Eye Health: बच्चे का हर समय मोबाइल से चिपके रहना गंभीर, आईबॉल का बदला आकार, मायोपिया का खतरा 
 

Myopia Management : COVID-19 महामारी ने बच्चों की पढ़ाई और नए तरीके सीखने के साथ-साथ उनके आँखों का भी आकार बदल दिया है। इसी कारण बच्चों को चश्मा जल्दी लग रहा है। 

 

Saral Kisan : दरअसल, बच्चों का ध्यान मोबाइल, कंप्यूटर, टीवी और अन्य चीजों पर बिताने वाला समय बढ़ गया है। बाहर बिताया गया समय तेजी से घट गया। इस बड़े बदलाव से बच्चों की आंखों का बनावट या एनाटॉमी ही बदल गया है। पढ़ाई, कंप्यूटर पर काम करना बेहतर करने के लिए उनकी आईबॉल फैल गई है। 

इस परिवर्तन की वजह से नजदीक की वस्तुएं तो एकदम स्पष्ट नजर आने लगती हैं, लेकिन दूर की चीजें धुंधली दिखती हैं। यह मायोपिया यानी निकट दृष्टिदोष की बीमारी का कारण बनती है। यानी दूर की चीजें देखने में दिक्कत की वजह से चश्मा लगाना पड़ाता है। रिपोर्ट के अनुसार, यूरोप से लेकर एशिया तक अलग-अलग अध्ययनों में इस बदलाव की पुष्टि हुई है। हांगकांग में महामारी से पहले के स्तर की तुलना में छह साल के बच्चों में इस समस्या में लगभग दोगुनी वृद्धि हुई है। 

कोविड के पहले तक जा रहा था कि मायोपिया की बीमारी दो गुना की दर से बढ़ रही है और 2050 तक मायोपिया दुनिया की आधी आबादी को प्रभावित करेगी। तमिलनाडु के तिरुनेलवेली में बाल भी नेत्र रोग विशेषज्ञ नीलम पवार कहतों हैं कि अब इसके तीन गुना तेजी से बढ़ने की आशंका है।

इस समस्या को रोकने का सबसे सरल समाधान है-बच्चों में अधिक से अधिक बाहरी गतिविधियां, क्योंकि बचपन में आंखों की संरचना में परिवर्तन होने की दर सबसे अधिक होती है। रोजाना अतिरिक्त एक घंटे आउटडोर एक्टिविटी भी मायोपिया की गति धीमी कर सकती है। हमें बच्चों को बाहर जाने के लिए प्रोत्साहित करना होगा।

ताइवान

ताइवान में 'तियान-तियान 120' कार्यक्रम से मायोपिया काबू पाने में मदद मिली थी। इसका अर्थ है हर 'प्रतिदिन 120'। रोज दो घंटे बाहरी गतिविधि को प्रोत्साहित किया गया। कैनबरा यूनिवर्सिटी के मायोपिया शोधकर्ता इयान मॉर्गन कहते हैं, लिए सरकारों को अपने शैक्षणिक एजेंडे में बदलाव करना होगा।