Property Knowledge : पत्नी के नाम प्रॉपर्टी खरीदना है फायदे का सौदा, मिलेंगे की सारे बैनिफिट

ये खबर आपके लिए है अगर आप भी संपत्ति खरीदने की योजना बना रहे हैं। आपको बता दें कि पत्नी के नाम पर संपत्ति खरीदने पर आपको अधिक लाभ मिल सकता है। वास्तव में, पत्नी के नाम पर संपत्ति खरीदने में कई लाभ हैं। आप इन लाभों का लाभ उठाना चाहते हैं तो आपको अपनी पत्नी के नाम पर संपत्ति खरीदने पर विचार करना चाहिए। 

 

Saral Kisan News : सरकार महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए कई उपाय कर रही है। इसलिए वित्तीय लाभ और संपत्ति टैक्स से छुटकारा पाया गया है। लेकिन सरकार की इन उपयोगी योजनाओं के इतने विस्तार के बावजूद, अधिकांश महिलाओं को इनके बारे में पता नहीं है। तो आज हम आपको बताते हैं कि सरकार ने महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए कौन सी सुविधाएं दी हैं, जैसे प्रॉपर्टी टैक्स में छूट।

पत्नी के नाम पर संपत्ति लेने या घर पर मालिकाना हक देने से पारिवारिक आर्थिक संतुलन भी बढ़ता है। महिलाओं के नाम पर संपत्ति खरीदने वालों की संख्या में भी पिछले कुछ वर्षों में काफी इजाफा देखने को मिलता है।

कम ब्याज पर घर खरीदने का लोन-

घर खरीदने पर अधिकांश लोग लोन लेते हैं। ईक्वल मंथली इंस्टॉलमेंट (आईएमआई) का ब्याज दर और मूलधन ग्राहक होम लोन लेने के बाद बैंक में चुकाते हैं।

पुरुषों की तुलना में हाउसिंग फाइनेंस संस्थानों ने महिलाओं को ब्याज दर में राहत दी है। कुछ घरेलू फाइनेंस कंपनियों ने महिलाओं की आय और उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए विशेष लोन योजनाएं भी बनाई हैं। पत्नी के नाम पर घर खरीदना फायदेमंद है क्योंकि ब्याज दरें कम हैं।

स्टाम्प ड्यूटी से छुटकारा—

कई राज्यों में महिलाओं के नाम पर संपत्ति की रजिस्ट्री कराने पर स्टांप ड्यूटी शुल्क से छूट मिलती है। पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए उत्तर भारत के कुछ राज्यों में रजिस्ट्री शुल्क लगभग दो से तीन फीसदी अधिक है। तो यदि कोई महिला अपने नाम पर संपत्ति का रजिस्ट्रेशन करवाती है, तो उसे स्टाम्प ड्यूटी से छूट मिलती है।

पुरुषों को राजधानी दिल्ली में स्टाम्प ड्यूटी पर 6% का भुगतान करना होता है, जबकि महिलाओं को 2% की छूट मिलती है। यानी उन्हें स्टाम्प ड्यूटी पर सिर्फ चार प्रतिशत का भुगतान करना होगा।

पत्नी की आर्थिक सुरक्षा और स्वायत्तता—

प्रॉपर्टी ऑनरशिप एक महिला को आर्थिक सुरक्षा देती है और उसे आत्मनिर्भर बनाती है। इस संपत्ति पर उसका अधिकार है, इसलिए वह पूरी तरह से स्वतंत्र है। फिर चाहे पति, बच्चे या परिवार के अन्य सदस्य इससे सहमत हों या नहीं। वह संपत्ति को खरीदने, बेचने या किराये पर देने का निर्णय स्वेच्छा से ले सकती है।

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