कटिंग चाय से कैसे मिली आधी वंदे भारत ट्रेन की प्रेरणा, पढ़िए पूरी कहानी

हम-आप चाय अक्सर पीते हैं। यदि आप किसी ढाबे या चाय की दुकान पर खड़े होकर चाय की चुस्की लेते हैं, तो आपने शायद "कटिंग चाय" का नाम सुना होगा। यह मुंबई में बहुत प्रसिद्ध है।

 

दिल्ली: हम-आप चाय अक्सर पीते हैं। यदि आप किसी ढाबे या चाय की दुकान पर खड़े होकर चाय की चुस्की लेते हैं, तो आपने शायद "कटिंग चाय" का नाम सुना होगा। यह मुंबई में बहुत प्रसिद्ध है। आपको शायद कटिंग चाय से साधारण चाय में क्या फर्क होता है? वास्तव में, कटिंग चाय भी साधारण चाय है, लेकिन आधा का अर्थ है कटिंग। "एक कटिंग चाय दो" का अर्थ है "आधा कप चाय दो"। मुंबई में आधा कप कटिंग चाय बोला जाता है। चाय की कप की कीमत भी आधी है। दरअसल, बैचलर या विद्यार्थी कटिंग चाय बहुत प्यार करते हैं। वे कटिंग चाय पीते हैं क्योंकि वे बार-बार पूरा ग्लास चाय नहीं पी सकते।

वंदे भारत को क्यों "कटिंग चाय" कहा जाता है? आप सोच रहे होंगे कि वंदे भारत एक्सप्रेस को कटिंग चाय क्यों कहा जाता है? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल ही नौ वंदे भारत एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था। ये सभी, इंजन सहित नौवें वंदे भारत एक्सप्रेस के डिब्बों की संख्या आठ है। वंदे भारत में इंजन सहित डिब्बों की संख्या आम तौर पर 16 होती है। शुरू में वंदे भारत एक्सप्रेस में केवल 16 डिब्बे थे। लेकिन आज इस ट्रेन में सिर्फ आठ डिब्बे हैं। कल ही सभी आठ डिब्बों की वंदे भारत ट्रेन, यानी आधी ट्रेन, चलाई गई हैं। आधी ट्रेन और आधी चाय आधी चाय कटिंग चाय है। आधी ट्रेन कटिंग ट्रेन है।

लोगों को कटिंग चाय क्यों पसंद है?

चाय देश में दूसरा सबसे अधिक पीया जाने वाला पेय है। मीठा होने के कारण अधिक मात्रा में पीना शरीर को खराब कर सकता है। लेकिन चाय पीने की आदत वाले लोग दिन में पांच से छह बार चाय पीते हैं। यदि आप हर बार केवल आधा कप चाय पीते हैं, तो आपका मूड फ्रेश हो जाएगा और आपको कम मीठा खाना चाहिए। इस लाभ के कारण ही कटिंग चाय शब्द लोकप्रिय हुआ है। विद्यार्थी कटिंग चाय को पसंद करते हैं क्योंकि चाय के बहाने अड्डेबाजी होती है और आधा मूल्य देना पड़ता है। वर्तमान में, बड़े-बड़े रेस्टोरेंट भी आधा कप चाय लिखने की जगह कटिंग चाय लिखकर ग्राहकों को देने लगे हैं।

भारत को रेलवे क्यों पसंद है?

रेलवे को कटिंग वंदे भारत एक्सप्रेस चलाना चाहिए। 15 अगस्त 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से दिया गया भाषण को याद कीजिए। उन्होंने उसमें कहा कि स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने वाले हैं। इसके उपलक्ष्य में 75 वंदे भारत एक्सप्रेस देश भर में चलाए जाएंगे। उसने इसके लिए निर्धारित समय समाप्त हो गया है। रेलवे ने उसे नहीं पूरा किया। अब कोशिश की जा रही है कि अगामी आम चुनाव तक भारत से 75 वंदे निकाले जाएं। लेकिन यह लक्ष्य भी पूरा नहीं हो पाएगा अगर 16 डिब्बे की वंदे भारत ट्रेन चलाई जाएगी। क्योंकि इस ट्रेन का उत्पादन अभी पर्याप्त मात्रा में नहीं हो पा रहा है। ऐसे में रेलवे प्रशासन को आधी ट्रेन चलाना होगा।

भारत को छोटी वंदे से क्या हानि हुई?

वंदे भारत एक्सप्रेस के नाम पर आधी ट्रेनें चलाने से सिर्फ रेलवे को नुकसान हुआ है। वर्तमान में सामान्य मेल-एक्सप्रेस ट्रेनों में 22 से 24 डिब्बे होते हैं। ताकि अधिक पैसेंजर को स्थान मिल सके। रेलवे का पैसा भी बढ़ा। लोकप्रिय ट्रेनों में भी वेटिंग लिस्ट लगी रहती है। लोग RAC के लिए पूरा पैसा देने के बावजूद भी आधी सीट पर सफर करते हैं। ऐसे में, आठ डिब्बे की ट्रेन चलाकर रेल प्रशासन क्या संदेश देना चाहता है, यह स्पष्ट नहीं है। कितनी छोटी या बड़ी ट्रेन हो, उतना ही क्रू चाहिए। उतना ही ब्लॉक पाथ होगा। रेलवे को कम पैसेंजर ढोने से नुकसान होगा।

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