Medicines: क्या हैं दवा का असली या नकली का खेल, इस प्रकार करे पता, QR कोड देगा आपको पूरी जानकारी

आप अपनी बीमारी को ठीक करने के लिए जो दवा ले रहे हैं, क्या वे सच्चे हैं? यदि दवा एक अच्छे मेडिकल स्टोर से खरीदी गई है, तो कोई शक नहीं कि यह नकली है। हमने भी इसका बिल लिया है और इससे लाभ भी मिल रहा है। इसके बावजूद, हम कहते हैं कि दवा नकली हो सकती है।
 


 

Medicines: आप अपनी बीमारी को ठीक करने के लिए जो दवा ले रहे हैं, क्या वे सच्चे हैं? यदि दवा एक अच्छे मेडिकल स्टोर से खरीदी गई है, तो कोई शक नहीं कि यह नकली है। हमने भी इसका बिल लिया है और इससे लाभ भी मिल रहा है। इसके बावजूद, हम कहते हैं कि दवा नकली हो सकती है। ये पूरी तरह से सही है। सरकार को भी पता है कि देश में नकली दवाओं का व्यापार तेजी से बढ़ रहा है। देश ही नहीं, पूरी दुनिया में नकली दवा बिक रही है। सरकार इसका समाधान चाहती है, हालांकि इसे पूरी तरह नियंत्रित करना कठिन है, लेकिन इसमें कमी जरूर लाई जा सकती है।

दुनिया भर में दवाओं को नियंत्रित करने वाले दो बड़े निकाय हैं। भारत की DCGI (ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया) और दूसरी FDA (अमेरिका की फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन) सही दवा बनाने का ध्यान रखते हैं ताकि लोगों की सेहत को खतरा नहीं हो। इसके बावजूद, भारत में बिकने वाली दवाओं में से 25 प्रतिशत से अधिक नकली हैं। 2017 में ASSOCHAM ने पांच साल पहले एक रिपोर्ट दी थी। Google lens या आपके मोबाइल फोन के स्कैनर से स्कैन करके आप जानकारी पा सकेंगे. इस रिपोर्ट का नाम था "नकली और नकली दवाओं का बढ़ता कारोबार" (भारत में नकली दवाओं का बढ़ता कारोबार)। यह रिपोर्ट बताती है कि भारत में बिकने वाली दवाओं में से 25 प्रतिशत नकली हैं।

क्या समस्या है?

दवाओं के बारे में आपको कितना पता है? इस प्रश्न के जवाब में बहुत से लोग कहेंगे कि वे सिर्फ दवा खरीदते हैं जो डॉक्टर ने लिखी है। इसी में समस्या है। हममें से अधिकांश लोग दवा के सॉल्ट के बारे में कुछ भी नहीं जानते हैं। इसलिए कोई नहीं जानता कि कौन दवा बेच रहा है। बिना रसीद के दवा खरीदना भी लोकप्रिय है। ज्यादातर बड़े शहरों में, लोग दवा खरीदते समय बिल भी नहीं लेते क्योंकि ऐसा नहीं करने पर दवा कम दर पर मिलती है।

क्या समाधान है?

ASSOCHAM की रिपोर्ट के अनुसार भारत में नकली दवाओं का कारोबार 10 बिलियन डॉलर से अधिक का है, यानी एक हजार करोड़ रुपये से अधिक का है। सरकार भी इसे हल करना चाहती है। इसलिए, एक ऐप बनाने पर विचार किया जा रहा है जो QR कोड स्कैन करने पर दवा का पता लगा सकता है। कोड स्कैन करने पर आप निर्माता, सॉल्ट और एक्सपायर डेट जानेंगे।

कैसे ऐप काम करेगा?

सरकार चाहती है कि सबसे अधिक बिक्री वाले दवा को पहले इस लिस्ट में शामिल किया जाए। एंटीबायोटिक, पेन रिलीफ, दिल की बीमारियां और एंटी एलर्जिक, उदाहरण के लिए। फर्जीवाड़ा दवाओं में होता है, जो ज्यादा बिकती हैं और डॉक्टर के पर्चे की आवश्यकता नहीं होती। ऐसे में दवा कंपनियां मेडिसिन बनाने पर QR कोड देंगी। ज़ाहिर है, इससे दवा कंपनियों का खर्च भी बढ़ेगा, लेकिन इससे लोगों और दवा कंपनियों दोनों को फायदा होगा। क्योंकि नकली दवाओं से असली कंपनियों की बिक्री भी प्रभावित होती है । इसकी शुरुआत चुनिंदा दवाओं से होगी और जब QR कोड वाली दवाएं मार्केट में आ जाएगी, तो आप फोन में जो ऐप डाउनलोड करेंगे उसमें QR कोड स्कैन करके पता लगा सकेंगे कि दवा असली है या नकली.

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