उत्तर प्रदेश में बाजार की तेजी ने बिगाड़ा सरकारी गेहूं खरीद का गणित, टारगेट पर बना खतरा
UP Hindi News : प्रदेश की मंडियों में भाव बढ़ जाने के कारण सरकारी गेहूं की खरीद लगभग हो चुकी है। किसानों को समर्थन मूल्य का लाभ दिलवाने के लिए सरकारी कार्य केंद्र भले ही 15 जून तक खोले गए हैं। लेकिन वहां पर खरीद का कार्य लगभग बंद पड़ चुका है।
Wheat Price in UP : सरकार ने इस बार गेहूं खरीद के लिए 66000 टन का लक्ष्य रखा था। लेकिन अब तक 8200 टन की खरीद हो पाई है। इन दिनों बाजार में गेहूं का भाव ₹2400 प्रति क्विंटल पहुंच जाने के कारण सरकार की उम्मीद लगभग टूट चुकी है।
यूपी की सरकारी गेहूं खरीद में आई बड़ी गिरावट, बाजार की तेजी ने बिगाड़ा गणित
उत्तर प्रदेश में पांच एजेंसी गेहूं की सरकारी रेटों पर खरीद कर रही है। इसके लिए फतेहपुर में 83 खरीद केंद्र खोले गए हैं। सरकारी खरीद का मूल्य 2275 प्रति क्विंटल तय किया गया है। जब तक बाजार में भाव कम चल रहा था, तो किसानों ने सरकारी खरीद केंद्र पर गेहूं बेचा। बाजार में भाव बढ़ जाने के बाद किसानों ने सरकारी खरीद केंद्रों का रुख करना बंद कर दिया। सरकारी खरीद केदो पर ₹20 प्रति क्विंटल उतराई देने के बाद भी किसान गेहूं लेकर नहीं जा रहे हैं।
गोदाम भरने के बाद करें केदो द्वारा घर से गेहूं खरीद की जा रही है। खरीद केंद्रों द्वारा गांव गांव जाकर गेहूं की खरीद की जा रही है। कड़े प्रयासों के बाद भी करीबन 8000 MT की खरीद हो पाई। जिसमें से करीबन 4000 MT गांव गांव जाकर खरीद की गई।
कब शुरू हुआ खरीद केंद्र
किसने की सुविधा के लिए इस बार 1 मार्च से ही खरीद केंद्रों को खोल दिया गया था। लेकिन गेहूं की आवक अप्रैल महीने में शुरू हो पाई। सरकारी एजेंसियों द्वारा 2290 रुपए की दर से खरीद की जा रही है। वही बाजार में ₹2400 तक खरीद हो रही है।
क्या बढ़ेगी खरीद की तारीख
जिला खाद्यान्न अधिकारी संजय कुमार ने बताया कि एमएसपी का उद्देश्य किसानों को न्यूनतम मूल्य दिलाना होता है। उन्होंने बताया कि खरीद का अंतिम समय 15 जून तक रखा गया था जिसे और भी बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष केवल 2600 टन की खरीद हो पाई थी जो इस बार बढ़कर 8200 टन तक पहुंच गई है।