Indian Railways : 210 करोड़ रुपये की लागत से रेलवे करेगा 500 करोड़ की बचत, लगाई ये तकनीक

भारतीय रेवले बचत करने के लिए नए उपाय लेकर आया है। जिसके तहत 210 करोड़ रुपये में से करीब 500 करोड़ रूपये की बचत की जा सकेगी। एक उपाया पर जोरो-शोरो से काम चल रहा है।
 

Railways : भारतीय रेलवे ने अपनी आय और बचत में वृद्धि के लिए कई नए उपाय अपनाने का प्रयास किया है, जिनमें भारतीय रेलवे की किराए में फेरबदल की आवश्यकता नहीं होती। इन उपायों में से एक उपाय तेजी से काम कर रहा है, जिससे रेलवे को 500 करोड़ रुपए से अधिक की बचत हो रही है।

इस योजना के तहत, रेलवे ने अपने सभी 411 वाशिंग पिट पर बिजली की आपूर्ति में बदलाव किया है। पहले, वाशिंग पिट पर 25 हजार वोल्ट की बिजली आपूर्ति होती थी, लेकिन नए तंत्र लगाने के बाद इसे 740 वोल्ट पर बढ़ा दिया गया है। इससे एलएचबी कोच आने और जाने में बिजली की जरूरत नहीं होगी, जिससे रेलवे की बिजली की खपत में कमी होगी।

इस परियोजना के लिए करीब 210 करोड़ रुपए की लागत आई है और इससे एलएचबी कोच की रैकों का अच्छा रखरखाव सुनिश्चित हो सकेगा। पूर्व मध्य रेलवे की पिट लाइन में 750 वोल्ट की बिजली आपूर्ति पर काम शुरू किया गया है और इसका काम पूरे रेलवे नेटवर्क में विस्तार किया जा रहा है। जुलाई तक, 316 वाशिंग पिट लाइनों पर काम किया गया है और बचे हुए पिट लाइनों का काम दूसरी तिमाही में पूरा किया जाना लक्ष्यित है।

इस परियोजना का उद्देश्य खर्च को कम करना और दक्षता में सुधार करके यात्री सेवाओं और ट्रेनों के परिचालन में सुधार लाना है, जिससे रेलवे 2030 तक नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य पूरा कर सके। रेलवे ने वर्ष 2018 से पुराने आईसीएफ कोच के उत्पादन को बंद कर दिया था और उन्हें एलएचबी कोच में बदलने का निर्णय लिया था।

इसके साथ ही, एलएचबी कोचों में लगे हेड ऑन जेनरेशन (एचओजी) के बेहतर उपयोग पर भी काम किया जा रहा है। इससे विद्युत आपूर्ति की बढ़ी जाती है और एलएचबी कोच के रैकों में जेनरेटर की आवश्यकता समाप्त हो जाती है। यह उपयोगकर्ताओं के लिए सुविधाजनक है और रेलवे की प्रयासों में एक और बड़ी कदम है जो उनकी सेवाओं को सुधारने और पर्यावरण के प्रति सावधानी बढ़ाने का हिस्सा है।

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