बिहार में भूमि लगान की नई व्यवस्था होगी लागू, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग का बड़ा फैसला

Bihar News : बिहार में जमीन के सर्वे के बाद, आगे की सभी प्रक्रिया भी ऑनलाइन होगी और लगान भी नया होगा। सर्वे के बाद अंतिम रूप से प्रकाशित खतियान और नक्शा के आधार पर आने वाले समय में दाखिल-खारिज सहित क्षेत्र के सभी काम पूरे किए जाएंगे। सर्वी के खतियान क्षेत्र में पंजी-2 होगा।
 

Saral Kisan (Bhumi Lagaan) : विभिन्न टैक्सों के बोझ से किसानों और गरीबों की परेशानियां बढ़ सकती हैं। बिहार सरकार लगान को फिर से रेंट करने पर विचार कर रही है। भूमि और राजस्व विभाग ने बिहार में लगान और कालगुजारी की समीक्षा करने के लिए एक विशेष कार्यक्रम तैयार किया है। इसके लिए दिसंबर 2025 तक राज्य के सभी जिलों में राजस्व गांवों में विशेष बंदोबस्ती और सर्वेक्षण कार्य पूरा करने का लक्ष्य है। 10,000 101 सर्वे कर्मियों की बहाली की प्रक्रिया, खासकर, अंतिम चरण में है।

राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग में उनकी नियुक्ति होते ही राज्य के सभी जिलों में सर्वे शुरू हो जाएगा। फिर भी, 20 जिलों के 89 अंचलों में काम चल रहा है। यह मालिकाना हक और जमीन का नवीनतम नक्शा बनाना चाहता है।नया लगान इसी पर निर्धारित होगा।

नए दस्तावेज रैयतों को सौंपे जाएंगे

सूत्रों ने बताया कि सर्वेक्षण पूरा होने पर जमीन के दस्तावेजों को खतियान, नक्शा और नागरिक अधिकार अभिलेख के रूप में प्रदान किया जाएगा। यह दस्तावेज अलग होगा। हर खेसरा का नजरी-नक्शा इसमें बनाया जाएगा। भूमि की एकल संख्या (LPIIN) भी दर्ज होगी। अधिकार अभिलेख में रकवा और भूमि का प्रकार, खाता-खेसरा और एकड़ के साथ रैयत का नाम और पूरा पता लिखा जाएगा। संबंधित रैयत का मोबाइल नंबर और आधार नंबर भी दर्ज होगा। अधिकार अभिलेख उस जिले के बंदोबस्त पदाधिकारी के डिजिटल हस्ताक्षर से प्रकाशित किया जाएगा।

सर्वेक्षण के बाद लगान का नवीनीकरण

जमीनी सर्वेक्षण के बाद, आगे की सभी प्रक्रियाएं भी ऑनलाइन होंगी और लगान भी नए सिरे से बनाया जाएगा। सर्वे के बाद अंतिम रूप से प्रकाशित खतियान और नक्शा के आधार पर आने वाले समय में दाखिल-खारिज सहित क्षेत्र के सभी काम पूरे किए जाएंगे। सर्वी के खतियान क्षेत्र में पंजी-2 होगा। भूमि की मापी सहित क्षेत्र में सभी काम इसी आधार पर किए जाएंगे। विभागीय सूत्रों ने बताया कि सरकार नए सर्वे के बाद भूमि का नया लगान तय करेगी। ऐसे में अभी स्पष्ट करना मुश्किल है कि क्या इससे किसानों पर लगान का बोझ बढ़ेगा या नहीं।

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