Marriage Certificate: क्या शादी के लिए होता है जरूरी, नहीं करवाया तो होगा नुकसान

हिंदू मैरिज एक्ट के विधि-विधान अनुसार की गई शादी की वैध होगी। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट तलाक के अर्जी पर सुनवाई कर रहा था। उन्होंने धार्मिक विधि विधान को पूरा किए बिना शादी करवा रखी थी। तो कोर्ट ने कहा कि वह कानूनी पति-पत्नी नहीं है, इसलिए तलाक का सवाल ही नहीं उठता।
 

Marriage Certificate : सुप्रीम कोर्ट का एक अहम फैसला आया जिसमें कहा गया कि मैरिज सर्टिफिकेट होने के बाद भी हिंदू कपल की शादी कोर्ट की नजरों में वैलिड नहीं है। हिंदू मैरिज एक्ट के विधि-विधान अनुसार की गई शादी की वैध होगी। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट तलाक के अर्जी पर सुनवाई कर रहा था। उन्होंने धार्मिक विधि विधान को पूरा किए बिना शादी करवा रखी थी। तो कोर्ट ने कहा कि वह कानूनी पति-पत्नी नहीं है, इसलिए तलाक का सवाल ही नहीं उठता।

क्या है शादी के लिए विधि विधान

भारतीय विवाह अधिकतर पर्सनल लॉज और स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत आते हैं। हर धर्म में पर्सनल लॉ में विवाह से जुड़े कई धार्मिक नियम और कायदे-कानून बनाए गए है। उनको पूरा करने पर ही एक विवाह को वैलिड माना जाएगा। जिस तरह हिंदू और ईसाइयों के लिए विवाह एक संस्कार और धार्मिक बंधन होता है। यह धर्म द्वारा चलाए गए रीति-रिवाज के अनुसार किया जाता है। जैसे की रीति रिवाज में कन्यादान, पाणिग्रहण, सप्तपदी आदि चीजों का पालन करना होता है। हिंदू मैरिज एक्ट की धारा में इन सात चीजों की आवश्यकताओं के बारे में बताया गया है।

इसी तरह मुस्लिम धर्म की बात की जाए तो इसमें दोनों पक्षों की लिखित और गांव की उपस्थिति दे होना जरूरी होता है। तभी यह शादी वैध मानी जाएगी। विवाह के समय लड़के और लड़की को अपनी मौखिक और लिखित सहमति देनी पड़ती है और निकाहनामे पर दस्तक करने पड़ते हैं।

मैरिज रजिस्ट्रेशन और रजिस्टर्ड मैरिज

मैरिज रजिस्ट्रेशन और रजिस्टर्ड मैरिज दोनों अलग-अलग चीज होती है। अगर किसी ने पर्सनल लॉ के अनुसार शादी की है, तो उसने कानून में बताए गए सारे विधि विधान का पालन किया है। तो ऐसी शादी का रजिस्ट्रेशन करवाया जा सकता है। इसे रजिस्ट्रेशन मैरिज बोला जाता है। वहीं रजिस्टर्ड मैरिज एक गैर धार्मिक शादी होती है जिसे कोर्ट में किया जाता है। यह शादी बिना किसी रीति रिवाज के रजिस्ट्रार कार्यालय में की जाती है।

मैरिज रजिस्ट्रेशन करवाने के फायदे

आप भी विवाह और तलाक संविधान की समवर्ती सूची में आते हैं। जहां शादी, जन्म और मृत्यु के रजिस्ट्रेशन का प्रावधान दिया गया है। हालांकि मैरिज रजिस्ट्रेशन को लेकर वैसा प्रावधान नहीं दिया गया है जैसा जन्म और मृत्यु को लेकर दिया गया है। मैरिज रजिस्ट्रेशन को लेकर अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग कानून है। एडवोकेट तिवारी के अनुसार जिस राज्य में मैरिज सर्टिफिकेट जरूरी है, वहां अगर नहीं बनवाया तो आपके पेनल्टी भरनी पड़ सकती है।