उत्तर प्रदेश में हाइवै किनारे बसेगा नया टाउनशिप,  इन 39 गांवों की जमीन अधिग्रहण का कार्य शुरू

Varanasi Latest News : हाईवे और रिंग रोड (Highway and Ring Road) के किनारे प्रस्तावित पांच टाउनशिप बसाने को लेकर जिलाधिकारी एस राजलिंगम ने 39 गांवों की जमीन की रजिस्ट्री कराने से पहले अनापत्ति प्रमाणपत्र लेने का आदेश जारी किया है। इसमें कुछ आंशिक गांव भी है। वाराणसी विकास प्राधिकरण और आवास विकास परिषद ने संयुक्त रूप से पांच नई टाउनशिप की योजना बनाई है। आइए जानते है इसके बारे में विस्तार से....
 

Saral Kisan (ब्यूरो) :  हाईवे और रिंग रोड के किनारे प्रस्तावित पांच टाउनशिप बसाने के संदर्भ में जिलाधिकारी एस राजलिंगम ने 39 गांवों की जमीन की रजिस्ट्री कराने से पहले अनापत्ति प्रमाणपत्र लेने का आदेश जारी किया है। यह नया कदम उन्होंने ग्रामीण विकास को बढ़ावा देने के लिए उठाया है।

नामित नोडल अधिकारी का आदेश

नामित नोडल अधिकारी, अपर जिलाधिकारी (प्रशासन) ने इस संदर्भ में और एक आदेश जारी किया है, जिसमें संबंधित पांच विभागों से अनापत्ति प्रमाणपत्र लेने की सिफारिश की गई है। इसके अंतर्गत, जब पांच विभागों की एनओसी (नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट) आएगी, तब विभागों के संलग्न कापी के साथ उन गांवों में जमीन की रजिस्ट्री की अनुमति दी जाएगी।

विभागों से लेना होगा एनओसी

इस प्रक्रिया के तहत, विभागों को एनओसी के लिए आवश्यक जानकारी और समर्थन प्रदान करना होगा। वाराणसी विकास प्राधिकरण, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, ग्रामीण अभियंत्रण सेवा, तहसील और आवास विकास परिषद इस प्रक्रिया को निर्देशित कर रहे हैं। वाराणसी विकास प्राधिकरण और आवास विकास परिषद ने संयुक्त रूप से पांच नई टाउनशिप की योजना बनाई है।

नई आवासीय योजना

नई आवासीय योजना के तहत, वीडीए और आवास विकास परिषद ने काशी द्वार, वर्ल्ड सिटी, वैदिक सिटी, और वरुणा विहार के नाम से और दो टाउनशिप की योजना प्रस्तावित की है। पांचों टाउनशिप को बसाने के लिए वाराणसी विकास प्राधिकरण को 1214.6 हेक्टेयर जमीन की जरूरत है, और इसके लिए शासन से 17,630 करोड़ रुपये की मांग की गई है।

किसानों की चिंताएँ

किसानों के बीच जमीन अधिग्रहण के खिलाफ चिंताएँ हैं। ज्यादातर किसान अपनी जमीन को खोने के बारे में चिंतित हैं और उन्हें यह भी बात करने का अधिकार है कि वे किसान हैं और उनकी आजीविका खेती से जुड़ी है।

बाजार मूल्य और जमीन अधिग्रहण

कुछ किसान बाजार मूल्य पर अपनी जमीन देने के लिए तैयार हैं, लेकिन उनकी मांग है कि उन्हें इसके लिए उचित मुआवजा मिलना चाहिए। कम रेट पर हम जमीन नहीं देंगे, यह उनका स्पष्ट संदेश है।

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