नासा ने खोज डाला एक अनोखा द्वीप, मात्र सात दिन में आकार हुआ 6 गुना बड़ा

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने दक्षिणपश्चिमी प्रशांत सागर में एक ज्वालामुखी फटने के कुछ समय बाद एक छोटा सा द्वीप देखा गया। केंद्रीय टोंगा द्वीप में होम रीफ ज्वालामुखी (Home Reef volcano) ने सितंबर की शुरुआत में धुआं, राख और लावा उगलना शुरू किया, जिससे आसपास के पानी का रंग बदल गया।
 

NASA: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने दक्षिणपश्चिमी प्रशांत सागर में एक ज्वालामुखी फटने के कुछ समय बाद एक छोटा सा द्वीप देखा गया। केंद्रीय टोंगा द्वीप में होम रीफ ज्वालामुखी (Home Reef volcano) ने सितंबर की शुरुआत में धुआं, राख और लावा उगलना शुरू किया, जिससे आसपास के पानी का रंग बदल गया।

सैटेलाइट से ली हैं तस्वीरें

नासा की धरती पर निगरानी करने वाली कार्यशाला ने बताया कि इस ज्वालामुखी में विस्फोट के 11 घंटों बाद ही पानी की सतह पर एक नया द्वीप बन गया। साथ ही, इस निगरानी कार्यशाला ने सैटेलाइट की मदद से इस द्वीप की चित्र भी बनाई हैं।

7 दिन में हो गया 6 गुना

NASA ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि द्वीप जल्द ही बड़ा हुआ। 13 सितंबर को शोधकर्ताओं ने टोंगा के जियोलॉजिकल सर्विस के साथ मिलकर बताया कि द्वीप का क्षेत्रफल लगभग 4000 स्क्वायर मीटर यानि 1 एकड़ था और समुद्र तल से 10 मीटर यानि करीब 33 फीट था. लेकिन 20 सितंबर को शोधकर्ताओं ने बताया कि द्वीप का क्षेत्रफल बढ़कर 24000 स्क्वायर मीटर यानि 6 एकड़ हो गया है।

अल्पकालिक होते हैं इस तरह के द्वीप

नासा (NASA) का कहना है कि यह द्वीप सेंट्रल टोंगा आइलैंड्स में होम रीफ सीमाउंट के उपर बना है और शायद हमेशा नहीं रहेगा। NASA ने बताया कि "यह द्वीप समुद्र में डूबे ज्वालामुखी के कारण बना है और ऐसे द्वीप कम समय के लिए ही अस्तित्व में आते हैं।" फिर भी, इनका जीवनकाल कुछ घंटे, दिन, महीने या साल हो सकता है।

नासा ने बताया कि 2020 में भी पास ही में लाटेइकी ज्वालामुखी (Late'iki Volcano) के 12 दिन तक लगातार फटने से एक द्वीप बन गया, लेकिन फिर यह सिर्फ 2 महीने में वापस पानी में चला गया, जबकि 1995 में इसी ज्वालामुखी के कारण बना एक द्वीप 25 साल तक रहा था.

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