उत्तर प्रदेश के इस जिले में आएगी विकास की बहार, खत्म हुआ सालों का इंतजार, चकाचक होगी सड़के 
 

UP News : उत्तर प्रदेश के इस जिले में इंदिरापुरम आवास योजना को लेकर बड़ी खुश करने वाली खबर सामने आई हैं। इस नगर निगम में टूटी सड़कों, बदहाल पार्कों से लोगों को निजात मिलेगी। बता दे की की साल 2011 से पत्राचार की प्रक्रिया चल रही है। 

 

Uttar Pradesh  News : उत्तर प्रदेश के इस जिले में आवासीय योजना को ट्रांसफर करने की प्रक्रिया आचार संहिता हटते ही शुरू हो जाएगी। उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में नगर निगम में ट्रांसफर होगी इंदिरापुरम आवासीय योजना। नगर निगम मैं ट्रांसफर की प्रक्रिया अब ड्रोन के सर्वे से की जाएगी। आवश्यक योजना को नगर निगम में ट्रांसफर करने के लिए जीडीए और नगर निगम की संयुक्त कमेटी का सर्वे पूरा हो चुका है। इस योजना की विस्तृत रिपोर्ट एक सप्ताह के अंदर तैयार करने को कहा गया। 

साल 1987 में इंदिरापुरम को जीडीए ने बसाया था। इस आवासीय योजना में सबसे पहले न्याय खंड को बनाया गया था। साल 1994 में 1222 एकड़ में फैली इस कॉलोनी में लोगों ने रहना शुरू किया था। नगर निगम को प्राधिकरण की ओर से साल 2011 में हैंडओवर को लेकर पत्र भेजा गया था।

2011 से पत्राचार की प्रक्रिया 

हस्तांतरण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए अब जीडीए उपाध्यक्ष अतुल वत्स ने एक कमेटी बनाई है। कमेटी, जिसे जीडीए सचिव राजेश कुमार सिंह ने अध्यक्षता की है, प्राधिकरण और नगर निगम के सभी अनुभागों के अधिकारियों को शामिल करती है। इंदिरापुरम योजना का संयुक्त सर्वे भी उन्होंने किया है। ड्रोन सर्वे अब होगा। फिर इस हफ्ते इसकी विस्तृत रिपोर्ट बनाई जाएगी, जिसमें सभी भागों का विवरण दिया जाएगा। फिर आचार संहिता हटने के बाद इसे दिया जाएगा।

टूटी सड़कों और खराब पार्कों से छुटकारा मिलेगा

इंदिरापुरम नगर निगम में सात वार्ड हैं। इनमें से अधिकांश पार्षद क्षेत्र में अपने हिस्से का धन खर्च नहीं कर पाते हैं। ऐसे में, यह योजना निगम को हैंडओवर हो जाती है, इसलिए यह पार्षद यहाँ अपना धन खर्च कर सकता है। इससे स्थानीय लोगों को खराब सड़कों से छुटकारा मिलेगा। हालाँकि, पार्क और हरित पट्टियों में भी हरियाली वापस आ जाएगी।

इंदिरापुरम को लेकर रिपोर्ट विस्तृत होगी। उसमें इंदिरापुरम से मिलने वाली आय और खर्च की जानकारी दी जाएगी। साथ ही पार्क, सड़कें, सीवरेज, ड्रेनेज, स्ट्रीट लाइट्स और कूड़ा निस्तारण केंद्रों की संख्या, स्थिति और लागत। साथ ही वहां संपत्ति का मूल्य क्या है।