Property Division Rules : पिता की मौत होने पर कैसे होगा प्रोपर्टी का बंटवारा, जाने प्रावधान

Property Division Rules : अक्सर प्रोपर्टी से जुड़े नियमों और कानूनों को लेकर लोगों में जानकारी का अभाव होता है। ऐसे में आज हम आपको अपनी इस खबर में ये बताने जा रहे है कि आखिर पिता की मौत के बाद प्रोपर्टी का बंटवारा किस आधार पर होगा... तो चलिए आइए नीचे खबर में जान लेते है इससे जुड़ा कानूनी प्रावधान।
 

Saral Kisan, Property Rights : जब तक परिवार का मुखिया जीवित है,तब तक आमतौर पर संपत्ति के बंटवारे को लेकर विवाद की स्थिति नहीं बनती. लेकिन पिता या परिवार के मुखिया के देहांत के बाद यह बहुत सामान्य है कि परिवार में भाइयों (दावा करने की स्थिति में बहन भी) के बीच विवाद की स्थिति खड़ी हो जाती है. ऐसे में पिता या घर के मुखिया के देहांत के बाद भाइयों और बहनों के बीच संपत्ति बंटवारे के नियम क्या हैं, हम आपको अपने इस आर्टिकल में बताएंगे-

बनाई गई है वसीयत तो नहीं होगा विवाद-

अगर परिवार के मुखिया या पिता ने देहांत से पहले ही वसीयत बनाकर तैयार की है और संपत्ति का उचित बंटवारा किया है तो विवाद की स्थिति पैदा नहीं होती है. वसीयत के तहत पिता या परिवार का मुखिया कानूनी तौर पर अपनी संपत्ति को अपने बच्चों या अन्य किसी भी प्रिय को सौंपता है. जिसमें उन लोगों के नाम दर्ज होते हैं जिन्हे संपत्ति का हस्तांतरण किया जाएगा. इसके लिए परिवार के मुखिया या पिता के द्वारा पेशेवर की मदद ली जाती है. जो कि संपत्ति के बंटवारे में भूमिका  निभाता है.

विरासत के आधार पर बंटती है संपत्ति-

ऐसा भी होता है कि संपत्ति के मालिक पिता या परिवार के मुखिया का देहांत हो जाए और उन्होंने संपत्ति के बंटवारे से संबंधित कागजी कार्य नहीं किया हो. ऐसे में संपत्ति का बंटवारा उत्तराधिकार के कानून के अनुसार किया जाता है.

हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम,1956-

इसके तहत अगर संपत्ति के मालिक पिता या परिवार के मुखिया की मृत्यु बिना वसीयत बनाए हो जाती है तो उस संपत्ति को इस अधिनियम की कक्षा-1 के उत्तराधिकारियों दिया जाता है. कक्षा 1 में उल्लेखित उत्तराधिकारियों के ना होने की स्थिति में अधिनियम में उल्लेखित कक्षा 2 के वारिस को दिए जाने का प्रावधान है.

हालांकि संपत्ति बंटवारे को कई कानूनी उलझनें होती हैं ऐसे में किसी पेशेवर की मदद लेना बेहतर होता है. यहां यह बता देना जरूरी है कि हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के अंतर्गत हिंदू धर्म और उसके कई संप्रदायों सहित बौद्ध,जैन और सिख भी शामिल होते हैं.

मुस्लिम कानून के तहत संपत्ति का बंटवारा-

मुस्लिम कानून में संपत्ति को लेकर अपने अलग नियम और परंपराएं हैं. मुस्लिम कानून में पैतृक संपत्ति की अवधारणा नहीं है. मुस्लिम कानून दो प्रकार के उत्तराधिकारियों, हिस्सेदारों और अन्य को संपत्ति के हकदारों के रूप में पहचाना है.

इस्लामी कानून के हिसाब से संपत्ति के बंटवारे के कई नियम हैं. यह  भारत में वसीयत संबंधी नियमों-कानूनों के जरिए प्रबंधित होते हैं. आइए संपत्ति बंटवारे से संबंधित मुस्लिम कानूनों के खास प्रावधानों को देखते हैं-

- इसके अनुसार मुस्लिम पत्नी को उस स्थिति में भी बेदखल नहीं किया जा सकता है जब एक से अधिक पत्नी होने पर भी उसे अन्य     पत्नियों के साथ साझा करना पड़े।

- इस्लामिक कानून के अनुसार विधवा को संपत्ति का एक निश्चित हिस्सा दिया जाता है.

- मुस्लिम कानून में महिलाओं की तुलना में पुरुषों को संपत्ति में अधिक वरीयता दी गई है.इसके तहत वारिस पुरुष को महिला या बेटी    से दोगुनी संपत्ति दिए जाने का प्रावधान है.

बंटवारे की कानूनी प्रक्रिया से संबंधित अन्य तथ्य-

- जिस संपत्ति का बंटवारा होना है उस दावा करने वालों को यह जान लेना चाहिए कि संपत्ति पर कोई बकाया कर्ज या अन्य प्रकार का   लेन-देन संबंधी बकाया तो नहीं है. यह जरूरी है कि दावा करने वाले सभी वारिस उस संपत्ति पर लिए गए कर्ज को चुकाने पर सहमत   हो जायें.

- वसीयत के अनुसार किए गए संपत्ति बंटवारे में किसी भी तरह की खामी होने की स्थिति में कानूनी तरीके से इसे सुलझाने का प्रयास   करना चाहिए. अगर शुरुआत में ही वसीयत संबंधी खामियों को आपसी तालमेल से कानूनी पेशेवर आदि की सहायता के जरिए ठीक   कर लिया जाए तो बाद के बेहद उलझन भरे और परेशान करने वाली कानूनी प्रक्रियाओं से बचा जा सकता है.

- वसीयत नहीं लिखे होने की स्थिति में यह जरूरी हो जाता है कि आपसी तालमेल से मिलकर संपत्ति का बंटवारा कर लें और किसी भी तरह के विवाद से बचें.

आखिर में यह सलाह है कि संपत्ति बंटवारे से संबंधित काम करने के लिए कानून के जानकार या पेशेवर की मदद लेना बेहतर होता है. इससे जटिल प्रक्रिया और अन्य कामों को आसानी से  करने और समझने में मदद मिलती है.

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