Most Expensive Tea : iPhone 15 के बराबर कीमत की यह सबसे महंगी चाय

India's most expensive tea : देश में कई चीजें इतनी महंगी हैं कि खरीदना भी मुश्किल होता है; इस खबर में हम आपको देश की सबसे महंगी चाय के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसका एक किलो मूल्य iPhone 15 के बराबर है. हम इसके बारे में अधिक जानेंगे।
 

Saral Kisan : आपको बता दे की 10 रुपये की चाय आम तौर पर दुकानों पर मिलती है। यह कुछ होटलों में थोड़ा अधिक हो सकता है। लेकिन क्या आप देश में सबसे महंगी चाय का पता है? आपको हैरानी होगी कि अपने देश में एक लाख रुपये की चाय की कीमत है। गोल्डन पर्ल चाय पत्ती का नाम है। FT Technology Trade इस चायपत्ती का मालिक है। असम के डिब्रूगढ़ जिले में स्थित नाहोरचुकबारी में इस विशिष्ट प्रकार की चायपत्ती बनाई जाती है।

पहले भी बिकी है महंगी चाय

आपको बता दें कि ऐसा पहली बार नहीं है. पिछले साल दिसंबर महीने में असम के डिब्रूगढ़ जिले की एक खास चाय की नीलामी हुई. जिसमें वो 99,999 रुपये में प्रति किलोग्राम के भाव पर बिकी. उस चाय का नाम था मलोहरी गोल्ड.

देश की सबसे महंगी चाय में हुई शामिल

गोल्डन पर्ल चाय पत्ती को टी ट्रेडर्स ने खरीदा है. ये हमेशा महंगी से मंहगी चाय की पत्तियों खरीदने को लेकर जाना जाता है. इससे पहले मनोहरी गोल्ड चाय पत्ती को सौरभ टी ट्रेडर्स ने खरीदा था. कारखाने के एक अधिकारी का कहना है कि हमारी अच्छी किस्म की चायपत्ती इतने दामों में नीलामी हो रही है. नीलामी की शुरुआत अच्छी रही, हम जल्द ही अपनी और चाय पत्तियों को भी नीलामी में भेजेंगे.

हैंडमेड चायपत्ती है ये

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, गोल्डन पर्ल चाय हैंडमेड चायपत्ती है. यानी हाथ से चुनकर इस चायपत्ती को खासतौर पर तैयार किया गया है. नाहोरचुकबारी फैक्ट्री में ही इस चायपत्ती को बनाया गया है. नाहोरचुकबारी फैक्ट्री असम के डिब्रूगढ़ हवाई अड्डे के पास बनी हुई है. ये कारखाना एएफटी टेक्नो ट्रेड के स्वामित्व में है. इस कारखाने की स्थापना 2018 की गई थी.

चाय के नाम गोल्डन पर्ल रखने की वजह

करीब 1 लाख रुपये किलो में नीलाम होने वाली चाय पत्ती का नाम गोल्डन पर्ल रखा गया है. कारखाने संस्थापक सदस्यों में एक असलम खान के अनुसार चायपत्ती का नाम ‘गोल्डन’ रखने का ख्याल उन्हें ज्वेलरी बिजनेस से आया. उनका कहना है कि कई लोग ज्वेलरी के व्यापार से जुड़े हुए हैं, इसलिए उन्हें सोचा की इस चायपत्ती का नाम गोल्डन रखा जाए.

ये पढ़ें : उत्तर प्रदेश में यहां बनाया जा रहा देश का पहला सोलर एक्सप्रेसवे, लक्ष्य 550 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन