मध्य प्रदेश में अब तुरंत होगी एडवांस मिल्क स्कैनर से दूध में मिलावट की जांच
MP News : अब मध्य प्रदेश राज्य में दूध की मौके पर ही दो मिनट में जांच की जा सकेगी। इसके अंतर्गत राज्य के प्रत्येक जिले को केंद्र सरकार के द्वारा एक आधुनिक मिल्क स्कैनर दिया जाएगा। इसकी मदद से दूध में पानी, यूरिया, ग्लूकोज, डिटर्जेंट और अन्य घटकों की मात्रा का पता चलेगा। नवंबर से अक्टूबर तक मिल्क स्कैनर मिलने की उम्मीद जताई जा र ही है।
लैक्टोमीटर से पानी की मिलावट की जांच
अभी मौजूदा समय में पानी की मिलावट को मौके पर ही लैक्टोमीटर से पता लगाया जा रहा है, लेकिन अन्य परिस्थितियों की जांच के लिए सैंपल भोपाल में बनी हुई राज्य खाद्य प्रयोगशाला में टेस्टिंग के लिए भेजे जाते हैं। इसके अलावा, यहां पर मिल्कोमीटर से जाँच करने में लगभग एक महीने का समय लगता है। अब खाद्य सुरक्षा अधिकारी जिलों में कहीं भी मिल्क स्कैनर ले जाकर दूध की जांच करवा सकते हैं।
इस क्षेत्र के दूध में मिली थी, ज्यादा मिलावट
नियामक खाद्य और औषधि प्रशासन के अधिकारियों ने जानकारी दी है, जिसमें एक मिल्क स्कैनर लगभग दो लाख रुपये का है। 2020 में, स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेश भर में "मिलावट से मुक्ति" अभियान चलाया था। उस समय ग्वालियर चंबल क्षेत्र में दूध और दूध से बनी सामग्री में सबसे अधिक मिलावट मिली थी।
सैंपल की जांच में लग रहा, एक महीने का समय
राज्य प्रयोगशाला में पुरे प्रदेशभर से इतनी ज्यादा मात्रा में सैंपल भेजे गए कि 6 महीने में भी इन सैंपल की जांच पूरी नहीं की जा सकी थी, मगर, खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम (FSSAI) के मुताबिक वैध सैंपलों की जांच 14 दिन में होना अनिवार्य होता है, लेकिन इसके बावजूद अभी भी सैंपलों की जांच करने में लगभग 1 महीने का टाइम लगता है। अब मिल्क स्कैनर से निगरानी और वैध दोनों तरह के सैंपल लिए जा सकेंगे।
प्रदेश को मिलेगी 40 चलित लैब
केंद्र इस वर्ष के अंत तक राज्य को चालिस चलित लैब भी देने जा रहा है। इनमें सभी दूध मापदंडों की जांच की जा सकेगी। विभिन्न खाद्य पदार्थों की भी जांच चलित लैब में होगी। अभी तक प्रदेश में 15 चलित लैब मौजूद हैं, मगर लोगों के लिए इन लैब की मात्रा बहुत कम है।