ऐसा दिखेगा देश का पहला सोलर एक्सप्रेसवे, इतने लाख घरों को मिलेगी बिजली
Saral Kisan : उत्तर प्रदेश देश का पहला सोलर एक्सप्रेसवे बन रहा है। इसका नाम बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे है। पीपीपी मॉडल के तहत सोलर प्लांट्स बनाए जाएंगे। 550 मेगावॉट सोलर पावर इससे उत्पादित होगा। इस परियोजना से जुड़े लगभग एक लाख घरों को हर दिन बिजली मिल सकेगी। बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे को उत्तर प्रदेश के एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (UPEIDA) ने सोलर एक्सप्रेसवे बनाने की योजना बनाई है।
इसके लिए राजमार्ग पर 1700 हेक्टेयर जमीन भी अधिग्रहण की गई है। इस परियोजना में कई बड़ी कंपनियां शामिल हैं। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, आठ बड़े सोलर पावर डेवलपर्स ने अपनी प्रेजेंटेशन समाप्त कर दी है। टास्को, टोरेंट पॉवर सोमाया सोलर सॉल्यूशन, आर मैनेजमेंट, एरियाश मोबिलिटी, एरिया वृंदावन पॉवर और अवाड़ा एनर्जी इसमें शामिल हैं।
सरकार बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे को सौर ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सोलर एक्सप्रेसवे बना रही है। इस परियोजना को उत्तर एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) ने संभाला है। परियोजना 25 वर्ष की होगी। कंपनी के चयन को जल्द ही पूरा करने की कोशिश की जा रही है। सोलर प्लांट्स को सार्वजनिक निजी भागीदारी (PPP) मॉडल में लगाया जाएगा। इसके लिए भी बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे पर 1700 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहण की गई है। 15 से 20 मीटर चौड़ी एक पट्टी, मुख्य मार्ग और सर्विस लेन के बीच में एक्सप्रेसवे में खाली है, जहां सोलर पैनल लगाने की योजना बनाई जा रही है।
बता दें कि उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (UPEIDA) के तत्वावधान में 296 किमी लंबे चार-लेन एक्सप्रेसवे का निर्माण लगभग 14,850 करोड़ रुपये की लागत से हुआ है। बाद में इसे छह लेन तक भी बढ़ा सकते हैं। बुंदेलखंड क्षेत्र को आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे से जोड़ता है जो इटावा के पास है। यह आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे से मिलते हुए चित्रकूट जिले के भरतकूप के पास गोंडा गांव में NH-35 से इटावा जिले के कुदरैल गांव तक फैला हुआ है। चित्रकूट, बांदा, महोबा, हमीरपुर, जालौन, औरैया और इटावा सात जिलों से गुजरती है।
सोलर प्लांट एक्सप्रेसवे पर लगाया जा रहा है क्योंकि यह पूरी तरह से अनुकूल है। जमीन यहां आसानी से उपलब्ध है। इस स्थान पर आसमान भी साफ रहता है। यह क्षेत्र शुष्क है।
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