समुंद्र में कैसे डूबी श्री कृष्ण की द्वारका नगरी? सागर में छिपे है कई राज

श्रीकृष्ण भगवान विष्णु का आठवां अवतार है। उनके नाना उग्रसेन ने मथुरा पर लंबे समय तक राज किया। कृष्ण ने राजकाज में उनकी सहायता की। जरासंध के बार-बार आक्रमण से कंस के ससुर को जनता की चिंता होने लगी थी।
 

Saral Kisan : श्रीकृष्ण भगवान विष्णु का आठवां अवतार है। उनके नाना उग्रसेन ने मथुरा पर लंबे समय तक राज किया। कृष्ण ने राजकाज में उनकी सहायता की। जरासंध के बार-बार आक्रमण से कंस के ससुर को जनता की चिंता होने लगी, इसलिए उन्होंने युद्ध से बचने के लिए पूरी मथुरा नगरी को समुद्र के बीच नई नगरी बनाई। द्वारका नगरी इसका नाम है। द्वारका नगरी कहा जाता है कि श्रीकृष्ण के अपने धाम जाने के बाद भी समंदर में डूब गई, और आज भी इसके अवशेष अरब सागर में हैं।

द्वारका खोज शुरू हुई कैसे

कहा जाता है कि इस नगरी में बहुत से द्वार थे, इसलिए इसका नाम द्वारका पड़ा। 1960 में आज के द्वारका शहर में एक घर को गिराने के दौरान एक गाय ने मंदिर का शीर्ष पाया। यहां खुदाई करने पर भगवान विष्णु के मंदिर के अवशेषों के साथ बहुत कुछ मिला। यहां शोध करने का निर्णय भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पूर्व महानिदेशक डॉ. शिकारीपुर रंगनाथ राव ने लिया। 1989 में समंदर के अंदर खोज करने पर कई ऐसे टुकड़े मिले कि लगता था कि कोई नगर डूबा होगा।

समंदर से क्या मिलता है

1989 में समंदर में खोज करते समय आयताकार बड़े-बड़े पत्थर मिले। इस स्थान पर अर्द्धचंद्राकार पत्थर भी पाए गए। ये सभी पत्थर लोगों ने तराशे थे। दीवारों के अवशेष मिले हैं। इसमें बहुत सारा चूना पत्थर पाया गया था। यह लगता था कि कुछ बनाने में इसका उपयोग किया गया होगा। यही नहीं, मिट्टी के बर्तन और सिक्के भी यहां से मिले। 2007 में फिस समंदर में खोज की गई थी। समुद्र की गहराई में पत्थर भी मिला है। एक पुरातत्ववेत्ता ने कहा कि जो चीजें समंदर से मिली थीं, वे करीब 2000 ईसा पूर्व की थीं।

भारतीय पुरातत्व विभाग के पूर्व एडीजी डॉक्टर आलोक त्रिपाठी ने बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि खोज के दौरान कई कलाकृतियां मिली हैं। कई रंगीन वस्तुएं भी मिली। 2007 में एक हाइड्रोग्राफिक सर्वे में, समंदर की बहाव ने दस मीटर की एक जगह में एक खंडहर भी खोजा था।

पुराणों में क्या कहा गया है -

श्रीमद्भागवत महापुराण में श्रीकृष्ण के पूरे जीवन की कहानी बताई गई है, साथ ही उनके गोलोकगमन की भी कहानी मिलती है। इसमें द्वारका भी बताया गया है। महाभारत भी द्वारका के बारे में बहुत कुछ कहता है। महाभारत में कहा गया है कि युद्ध के बाद कौरवों की माता गांधारी ने श्रीकृष्ण के वंश को मार डालना चाहा था। द्वारका नगरी भी समंदर में डूब गई, जिससे पूरा यदुवंश समाप्त हो गया। वहीं एक दूसरी कहानी में श्रीकृष्ण के पुत्र सांब ने गर्भवती स्त्री का रूप लेकर ऋषियों से बच्चे का भविष्य पूछा। इससे क्रोधित ऋषि ने पूरे यदुवंश को मार डाला।

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