घर जैसा खाना दिल्ली NCR में मात्र 10 रुपए में भरपेट खाना, भूल नहीं पायेगे स्वाद

हम कहते हैं कि खाना घर का होना चाहिए, लेकिन घर से बाहर खाना 10 रुपये में मिल जाए तो क्या होगा? दिल्ली-एनसीआर से हरियाणा के पानीपत जिले में एक कैंटीन खुल गई है जहां 10 रुपये में लोग भरपेट खाना खा सकते हैं।
 

Saral Kisan : हम कहते हैं कि खाना घर का होना चाहिए, लेकिन घर से बाहर खाना 10 रुपये में मिल जाए तो क्या होगा? दिल्ली-एनसीआर से हरियाणा के पानीपत जिले में एक कैंटीन खुल गई है जहां 10 रुपये में लोग भरपेट खाना खा सकते हैं। वास्तव में, श्रम विभाग ने पानीपत के कुटानी रोड वर्मा चौक पर 10 रुपये में खाना खाने के लिए एक कैंटीन खोली है. इसमें ऑटो चालक, रिक्शा चालक, दिव्यांग व्यक्ति और अन्य श्रेणियों के मजदूर शामिल हैं। आपको हैरान हो जाएगा कि 10 रुपये की एक थाली में दो सब्जियां, चार रोटी और चावल मिलेंगे।

इतना ही नहीं, श्रम विभाग ने शुरू की गई इस योजना से ना सिर्फ 10 रुपये में गरीबों को भोजन मिलेगा बल्कि 10 से 15 लोगों को रोजगार भी मिलेगा। श्रम विभाग की इस योजना से दस महिलाओं का स्वयं सहायता समूह बनाया गया है। सभी दसवीं महिलाएं खाना बनाने से लेकर उसे परोसने तक का काम करती हैं। वहीं, यह महिला खुद राशन लाने का काम भी करती है।

600 से 700 लोग दैनिक भोजन कर रहे हैं

पूजा स्वयं सहायता समूह की सचिव रानी ने बताया कि सरकार की यह अच्छी योजना से न सिर्फ गरीबों को भोजन मिल रहा है, बल्कि घर बैठी महिलाओं को भी काम मिल रहा है। उनका कहना था कि थाली में चार रोटी चावल और दो सब्जियां हैं। उन्होंने कहा कि हम किसी को अतिरिक्त सब्जी की जरूरत नहीं होगी। उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत वे खाना खाने वालों से 10 रुपये लेते हैं और सरकार उन्हें 25 रुपये सहायता के रूप में देती है। उनका कहना था कि जब से उन्होंने यह कैंटीन शुरू की है, बहुत से लोग यहां खाने आ रहे हैं। पिछले कुछ दिनों से यहां हर दिन 600 से 700 लोग भोजन कर रहे हैं।

कैंटीन में खाना खाने से लोग खुश होते हैं

कैंटीन में भोजन करने पहुंचे एक कर्मचारी ने कहा कि यह कैंटीन योजना उनके लिए एक सौगात की तरह लगती है। उन्हें बताया गया कि पहले वह बाहर खाना खाने के लिए 50 से 60 रुपए प्रति व्यक्ति देते थे, लेकिन अब कैंटीन खुलने से उन्हें काफी बचत हो रही है और खाना भी अच्छा मिल रहा है। मजदूरों ने बताया कि महंगाई के दौर में उन्हें दो वक्त का खाना खाने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है और वे जो पैसा कमाते हैं उसे खाने के लिए भी बहुत मेहनत करनी पड़ती है। वह सिर्फ खाना खाता था, लेकिन इस कैंटीन के खुलने से वे काफी बचत कर रहे हैं। उनका कहना था कि ऐसी कैंटीन जगह-जगह खुलनी चाहिए और उनमें दो बार खाना मिलना चाहिए।

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