Hyperloop Train in India : भारत में कब चलेगी 800 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड वाली हाइपरलूप ट्रेन

भारत में हाइपरलूप टेक्नोलॉजी वाली ट्रेन में अभी टाइम है। नीति आयोग के सदस्य वी के सारस्वत ने रविवार को यह बात कही। उन्होंने कहा कि भारत द्वारा निकट भविष्य में अत्यधिक तेज गति की ट्रेन के लिए हाइपरलूप टेक्नोलॉजी को अपनाने की संभावना नहीं है।
 

Saral Kisan : भारत में हाइपरलूप टेक्नोलॉजी वाली ट्रेन में अभी टाइम है। नीति आयोग के सदस्य वी के सारस्वत ने रविवार को यह बात कही। उन्होंने कहा कि भारत द्वारा निकट भविष्य में अत्यधिक तेज गति की ट्रेन के लिए हाइपरलूप टेक्नोलॉजी को अपनाने की संभावना नहीं है। सारस्वत ने कहा कि अभी यह टेक्नोलॉजी परिपक्वता के 'बहुत निचले स्तर' पर है और फिलहाल यह आर्थिक रूप से व्यवहार्य भी नहीं है।

सारस्वत वर्जिन हाइपरलूप टेक्नोलॉजी की तकनीकी और व्यावसायिक व्यवहार्यता का पता लगाने के लिए गठित एक समिति की अगुवाई कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कुछ विदेशी कंपनियों ने भारत में यह टेक्नोलॉजी लाने में रुचि दिखाई है। सारस्वत ने एक इंटरव्यू में कहा, 'जहां तक हमारा सवाल है, हाइपरलूप टेक्नोलॉजी के बारे में हमने पाया कि विदेशों से जो प्रस्ताव आए थे, वे बहुत व्यवहार्य विकल्प नहीं हैं। वे टेक्नोलॉजी की परिपक्वता के बहुत निचले स्तर पर हैं।'

वैक्यूम में चलती है हाइपरलूप

हाइपरलूप एक 'हाई-स्पीड' ट्रेन है, जो ट्यूब में वैक्यूम में चलती है। यह तकनीक इलेक्ट्रिक कार कंपनी टेस्ला और अंतरिक्ष परिवहन कंपनी स्पेसएक्स का स्वामित्व रखने वाले एलन मस्क द्वारा प्रस्तावित है। सारस्वत ने कहा, 'इसलिए हमने आज की तारीख तक इसे ज्यादा महत्व नहीं दिया है। यह सिर्फ एक स्टडी प्रोग्राम है। मुझे नहीं लगता कि निकट भविष्य में हाइपरलूप टेक्नोलॉजी हमारे परिवहन ढांचे में शामिल होगी।'

वर्जीन हाइपरलूप का 2020 में हुआ था टेस्ट

वर्जिन हाइपरलूप का परीक्षण 9 नवंबर, 2020 को अमेरिका के लास वेगास में 500 मीटर के ट्रैक पर एक पॉड के साथ आयोजित किया गया था। इसमें एक भारतीय और अन्य यात्री सवार थे। इसकी रफ्तार 161 किलोमीटर प्रति घंटा से अधिक थी। सारस्वत के मुताबिक, अभी तक जो पेशकश आई हैं, उनमें टेक्नोलॉजी की परिपक्वता का स्तर काफी कम है। उन्होंने कहा, 'हम इस तरह की टेक्नोलॉजी में निवेश नहीं कर सकते।' वर्जिन हाइपरलूप उन मुट्ठी भर कंपनियों में से है जो यात्री परिवहन के लिए ऐसी प्रणाली बनाने की कोशिश कर रही हैं।

प्राइवेट सेक्टर बैटरी प्रोडक्शन में आगे आए

चीन से लिथियम आयात पर भारत की निर्भरता संबंधी सवाल पर सारस्वत ने कहा कि आज की तारीख में भारत में लिथियम आयन बैटरी का उत्पादन बहुत कम है, इसलिए हम इसके लिए चीन और अन्य स्रोतों पर निर्भर हैं। उन्होंने कहा कि हमारी ज्यादा निर्भरता चीन पर है, क्योंकि चीन की बैटरियां सस्ती हैं। उन्होंने इस बात का जिक्र किया कि भारत ने देश में बैटरी विनिर्माण सुविधाएं स्थापित करने के लिए प्रोत्साहन दिया है। सारस्वत ने कहा, 'उम्मीद है कि अगले साल आपके पास कुछ कारोबारी घराने होंगे जो देश में बड़े पैमान पर लिथियम-आयन बैटरी का निर्माण करने के लिए आगे आएंगे।'

लिथियम-आयन का 75% आयात चीन से

लिथियम-आयन का लगभग 75 फीसदी आयात चीन से होता है। लिथियम खनन के लिए भारत द्वारा चिली और बोलिविया से बात करने की खबरों पर सारस्वत ने कहा कि एक सुझाव था कि भारत को चिली, अर्जेंटीना और अन्य स्थानों में कुछ खनन सुविधाओं के अधिग्रहण के लिए जाना चाहिए। उन्होंने कहा, 'हुआ यह है कि सरकार इन देशों में खानों के अधिग्रहण के लिए जाती, उससे पहले ही हमारे निजी क्षेत्र ने इन देशों की कंपनियों से करार कर लिया। उन्होंने इन देशों से लिथियम के लिए के लिए आपूर्ति श्रृंखला का करार पहले ही कर लिया है।'

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