अगर आप भी फंसे है बिल्‍डर के चंगुल में! पैसा देने के बाद भी नहीं मिली प्रॉपर्टी, क्‍या कर सकता है ग्राहक

रियल एस्‍टेट नियामक प्राधिकरण यानी रेरा (Rera) का गठन किया गया था मकान और प्रॉपर्टी खरीदारों की मदद के लिए, परंतु बिल्‍डर्स की मनमानी के आगे फिलहाल यह कानून कुछ नहीं कर पा रहा है. अभी तक के आंकड़े तो यही बताते हैं.
 

New Delhi: UP के नोएडा में रहने वाले रमन कुमार ने की सालों की मेहनत के बाद फ्लैट खरीदा.  बुकिंग के समय तो बिल्‍डर ने साफ कहा था कि 3 साल में फ्लैट पूरी तरह बन जाएगा. इसके बाद रमन ने फ्लैट का पूरा पैसा दे दिया, परंतु 7-8 साल बीतने के बावजूद अभी तक उन्‍हें फ्लैट का पजेशन नहीं मिल पाया है. परेशान होकर रमन ने अपने पैसे वापस मांगने शुरू कर दिए. बिल्‍डर लगातार आनाकानी करता रहा तो उन्‍होंने हारकर रेरा की मदद लेने का फैसला लिया गया.

दरअसल, रियल एस्‍टेट नियामक प्राधिकरण यानी रेरा (Rera) का गठन किया गया था मकान और प्रॉपर्टी खरीदारों की मदद के लिए, परंतु बिल्‍डर्स की मनमानी के आगे फिलहाल यह कानून कुछ नहीं कर पा रहा है. अभी तक के आंकड़े तो यही बताते हैं. खासकर नोएडा जैसे शहर में बिल्‍डर्स की मनमानी के कारण से मकान खरीदारों को काफी मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है.

इकोनॉमिक टाइम्‍स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, प्रोजेक्‍ट में देरी के बाद ग्राहक को पैसे दिलाने के लिए रेरा की ओर से सैकड़ों ग्राहकों को रकिवरी सर्टिफिकेट (RCs) जारी हुए हैं. परंतु, रेरा के RC जारी करने के बावजूद बिल्‍डर्स की मनमानी थमती नहीं दिख रही है. आलम ये है कि वर्ष 2018 के बाद से RC जारी होने पर भी सिर्फ 5 फीसदी ग्राहकों को ही अभी तक पैसे मिला हैं.

यूपी रेरा के रूल 23 और रेरा एक्‍ट के सेक्‍शन 40(1) के मुताबिक, जब प्रोजेक्‍ट में देरी या किसी कमी की वजह से ग्राहक बिल्‍डर से पैसे वापस मांगने के लिए रेरा में रिफंड की गुहार लगाता है तो RC जारी की जाती है. रेरा की ओर से RC जारी होने के बाद इस पर तामील कराने की जिम्‍मेदारी जिला प्राधिकरण की होती है. रेरा ने साल 2018 से अब तक करीब 2,352 RC जारी की है, जिसमें 875.6 करोड़ रुपये रिफंड का आदेश था. जुलाई, 2023 तक इसमें से सिर्फ 118 RC के तहत 98.6 करोड़ रुपये ही रिफंड किए जा सके हैं. यह रेट लगभग 5 फीसदी है.

अधिकारी ने कहा कि RC पर अमल करने का काम तेजी से चल रहा है. कुछ मामलों को मकान खरीदारों और डेवलपर्स के बीच साझेदारी से निपटारा किया जा रहा है. परंतु, रेरा अधिकारियों और लोकल अथॉरिटीज के बीच बातचीत की कमी से अभी उतनी तेजी नहीं आई है. यही कारण है कि कई मामले एनसीएलटी (NCLT) सहित कई कोर्ट में भी चल रहे हैं.

ये पढ़ें : उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने बिजली उपभोक्ताओं को दी बड़ी राहत, बिल भरने में मिलेगी छूट