New Farming Tech: फसल को बिजली के झटके देखकर उत्पादन लेने का नया तरीका

तकनीकी कृषि के परिणामस्वरूप पैदा हुए पर्यावरणीय चुनौतियों से जूझ रही दुनिया को अब राहत देने के लिए वैज्ञानिकों ने एक नया उपाय खोजा है।

 

​​​​​Agriculture and Electricity: तकनीकी कृषि के परिणामस्वरूप पैदा हुए पर्यावरणीय चुनौतियों से जूझ रही दुनिया को अब राहत देने के लिए वैज्ञानिकों ने एक नया उपाय खोजा है। इसके बावजूद, ये उपाय अभी व्यापक रूप से नहीं प्रयोग किया जाता है। लेकिन उम्मीद है कि पूरी दुनिया में किसान जल्द ही इस तरीके का प्रयोग करना शुरू कर देंगे ताकि उनका पर्यावरण बेहतर हो और उनकी पैदावार बढ़ जाए। दरअसल, वैज्ञानिकों ने विद्युत बागवानी में नई खेती तकनीक का बहुत उपयोग किया है। कर्द देशों में शोधकर्ता बिजली की क्षमता की तलाश कर रहे हैं, जिससे कृषि में पर्यावरणीय प्रभाव को कम किया जा सके। यह कुछ लोगों द्वारा "चौथी कृषि क्रांति" भी कहा जाता है।

एक परियोजना के तहत इंपीरियल कॉलेज लंदन की प्लांट मॉर्फोजेनेसिस प्रयोगशाला में वर्टिकल फार्मिंग को बदलने के लिए इलेक्ट्रोड से युक्त हाइड्रोजेल क्यूब्स का प्रयोग किया जा रहा है। ट्रांसल् यूसेंट क्यूब्स, जिनमें छोटे एयर टनल् स से हरी पत्तियां निकलती हैं, में मौजूद नेटवर्क स् ट्रक् चर तरलता को बरकरार रखता है। प्रयोग के दौरान, हाइड्रोजेल क्यूब्स में विद्युत झटकों की छोटी-छोटी मात्रा दी जाती है।

वैश्विक खाद्य संकट का सामना करने में सहायक होगा

दुनिया भर में खेती किसानी क्षेत्र में हर दिन शोध और नए प्रयोगों से फसल की पैदावार बढ़ाने के तरीकों में लगातार बदलाव हो रहा है। वैज्ञानिकों का मानना है कि बिजली का एकीकरण कृषि को अधिक उत्पादक और टिकाऊ बनाने में मदद कर सकता है। उनका कहना है कि दुनिया भर में चल रहे अनुसंधानों और प्रयोगों के कारण जल्द ही विद्युतीकृत सब्जियां और फसलें आम हो सकती हैं। इससे खेती के इकोलॉजिकल प्रभावों को कम करते हुए विश्वव्यापी खाद्य संकट का एक दिलचस्प समाधान प्रस्तुत किया जा सकता है। दुनिया भर में हर दिन नए प्रयोग और शोध किए जाते हैं, कृषि, कृषि वैज्ञानिक, आधुनिक खेती, वर्टिकल खेती, चौथी कृषि क्रांति, बिजली के झटकों से फसल में बढ़ोतरी, बिजली और खेती।

कृषि क्षेत्र में बिजली का उपयोग

वैज्ञानिकों का कहना है कि यह पहल कृषि क्षेत्र में विद्युत हस्तक्षेप की दिशा में विश्वव्यापी अभियान का एक हिस्सा है। पिछले दशक से वैज्ञानिक खेती में बिजली का प्रयोग कर रहे हैं। इसके तहत, वैज्ञानिकों ने बीजों को बिजली के झटके देने से लेकर इलेकिट्रक फील्ड बनाकर पैदावार बढ़ाने तक का उपयोग किया है। यही नहीं, पौधों की वृद्धि को तेज करने के लिए ठंडे प्लाज्मा, या नियंत्रित बिजली का भी उपयोग किया गया है।

किस देश का उपयोग

चीन जैसे देश बिजली युक्त कृषि परियोजनाओं में निवेश कर रहे हैं, जो मिट्टी की गुणवत्ता को बढ़ाकर फसल की पैदावार को बढ़ाते हैं। वहीं, कनाडाई उत्पादक सलाद की फसल में अधिक उत्पादन के लिए ठंडे प्लाज्मा का उपयोग कर रहे हैं। स्विट्जरलैंड में विवेंट स्टार्टअप जैविक बागवानी और कृषि उद्योग का ध्यान खींच रहा है। ये शुरूआती पौधों की विद्युत प्रतिक्रियाओं को देखने के लिए एक प्रणाली बना रहे हैं।

तकनीक पर्यावरणीय चिंताओं को दूर करेगी

वैज्ञानिकों का कहना है कि खेती में बिजली का उपयोग करने का मकसद पारंपरिक कृषि से जुड़े पर्यावरणीय खतरों को दूर करना है। दरअसल, पारंपरिक खेती विश्वव्यापी ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का एक बड़ा हिस्सा है। सिंथेटिक उर्वरक बनाने में बहुत ऊर्जा लगती है। वैज्ञानिकों का दावा है कि खेती में बिजली का उपयोग मिट्टी के कटाव और बढ़ती आबादी को निरंतर भोजन प्रदान करने की आवश्यकताओं को भी हल करेगा।

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पैदावार में आकर्षक वृद्धि

विद्युत कृषि में फसल की पैदावार बढ़ाने की क्षमता सबसे आकर्षक है। अब तक वैज्ञानिकों ने उत्साहजनक निष्कर्ष निकाले हैं। फसल के आधार पर 20 से 75 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। उदाहरण के लिए, बीजों को एक मिनट से भी कम समय तक ठंडे प्लाज्मा से इलाज करने से आलू की पैदावार चार गुना बढ़ी। विद्युत कृषि के प्रति उत्साह के बावजूद कुछ लोग इसके खिलाफ हैं।

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