MP News : वन भूमि से नहीं छोड़ा कब्जा, सरकार ने नहीं दी बिजली पानी सड़क जैसी मूलभूत सुविधा

MP News :सरकार ने स्कूल नहीं बनवाया, ग्रामीणों ने झोपड़ी बनाकर 135 बच्चों को पढ़ाने के लिए शिक्षक रखे, खर्चा खुद उठाते हैं।

 

Saral Kisan, MP News : दांवखेड़ा गांव बैतूल जिला मुख्यालय से 85 किलोमीटर दूर है। यहां रामपुर पंचायत क्षेत्र के इस गांव में वन विकास निगम की जमीन पर 2003 में छिंदवाड़ा जिले से कुछ लोग आकर बस गए थे। कई बार वन विभाग ने उन्हें बेदखल करने की कोशिश की, लेकिन ग्रामीणों ने अपना हक नहीं छोड़ा। ये 750 लोग दांवखेड़ा के दो वार्डों में रहते हैं। यहां से 2 पंच भी लगते हैं, लेकिन वन भूमि होने के कारण यहां मूलभूत सुविधाओं का अभाव है।

यहां गतिरोध बना हुआ है। सरकार ने आज तक यहां सड़क, पानी, स्कूल, आंगनबाड़ी और बिजली की व्यवस्था नहीं की है। इसी कारण ग्रामीण अपने बच्चों को शिक्षा दिलाने के लिए चार साल से समता पाठशाला चला रहे हैं, जिसका सरकारी शिक्षा व्यवस्था से कोई संबंध नहीं है।  ग्रामीणों द्वारा रखे गए शिक्षक बारहखड़ी, गिनती, जोड़, घटाव और हस्ताक्षर सिखा रहे हैं। 2018 में यहां करीब 300 लोगों के मतदाता पहचान पत्र बनाए गए, वे वोट तो देते हैं लेकिन उन्हें बुनियादी सुविधाएं नहीं मिलतीं।

बांस की लकड़ियों से बनी इस झोपड़ी में 135 बच्चे पढ़ते हैं

यहां बांस की लकड़ियों से बनी झोपड़ी में समता पाठशाला चलती है। इस स्कूल को ग्रामीणों ने बनाया है, स्कूल में 6 से 14 साल के 135 बच्चे पढ़ते हैं। ग्रामीणों ने पढ़ाने के लिए एक शिक्षक रखा है, जो 24 किलोमीटर दूर बारी गांव से आकर मुफ्त में पढ़ाता है। ग्रामीण पेट्रोल और अन्य खर्चों के लिए 1500 से 2000 रुपये तक चंदा देते हैं। दानवाखेड़ा के लोगों को यह जुगाड़ इसलिए करना पड़ रहा है क्योंकि सरकार गांव में स्कूल नहीं बना रही है। इसकी वजह यह है कि वे ग्रामीण वन विकास निगम की जमीन पर कब्जा किए हुए हैं, जहां से सरकार उन्हें बेदखल करना चाहती है। ग्रामीण अपनी जमीन नहीं छोड़ना चाहते।

कहा- स्कूल की जरूरत

इससे पहले दानवाखेड़ा में आवासीय विशेष प्रशिक्षण केन्द्र खोलने का प्रस्ताव भेजा गया था, जिसे मंजूरी मिल गई थी, लेकिन ग्रामीणों ने प्रशिक्षण केन्द्र खोलने से मना कर दिया। उनका कहना था कि हमें स्कूल की जरूरत है। इसके बाद यहां स्कूल खोलने का प्रस्ताव राज्य शिक्षा केन्द्र को भेजा गया है।