Jalore-Jhalawar Expressway: राजस्थान में बनेगा 402 Km लंबा एक्सप्रेसवे, सफऱ में 6 घंटे कम लगेंगे

Rajasthan News : राजस्थान की भजन लाल सरकार ने पूर्वी राजस्थान और पश्चिमी राजस्थान को आपस में कनेक्ट करने के लिए बड़ा कदम उठाया है। राजस्थान के दो अलग-अलग संस्कृति वाले शहरों बीच 402 किलोमीटर लंबा ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे बनाया जाएगा। इस एक्सप्रेसवे के लिए 3618 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण  किया जाएगा। ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे के निर्माण के बाद पर्यटन और एग्रीकल्चर सेक्टर में बूम आने की काफी ज्यादा संभावना है। 

 

Jalore-Jhalawar Green Field Expressway : राजस्थान की भजन लाल सरकार ने रोड इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर बजट में कई बहुत बड़े फैसले किए है. प्रदेश की भजन लाल सरकार ने पूर्वी राजस्थान और पश्चिमी राजस्थान को आपस में कनेक्ट करने के लिए जालोर झालावाड़ ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे (Jalore-Jhalawar Green Field Expressway) का निर्माण किया जाएगा। राजस्थान का झालावाड़ जिला मध्य प्रदेश के बॉर्डर का जिला है। मध्य प्रदेश में सीधी एंट्री राजस्थान के झालावाड़ जिले से होती है. इस ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस के निर्माण के बाद राजस्थान के अलग-अलग संस्कृति वाले क्षेत्र आपस में एक दूसरे से कनेक्ट हो जाएंगे। इस एक्सप्रेसवे के लिए 3618 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण  किया जाएगा।

मारवाड़ का मध्य प्रदेश से सीधा जुड़ाव होगा 

जालोर झालावाड़ ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे से मारवाड़ का मध्य प्रदेश से सीधा जुड़ाव हो जाएगा. फिलहाल अब तक यह तय नहीं हुआ है की दक्षिणी पूर्वी राजस्थान के झालावाड़ को पश्चिमी राजस्थान के जालौर से किस मार्ग से कनेक्ट किया जाएगा। लेकिन यह मालूम है कि यह एक्सप्रेसवे प्रदेश के दो अलग-अलग संस्कृति वाले शहरों को आपस में कनेक्ट करने में अहम योगदान निभाने वाला है। बता दें कि जालोर मारवाड़ का हिस्सा है और वही झालावाड़ हाड़ौती का हिस्सा है। 

3618 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण  किया जाएगा

जालोर झालावाड़ ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे जालौर में अमृतसर जामनगर इकोनामिक कॉरिडोर से शुरू होकर झालावाड़ में दिल्ली मुंबई एक्सप्रेसवे से कनेक्ट होगा। इस एक्सप्रेसवे की लंबाई 402 किलोमीटर होगी। वर्तमान समय में हाईवे से 578 किलोमीटर इन दो शहरों के बीच की दूरी है। इस दूरी को तय करने में 10.3 घंटे का समय लगता है। इस एक्सप्रेसवे के निर्माण के बाद सफर तय करने में मात्र चार घंटे का समय लगेगा। जालोर झालावाड़ ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे को बनाने में 16267 करोड रुपए की धनराशि खर्च होगी। इस एक्सप्रेसवे के लिए 3618 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया जाएगा।

इन इलाकों से होकर गुजरेगा ग्रीन फील्ड एक्सप्रेसवे 

जालोर और झालावाड़ के बीच एक ग्रीन फील्ड एक्सप्रेसवे बनाने का विचार है. यह जालोर से सिरोही उदयपुर, चित्तौड़, बेगू, बिजौलिया, रावतभाटा, मोडक और चेचट होते हुए झालावाड़ तक जा सकता है। लेकिन वन विभाग इसमें सबसे बड़ी चुनौती हो सकता है। क्योंकि इस क्षेत्र का बहुत सा हिस्सा वन विभाग के संरक्षित क्षेत्र में आता है। यदि झालावाड़ को दूसरी तरह से जोड़ा जाए तो जालोर से सिरोही उदयपुर, चित्तौड़गढ़ निम्बाहेड़ा और नीमच तक जाना होगा। लेकिन इसमें मध्यप्रदेश का कुछ हिस्सा शामिल है। जबकि यह सिर्फ राजस्थान का काम है।

किसानों को होगा बड़ा फायदा 

राजस्थान के लहसुन उत्पादक किसानों को इस एक्सप्रेसवे से दूसरा बड़ा लाभ मिल सकता है। नीमच, झालावाड़ से सटे मध्यप्रदेश में एक बड़ी लहसुन मंडी है। यहां राजस्थान के हजारों किसान अपना लहसुन बेचते हैं। उन किसानों के लिए यह रास्ता काफी ज्यादा फायदेमंद साबित हो सकता है। इस एक्सप्रेस वे को उदयपुर और चित्तौड़गढ़ से गुजरते हुए मारवाड़ से पर्यटकों को मेवाड़ जाने का सीधा रास्ता मिलता है। उदयपुर और चित्तौड़ बड़े ट्यूरिस्ट गंतव्य हैं।

हालाँकि यह स्पष्ट नहीं है कि एक्सप्रेसवे कहाँ से गुजरेगा, लेकिन लोगों की आशा बढ़ने लगी है। झालावाड़ और कोटा के बीच स्थित रामगंजमंडी मसाला हब है। रामगंजमंडी क्षेत्र जीरे का उत्पादन करता है। जालोर भी जीरे की अच्छी फसल देता है। इस एक्सप्रेसवे के बन जाने के बाद नगदी फसल वाले क्षेत्र आपस में जुड़ सकते हैं। इससे नवीन संभावनाएं पैदा होती हैं।