्ट और मध्य प्रदेश के एडवोकेट सचिन नायक से

वसीयत लिखने का प्रोसेस क्या है?

ऊपर लिखी बातों से आपको वसीयत बनाने की बेसिक जानकारी हो गई। अब कुछ और जरूरी बातें जान लें, जैसे-

अब आगे की प्रोसेस के लिए आपको वकील की मदद लेनी पड़ेगी।
एक ए-4 साइज के पेपर पर वसीयत को हाथ से लिखें। आप इसे टाइप भी कर सकते हैं।
जो व्यक्ति वसीयत बना रहा है उसके और दोनों ही गवाहों के सिग्नेचर होंगे।
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वकील के सामने ही गवाहों को सिग्नेनर करना होगा।

भविष्य में जरूरत पड़ने पर इन गवाहों को अदालत में गवाही के लिए बुलाया जा सकता है।
वसीयत कब लागू होती है?

व्यक्ति की मृत्यु से पहले की गई वसीयत ही उसकी फाइनल वसीयत मानी जाती है। वसीयत उसकी मृत्यु के बाद लागू मानी जाती है।

क्या वसीयत का पंजीकरण यानी रजिस्ट्रेशन जरूरी है?

भारतीय पंजीकरण अधिनियम की धारा 18 (ई), 1908 के मुताबिक, वसीयत का रजिस्ट्रेशन जरूरी नहीं है। कानूनन यह सलाह जरूर दी जाती है कि वसीयत से जुड़े सभी संदेहों को दूर करने के लिए रजिस्टर करा लेना चाहिए।

इसके साथ ही अगर वसीयत खो जाती है या किसी तरह से खराब हो जाती है तो सब-रजिस्ट्रार के ऑफिस से वसीयत की वैरिफाइड कॉपी हासिल करना आसान होता है।

फर्जी वसीयत बनवाने पर सजा का क्या प्रावधान है?

ऐसे मामलों में 10 साल तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान है। जुर्माने की रकम अलग-अलग कोर्ट से अलग-अलग केस के आधार पर तय की जाती है।

पूर्वजों की प्रॉपर्टी पर क्या वसीयत बनाई जा सकती है?

अगर पूर्वज की संपत्ति है तो उसकी वसीयत नहीं लिखी जा सकती है क्योंकि कानूनन नियम ये है कि जो भी प्रॉपर्टी आपने खुद बनाई है यानी वो आपकी स्वअर्जित संपत्ति है, तो उस पर ही वसीयत बनाई जा सकती है।

साथ ही वसीयत के माध्यम से आप जिसे भी अपनी जायदाद देना चाहते हैं, उसके नाम कर सकते हैं।

वसीयत न होने की कंडीशन में क्या होता है?

अगर किसी के पास अच्छी-खासी प्रॉपर्टी है और वो अपने जीवनकाल में वसीयत नहीं बना पाता है, तो उसके गुजर जाने के बाद संपत्ति को कानूनी वारिसों के बीच बराबर-बराबर बांट दिया जाता है।

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