राजस्थान के इन दो जिलों के बीच बनेगा ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे, पेयजल योजना का बजट भी स्वीकृत हुआ  
 

Rajsthan News : राजस्थान के इन दो जिलों के बीच ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे का निर्माण करवाया जाएगा। इस ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे के निर्माण के बाद जालौर, झालावाड़ के अलावा आसपास के कई इलाकों में इसका सीधा फायदा पहुंचाने वाला है। 

 

Jalore-Jhalawar Green Field Expressway : राजस्थान के झालावाड़ से जालौर तक 498 किलोमीटर के इस ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे पर आपका सफर का समय आनंद के साथ आपको रिलैक्स करता हुआ निकलेगा । झालावाड़ से जालौर तक करीब 498 किलोमीटर की दूरी के लिए 403 करोड़ रुपए की लागत से झालावाड़ ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस-वे का निर्माण किया जाएगा। जालौर सहित आसपास के क्षेत्रों से भेड़ पालक झालावाड़ जिले में पहुंचते हैं। 

कई इलाकों को सीधा फायदा 

ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस-वे के निर्माण के बाद झालावाड़ से जालौर तक का रास्ता सुगम हो जाएगा। ग्रीन फील्ड वे का निर्माण हरे-भरे खेतों और खेतों के बीच होगा। यहां जमीन अधिग्रहण आसान है, जमीन समतल है और शहर से थोड़ा दूर होने के कारण भीड़भाड़ भी कम होती है। यहां तेज गति से वाहन चलाना आसान है। ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे शहरों के बीच कम ही निकाले जाते हैं, इसलिए इसमें मोड़ बहुत कम होते हैं।

करोड़ रुपए का बजट स्वीकृत

भवानीमंडी से भवानीमंडी शहर राजगढ़ पेयजल योजना से जोड़ने के लिए 22.91 करोड़ रुपए का बजट स्वीकृत किया गया है। भवानीमंडी, सुनेल सहित 14 गांवों के लोग पिपलाज बांध गंदी नदियों में शामिल पीने के पानी से मिलेगी राहत राजगढ़ बांध से भवानीमंडी, सुनेल सहित 14 गांवों के लोग पानी मुहैया कराया जाएगा। इसके लिए राजगढ़ झालरापाटन पेयजल लाइन पिपलाज से 8.50 किमी नई लाइन पंप हाउस तक बढ़ाई जाएगी।

चिकित्सा के क्षेत्र में जिले को बड़ी सौगात

राज्य बजट में चिकित्सा के क्षेत्र में जिले को बड़ी सौगात दी गई है। झालरापाटन स्थित सेटेलाइट अस्पताल को जिला अस्पताल में क्रमोन्नत किया गया है। इसी प्रकार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पिड़ावा व डग सीएचसी को उप जिला अस्पताल तथा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सांगरिया को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र व उप स्वास्थ्य केंद्र भीलवाड़ी को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में क्रमोन्नत किया गया है। इन अस्पतालों का दर्जा बढ़ने से मरीजों के लिए सुविधाएं भी बढ़ेंगी। झालरापाटन सेटेलाइट अस्पताल में आसपास के 150 से 200 गांवों के लोग इलाज के लिए आते हैं। जिला स्तर पर एक ही जिला अस्पताल होने से पूरे जिले व अन्य राज्यों के मरीजों का भार इसी अस्पताल पर पड़ रहा था।