नोएडा-ग्रेटर नोएडा में अगर इन प्रोजेक्ट्स में किया है फ्लैट बुक! कैंसल कर सकती है अथॉरिटी

नोएडा: यदि आपका फ्लैट नोएडा और ग्रेटर नोएडा में फंसा है, तो यह खबर आपके लिए है। इन इलाकों में रुके हुए प्रोजेक्ट्स को पूरा करने के लिए दोनों अथॉरिटीज ने एक ठोस प्लान बनाया है।
 

Property News : नोएडा: यदि आपका फ्लैट नोएडा और ग्रेटर नोएडा में फंसा है, तो यह खबर आपके लिए है। इन इलाकों में रुके हुए प्रोजेक्ट्स को पूरा करने के लिए दोनों अथॉरिटीज ने एक ठोस प्लान बनाया है। ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्ट्स की समस्याओं को दूर करने, डेवलपर्स से बकाया वसूलने और रजिस्ट्री को प्रमोट करने के लिए एक छह सूत्री योजना बनाई गई है। इसके मुताबिक उन प्लॉट्स का अलॉटमेंट कैंसल कर दिया जाएगा जिनमें अब तक प्रोजेक्ट शुरू नहीं हुआ है।

अगर प्रोजेक्ट अटका हुआ है तो इसमें को-डेवलपर्स के जरिए इसे पूरा करने की अनुमति दी जाएगी। डेवलपर्स को प्लॉट सरेंडर करने की अनुमति ही जाएगी। जो बिल्डर्स इन विकल्पों का इस्तेमाल नहीं करेंगे उनके प्लॉट का अलॉटमेंट कैंसल भी किया जा सकता है।

योजना के मुताबिक बिल्डर्स के लिए बकाये के भुगतान को रिशेड्यूल किया जाएगा और कंप्लीट होने के करीब पहुंच चुके प्रोजेक्ट्स के लिए सबलीज डीड्स की प्रोसेस को आसान बनाया जाएगा। अगर डेवलपर्स इन विकल्पों का इस्तेमाल करने में नाकाम रहते हैं तो उन्हें ब्लैकलिस्ट किया जा सकता है या उनके खिलाफ रिकवरी सर्टिफिकेट जारी किया जा सकता है।

अधिकारियों का कहना है कि जून में जब मुख्यमंत्री नोएडा आए थे, तो उनके समक्ष यह प्रस्ताव रखा गया था। इसी महीने हुए बोर्ड मीटिंग में इस पर चर्चा हुई थी। इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कमिश्नर और दोनों डेवलपमेंट अथॉरिटीज के चेयरपर्सन मनोज कुमार सिंह ने अधिकारियों को इस बारे में एक व्यापक रिपोर्ट बनाने को कहा था।

कैसे पूरे होंगे प्रोजेक्ट

उन्हें इन प्रस्तावों की तुलना नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत की अगुवाई वाली केंद्रीय कमेटी की सिफारिशों से करने को कहा गया था। कांत समिति ने रुके हुए प्रोजेक्ट्स पर अपनी सिफारिशें दी थीं। नोएडा और ग्रेटर नोएडा के बिल्डरों पर दोनों अथॉरिटीज का 41,000 करोड़ रुपये से ज्यादा बकाया है। इसमें से 26,570 करोड़ रुपये की रकम नोएडा अथॉरिटी की है।

अधिकारियों का कहना है कि जिन प्रोजेक्ट्स में अलॉटमेंट के कई साल बाद भी काम शुरू नहीं हो पाया है, उनका प्लॉट कैंसल किया जा सकता है। डिपॉजिटेड अमाउंट में से लीज डीड की अमाउंट काटकर बाकी राशि एक एस्क्रू अकाउंट में डाली जाएगी ताकि होमबायर्स का पैसा लौटाया जा सके।

जो प्रोजेक्ट करीब-करीब पूरे होने वाले हैं, उनके लिए को-डेवलपर्स नियुक्त करने की योजना है। इससे होमबायर्स को फ्लैट पर कब्जा और अथॉरिटीज को उनका बकाया मिल पाएगा। बकाया वसूलने का एक और तरीका यह है कि अगर बिल्डर्स प्रोजेक्ट्स को पूरा नहीं कर पा रहा है तो वह इसे सरेंडर कर सकता है।

अथॉरिटीज साथ ही रिशेड्यूल पॉलिसी को फिर से लाने के लिए भी तैयार हैं। इससे डेवलपर्स को किस्तों में भुगतान के लिए दो साल का समय मिल जाएगा। नोएडा में 10 और ग्रेटर नोएडा में 20 प्रोजेक्ट्स ने इस पॉलिसी को अपनाया था। इस साल जनवरी में इसे तीन महीने के लिए लाया गया था। अधिकारियों का कहना है कि फिर तीन महीने के लिए इसे लाया जा सकता है।

रजिस्ट्री कैसे होगी

अधिकारियों ने साथ ही यह प्रस्ताव भी रखा है कि जो प्रोजेक्ट्स लगभग पूरे हो चुके हैं लेकिन देनदारी क्लियर नहीं कर पा रहे हैं, उनमें फ्लैट्स की रजिस्ट्री की अनुमति दी जा सकती है। ऐसे मामलों में अथॉरिटी बिना बिके फ्लैट्स और कमर्शियल तथा इंस्टीट्यूशनल प्रोजेक्ट के लिए डेजिगनेटेड एरिया का कब्जा लेगी।

इसके बाद अनसोल्ड इनवेंट्री, कमर्शियल और इंडस्टीट्यूशन प्रोजेक्ट्स की वैल्यू के बराबर फ्लैट्स की रजिस्ट्री की अनुमति होगी। दूसरा विकल्प यह होगा कि बिल्डर्स के बिना बिके फ्लैट्स को मोर्टगेज कोलेट्रल के रूप में लिया जाएगा और इन की वैल्यू के बराबर होमबायर्स के फ्लैट्स की रजिस्ट्री की अनुमति दी जाएगी।

ये पढ़ें : Property Ownership :अगर इतने साल है जमीन पर किसी का कब्जा, बन जायेगा वह मालिक