मध्य प्रदेश का इंदौर बनेगा देश का पहला ग्रीन मोबिलिटी शहर, चलेगी सर्वाधिक ई-बसें 
 

MP News : मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में आम जनता का यातायात पहले से ज्यादा आसान होने वाला है। मध्य प्रदेश का इंदौर शहर देश का पहला ग्रीन मोबिलिटी सिटी बनने जा रहा है. शहर में 150 नई ई-बस चलाने की बड़ी तैयारी की जा रही है. इसके लिए बड़े स्तर पर चार्जिंग स्टेशन का निर्माण भी किया जाएगा. 

 

Indore News : आज के जमाने में पेट्रोल डीजल की बढ़ती कीमतों के चलते EV की तरफ रुझान काफी ज्यादा बढ़ रहा है. मध्य प्रदेश का इंदौर शहर देश का पहला ग्रीन मोबिलिटी शहर बनने की दिशा में बड़ा कदम आगे बढ़ा चुका है. प्रधानमंत्री ई-बस सेवा के तहत शहर में जल्द ही 150 इलेक्ट्रिक बसें चलने वाली हैं,, लेकिन एआईसीटीएसएल के लिए यह सफर महंगा पड़ेगा। इसे चलाने में 80 रुपए प्रति किमी का खर्च आएगा, जबकि कमाई सिर्फ 40 रुपए प्रति किमी होगी। इस घाटे को पाटने के लिए कंपनी ने नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग (यूएडीडी) को अतिरिक्त बजट का प्रस्ताव भेजा है। इस कवायद से यात्रियों पर आर्थिक बोझ नहीं पड़ेगा। 

लाखों यात्री करते हैं सफर 

एआईसीटीएसएल के पास 606 बसें हैं। इनमें 429 सिटी बसें, 51 आई-बस और 162 इंटर सिटी बसें हैं। औसतन सिटी बसों में रोजाना 1 लाख 33 हजार से ज्यादा यात्री सफर करते हैं। सीएनजी के दाम बढ़ने की वजह बसों के संचालन का प्रति किलोमीटर खर्च भी बढ़ गया है।  पेट्रोल और डीजल बसों की जगह ईवी आ रही हैं। 10 साल पहले तक 40 हजार यात्री सफर कर रहे थे, अब यह संख्या 2 लाख पहुंच गई है। वर्तमान में बसों में 50 हजार 376 यात्री और इंटर सिटी बसों में 20 से 25 हजार यात्री सफर कर रहे हैं।

नई ईवी बसों को चलाने में 80 रुपए प्रति किमी का खर्च आता है। आमदनी 40 रुपए प्रति किमी है। केंद्र सरकार से 22 रुपए प्रति किमी की आर्थिक मदद मिलेगी। यानी 80 रुपए में से 62 रुपए एआईसीटीएसएल को मिलेंगे। 18 रुपए प्रति किमी के अंतर को पाटने के लिए यूएडीडी को प्रस्ताव भेजा गया है। अगर यूएडीडी से हर साल 17.49 करोड़ रुपए मिलते हैं तो इस घाटे की भरपाई हो जाएगी। बसें नो-प्रॉफिट, नो-लॉस के आधार पर चलेंगी। 10 साल में 170 करोड़ रुपए की जरूरत होगी।

सिटी बसों की कमाई और खर्च का गणित ऐसे समझें

एक बस रोजाना 180 किमी चलती है।  इसके अनुसार 150 बसें एक साल में 97 लाख 20 हजार किलोमीटर की दूरी तय करेंगी।

एआईसीटीएसएल को यह दूरी तय करने के लिए 77 करोड़ 76 लाख रुपए से अधिक खर्च करने होंगे। बसों से 38 करोड़ 80 लाख रुपए की आय होने का अनुमान है।

* यदि केंद्र सरकार 22 रुपए प्रति किलोमीटर की दर से भी राशि देती है, तो भी कंपनी को 21 करोड़ 38 लाख रुपए की वित्तीय सहायता मिल सकेगी।

* 18 रुपए प्रति किलोमीटर के घाटे को पूरा करने के लिए 17 करोड़ 49 लाख रुपए की वित्तीय सहायता की आवश्यकता होगी।