उत्तर प्रदेश के इस जिले में हर दूसरे पुरुष को है तंबाकू खाने की आदत, महिलाओं को भी लग गई लत

UP News : हाल ही में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक आपको बता दें कि गुटखा, पान मसाला और तंबाकू खाने में यूपी सबसे आगे है तो वहीं दूसरे नंबर पर बिहार और तीसरे पर मध्य प्रदेश है। उत्तर प्रदेश में हर चौथा पुरुष गुटखा और खैनी का लती है...
 

Saral Kisan, UP : गुटखा, पान मसाला और तंबाकू खाने में यूपी सबसे आगे है। दूसरे नंबर पर बिहार और तीसरे पर मध्य प्रदेश है। उत्तर प्रदेश में हर चौथा पुरुष गुटखा और खैनी का लती है। कानपुर में करीब-करीब हर दूसरा पुरुष इसका सेवन कर रहा है।

पान मसाला, तंबाकू, खैनी, गुटखा व सिगरेट को लेकर नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। 2022 में पुरुषों की अनुमानित जनसंख्या लगभग 12 करोड़ और महिलाओं की 11 करोड़ है। सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक 28 फीसदी पुरुष गुटखा-खैनी खा रहे हैं। यानी 3.40 करोड़ पुरुष इसके लती हैं। गुटखा खाने वाली महिलाओं की संख्या शहरों में तीन फीसदी तो ग्रामीण इलाकों में चार फीसदी है। इस हिसाब से 35 लाख महिलाएं भी शामिल हैं।

कानपुर में तो 46 फीसदी पुरुष सुबह-सुबह गुटखा दबा लेते हैं। खास बात ये है कि इस सर्वे में 15 से 49 वर्ष के लोगों को शामिल किया गया है। साफ है कि गुटखा खाने वाले लोगों की वास्तविक संख्या इससे कहीं ज्यादा है।

कानपुर में युवतियों में भी लगी लत

शहरों में जहां 44 फीसदी पुरुष और तीन फीसदी महिलाएं गुटखा-खैनी खा रही हैं, वहीं ग्रामीण इलाकों में इनकी संख्या 47 फीसदी और चार फीसदी है। कानपुर में 15 वर्ष और इससे ऊपर की 9.5 फीसदी महिलाएं तंबाकू खा रही हैं। गुटखा खाने वाले पुरुषों की संख्या 46.8 फीसदी है। एक फीसदी से कम महिलाएं कानपुर में शराब पी रही हैं जबकि पुरुषों की संख्या 15 फीसदी से ज्यादा है।

सिगरेट के दाम 40 फीसदी तक बढ़ने और कोरोना की वजह से कमजोर फेफड़ों ने सिगरेट की खपत को घटा दिया है। वर्ष 2015-17 में 44 फीसदी लोग एक दिन में 10 से ज्यादा सिगरेट पीते थे। वर्ष 2021 में ये संख्या घटकर पांच सिगरेट प्रतिदिन रह गई। शहरों में शराब पीने वाले 17 फीसदी हैं और ग्रामीण इलाकों में 14 फीसदी शराब पी रहे हैं। 13 फीसदी लोग रोजाना शराब पी रहे हैं। 44 फीसदी लोग एक हफ्ते में दो या इससे ज्यादा बार शराब पी रहे हैं।

जली उत्पादों की होली, रोक लगाने की मांग

विश्व तम्बाकू निषेध दिवस की पूर्व संध्या पर जन जागृति मंच ने तम्बाकू जनित उत्पादों की प्रतीकात्मक होली जलाई गई।

संस्था के अध्यक्ष विनोद मिश्रा ने कहा कि इस वर्ष की तंबाकू निषेध दिवस की थीम है पर्यावरण की सुरक्षा करें। तंबाकू के व्यवसाय में भारत अग्रणी देश कहा जा सकता है। विश्व में तंबाकू उत्पादन एवं प्रयोग में भारत का दूसरा स्थान है। इससे होने वाले दुष्प्रभाव के कारण इसकी बिक्री और उत्पादन पर रोक लगनी ही चाहिए। लेकिन तर्क ये है कि तंबाकू के व्यवसाय में लगभग तीन करोड़ लोगों को रोजगार मिला हुआ है। इससे काफी राजस्व की प्राप्ति भी होती है। जबकि राजस्व प्राप्ति से ज्यादा खर्च तंबाकू जनित पदार्थों से होने वाली बीमारियों पर खर्च हो जाता है। उन्होंने बताया कि 31 मई को कैंडल मार्च भी निकाला जाएगा। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से विनोद मिश्र, राम गोपाल द्विवेदी, सुमन मिश्रा, पूनम शर्मा, राजेंद्र गुप्ता रहे।

तंबाकू से देश में रोज मरते तीन हजार लोग

देश में तंबाकू से रोज तीन हजार लोग दम तोड़ रहे हैं। इससे 40 तरह के कैंसर व 25 अन्य बीमारियों का खतरा रहता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने संक्रामक बीमारियां घेर लेती हैं। यह बात तबाकू नियंत्रण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी ने कही।

एसीएमओ महेश कुमार ने कहा कि शुरू में युवा दिखावे के चक्कर में सिगरेट व अन्य तंबाकू उत्पादों की गिरफ्त में आ जाता है। बाद में इससे छुटकारा पाना कठिन हो जाता है। धूम्रपान करने वालों के फेफड़ों तक करीब 30 फीसदी ही धुआं पहुंचता है बाकी बाहर निकलने वाला करीब 70 फीसदी धुआं उन लोगों को प्रभावित करता है जो धूम्रपान नहीं करते हैं। यह धुआं (सेकेंड स्मोकिंग) सेहत के लिए और खतरनाक होता है। जिला सलाहकार निधि बाजपेयी के मुताबिक उर्सला में एनसीडी क्लीनिक में तंबाकू परामर्श केंद्र स्थापित किया गया है जहां पर तंबाकू छोड़ने के संबंध में निशुल्क परामर्श व दवाएं उपलब्ध कराई जाती हैं।

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