MP की राजधानी को मिली बड़ी सौगात, बनेगा जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरण, आर्थिक गतिविधियां पकड़ेगी रफ्तार
MP News : मध्य प्रदेश के भोपाल शहर को बड़ी सौगात मिली है। बुधवार को जारी अधिसूचना में केंद्र सरकार ने पुष्टि की है कि मध्य प्रदेश में बनने वाला जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरण राजधानी भोपाल में बनेगा।
GST Appellate Tribunal : भोपाल को बुधवार को बड़ी सौगात मिली। बुधवार को जारी अधिसूचना में केंद्र सरकार ने पुष्टि की है कि मध्य प्रदेश में बनने वाला जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरण राजधानी भोपाल में बनेगा। पिछले साल केंद्र सरकार ने राज्यों में जीएसटी में जीएसटी बेंच स्थापित करने का निर्णय लिया था। इंदौर अपील के लिए काफी प्रयास कर रहा था और उनका दावा था कि चूंकि यह प्रदेश की आर्थिक राजधानी है, इसलिए इसे इंदौर में ही होना चाहिए। इधर, भोपाल के उद्योग और व्यापार जगत ने इस निर्णय का स्वागत किया है और कहा है कि कई वर्षों के बाद राजधानी को एक बड़ी केंद्रीय संस्था का तोहफा मिला है। इससे ही भोपाल में आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी और उद्योग और व्यापार को बढ़ावा मिलेगा।
छत्तीसगढ़ के अलग होने से व्यापार आधा हो गया था
अखिल भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के महामंत्री अनुपम अग्रवाल ने कहा कि छत्तीसगढ़ के विभाजन के बाद भोपाल का व्यापार आधा हो गया था। न्यायाधिकरण की स्थापना से आर्थिक गतिविधियां भी बढ़ेंगी। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के प्रदेश प्रवक्ता धर्मेंद्र शर्मा ने बताया कि सालों बाद राजधानी को उद्योग और व्यापार के लिए एक बड़ा संस्थान मिला है। इससे शहर के व्यापारियों को स्थानीय स्तर पर जीएसटी अपील की सुविधा मिलेगी।
लोगों को कम खर्च में न्याय मिलेगा
भोपाल टैक्स लॉ बार के अध्यक्ष मृदुल आर्य ने बताया कि ट्रिब्यूनल से भोपाल और आसपास के लोगों को कम खर्च में न्याय मिलने की उम्मीद रहेगी। जीएसटी विशेषज्ञ मुकुल शर्मा के मुताबिक मध्य प्रदेश में सर्किट बेंच नहीं दी गई है। जिन शहरों में ज्यादा मामले होते हैं, वहां केस की सुनवाई करने वाले को सर्किट बेंच कहा जाता है। इंदौर में यह दी जानी चाहिए थी।
इंदौर में उठी थी जोरदार मांग
इंदौर में बड़ी आर्थिक गतिविधियों का हवाला देते हुए शहर के व्यापारियों और जनप्रतिनिधियों ने इंदौर में ट्रिब्यूनल की स्थापना की मांग को लेकर अभियान चलाया था। व्यापारियों ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखा था। इंदौर के सांसद शंकर लालवानी ने भी संसद में मामला उठाया था। मामला हाईकोर्ट भी पहुंचा था।