उत्तर प्रदेश में लागू होगा नजुल प्रॉपर्टी क़ानून, विस्तार से समझिए क्या है ये

UP News : उत्तर प्रदेश की योगी सरकार नजूल संपत्ति कानून लागू करने के पूरे मूड में दिखाई दे रही है. योगी सरकार की इरादे पीछे हटने के नहीं लगते हैं. उत्तर प्रदेश में अभी तक यह कानून लागू नहीं किया गया है. लेकिन विधान परिषद में इस क़ानून को बहुमत मिल चुका है. 

 

Uttar Pradesh News : उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के नजूल संपत्ति कानून का विरोध विपक्ष ही नहीं बल्कि खुद पार्टी के लोग भी कर रहे हैं. इस विरोध के चलते विधान परिषद में बहुमत मिल जाने के बावजूद भी प्रदेश में नजूल संपत्ति विधेयक 2024 को अभी तक पारित नहीं किया गया है. लेकिन प्रदेश की योगी सरकार इस कानून को लेकर पीछे हटते नजर नहीं आ रही है. 

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार का यह मानना है कि पिछली सरकारों में अरबो रुपए की नजूल भूमि को फ्री होल्ड करने का बड़ा खेल किया जाता है। इस विधेयक का विरोध इसमें लिफ्त भू-माफीया से लेकर नेता और नौकरशाह आम जनता को ढाल बनाकर इसका विरोध कर रहे हैं. इस कानून के लागू हो जाने के बाद अरबो रुपए  की नजुल जमीन का सार्वजनिक हित के लिए प्रयोग किया जाएगा. पिछले सालों में गड़बड़ी करके नजुल भूमि को फ्री होल्ड करने का खेल भी उजागर हो जाएगा.

क्या हैं नजूल संपत्ति विधेयक

2024 के उत्तर प्रदेश नजूल संपत्ति विधेयक का उद्देश्य है कि नजूल भूमि को निजी संपत्ति में बदलने से रोका जाए और उसे नियंत्रित किया जाए। नजूल भूमि सरकारी है, लेकिन इसे राज्य की संपत्ति की तरह नहीं चलाया जाता। सरल शब्दों में, यह भूमि है जिसे सरकार रखती है और सार्वजनिक कामों के लिए उपयोग करती है, जैसे प्रशासनिक कार्यालयों और बुनियादी ढांचे की स्थापना।

लोक प्रयोजनार्थ प्रबंध और उपयोग

वास्तव में, उत्तर प्रदेश नजूल संपत्ति (लोक प्रयोजनार्थ प्रबंध और उपयोग) विधेयक-2024 को पिछले दिनों व्यापक विरोध और हंगामे के बीच विधानसभा से पारित करने से भाजपा ही पीछे हट गया। विपक्ष ने विधेयक को जनविरोधी बताते हुए उच्च सदन में भी बहुमत के बावजूद उसे प्रवर समिति को भेजने की मांग को कुंद करना था। योगी सरकार और भाजपा का संगठन नहीं चाहता था कि विधानसभा की 10 सीटों के उपचुनाव से पहले विपक्ष को जनता को धोखा देने का कोई अवसर मिल जाए।

जल्द होगा पारित 

सरकार इस कानून को अंततः लागू करेगी, क्योंकि विधेयक में ऐसा कुछ नहीं है जो जनता को वास्तव में परेशान करे, सूत्रों ने यह बताया हैं। विधेयक को लेकर जल्द ही जनसमिति बनाई जाएगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पास सिर्फ आवास एवं शहरी नियोजन विभाग है, इसलिए किसी और मंत्री को प्रवर समिति का अध्यक्ष बनाया जाएगा। विधानमंडल के मानसून सत्र में समिति की प्रस्तुतियां प्रस्तुत की जाएंगी। संस्तुतियों के अनुसार, संशोधित विधेयक पारित कराकर राज्यपाल को मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। संबंधित कानून राज्यपाल की मंजूरी मिलते ही लागू हो जाएगा।

75 हजार एकड़ जमीन की कीमत दो लाख करोड़ रुपये

प्रदेश में लगभग 75 हजार एकड़ जमीन की कीमत दो लाख करोड़ रुपये है। नजूल जमीन पर कब्जे को लेकर भी बहुत बहस होती है। भूमाफिया और रसूखदार लोगों के पास कई महंगी भूमि भी हैं। भूमाफियाओं के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चार स्तरीय एंटी भूमाफिया टास्क फोर्स का गठन किया था। राजस्व और पुलिस विभाग ने पिछले लगभग सवा चार वर्षों में भूमाफिया के खिलाफ अभियान चलाया है। राजस्व विभाग के आंकड़ों के अनुसार, लगभग 1,54,249 एकड़ जमीन अधिग्रहण से मुक्त हुई है। 2,464 कब्जादारों में से 187 भूमाफिया गिरफ्तार और जेल भेजे गए। इन मामलों में 22,992 राजस्व वाद, 857 सिविल वाद और 4,407 एफआईआर दर्ज किए गए हैं।