Property dispute : केवल शादी करने से पत्नी को पति की प्रॉपर्टी पर नहीं मिलता अधिकार

property news :वैसे तो पत्नी पति की सभी संपत्ति पर अधिकारी है, लेकिन कानून कहता है कि सिर्फ शादी करने से पत्नी को पति की संपत्ति पर अधिकार नहीं मिलता. आइए जानते हैं कानून क्या कहता है। 

 

New Delhi: शादी करने वाली एक महिला के लिए ससुराल सब कुछ होता है। ऐसा भी होता है कि एक महिला शादी करने के बाद अपने माता-पिता और भाई-बहनों को छोड़कर ससुराल में रहती है। लेकिन सवाल उठता है कि महिला को अपने ससुराल की संपत्ति पर कानूनी अधिकार कितना है? ऐसे में, एक महिला को अपने पति और ससुराल की संपत्ति पर क्या अधिकार है?

तीन कानून जो संपत्ति का अधिकार बताते हैं

भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम, हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम और मुस्लिम पर्सनल लॉ सभी संपत्ति के उत्तराधिकार को निर्धारित करते हैं। इस कानून से संपत्ति पर किसका अधिकार निर्धारित होता है। इन कानूनों को देखने से पता चलता है कि सिर्फ शादी करने से एक महिला को अपने पति या ससुराल की संपत्ति पर अधिकार नहीं मिलता, बल्कि परिस्थितियों पर।

पति के जीवित रहते पत्नी का संपत्ति में हक नहीं

पति के जीवित रहते उनकी खुद अर्जित की गई संपत्ति में पत्नी का कोई हक नहीं है। पति के मौत के बाद ही महिला का संपत्ति में हक होगा, लेकिन मौत से पहले पति ने कोई वसीयत किया हो तो उसके अनुसार संपत्ति का अधिकार तय होगा।

महिला को गुजाराभत्ता पाने का हक

कानून में महिला को अपने पति से सिर्फ भरण-पोषण के लिए गुजाराभत्ता पाने का अधिकार है, लेकिन अलग होने पर वह पति की संपत्ति में अधिकार नहीं मांग सकती।

ससुराल की संपत्ति में भी पति के मौत के बाद ही मिलता है अधिकार

हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा-8 के तहत एक महिला को अपने ससुराल यानी सास-ससुर या पैतृक संपत्ति में भी कोई हक नहीं है। हालांकि, पति की मौत होने पर विधवा का अपने ससुराल की संपत्ति में अधिकार होता है। वह पैतृक संपत्ति में उतना हिस्सा पा सकती हैं, जितना उनके पति का बनता हो। सर्वोच्च न्यायालय ने 1978 में गुरुपद खंडप्पा मगदम बनाम हीराबाई खंडाप्पा मगदम मामले में साझा संपत्ति का बारे में ऐतिहासिक फैसला दिया था।

सुप्रीम कोर्ट में वकील गौरव भारद्वाज कहते हैं कि शादी के बाद महिला समझती है कि पति और ससुराल की सारा संपत्ति में उनका हक है। जबकि कानूनी स्थिति बिलकुल अलग है। सिर्फ शादी कर लेने से महिला का अपने पति या ससुराल की संपत्ति में कोई हक नहीं होता है, जब तक कि उन्हें साझीदार न बनाया जाए।

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