उत्तर प्रदेश में बैलों से तैयार हो रही बिजली, एक दिन में हो जाती है इतनी कमाई

Generation of Electricity from the Movement of Bulls : यूपी एक गांव में बैलों की चहलकदमी से बिजली तैयार की जा रही है। रिपोर्ट में पता चला है कि एक बैल से 500 रुपये की कमाई की जा सकती है।
 

Saral Kisan , UP : यहां बैलों की चहलकदमी से बिजली तैयार होती है। यह सुनने में थोड़ा चौंकाने वाला जरूर लगता है, लेकिन सच है। लखनऊ शहर से करीब 35 किमी दूर गोसाईंगंज जेल के पीछे सिद्धपुरा गांव स्थित श्री ग्राम धाम गोशाला में बैलों से बिजली का उत्पादन हो रहा है।

ट्रैक्टर के इस्तेमाल से बैलों की उपयोगिता जब खत्म हो गई तो इस गोशाला ने बैलों को बहुपयोगी बना दिया। एक बैल दिनभर में 500 रुपये की आय दे सकता है। ऐसा कर दिखाया है श्री ग्राम धाम गोशाला ने। एक लांच पैड पर बैलों की जोड़ी चहलकदमी करती है और जेनरेटर कुछ सेकेंड में 1500 आरपीएम (रिवोल्यूशन प्रति मिनट) तक घूमने लगते हैं। इससे इतनी बिजली पैदा होती है कि एक मिनट में पंप सेट 4 इंच का पानी देने लगता है। गोशाला में बिजली उत्पादन की इस तकनीक को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पेटेंट मिला है।

यह जानकर हैरानी होगी कि गोशाला का संचालन एक ऐसा पुलिस अफसर कर रहा है, जिसका नाम सेवा में रहते पूरा प्रदेश जानता था। एसटीएफ के डिप्टी एसपी पद से इस्तीफा देकर शैलेंद्र सिंह इन दिनों प्राकृतिक ऊर्जा और आर्गनिक खेती में बड़ा काम कर रहे हैं। सिद्धपुरा गांव की श्री ग्राम धाम गोशाला में आर्गनिक खेती और हरित ऊर्जा (ग्रीन एनर्जी) के क्षेत्र में बड़ा काम हो रहा है। गोशाला में ही एक फार्म हाउस है और ट्रेनिंग सेंटर भी। यहां 200 से ज्यादा गोवंश हैं। इनमें ज्यादातर गिरि और साहीवाल प्रजाति की गाय व बैल हैं।

बैलों से 5 किलोवाट प्रति घंटे बिजली उत्पादन शैलेंद्र सिंह ने बिजली उत्पादन की अपनी तकनीक विकसित की है। गोशाला में एक इलेक्ट्रिक जेनरेशन पैड तैयार किया है। पैड 30 डिग्री पर उठा हुआ है।

इस पर बैल की जोड़ी जब चलती है तो पैड में लगे रोलर घूमने लगते हैं। बैलों के सामान्य चाल से भी पैड रोलर घूमते हैं। इससे लगे जेनरेटर से बिजली उत्पादन शुरू हो जाता है। पैड रोलर पर ही बैलों के चारे की सुविधा है। बैल चारा खाते हुए जेनरेशन पैड पर चलते भी रहते हैं। दरअसल, बैल चलते नहीं बल्कि गुरुत्वाकर्षण के कारण लांच पैड चलता है तो उसके साथ बैल खुद को रोकने के लिए आगे पीछे होते हैं।

कुछ सेकेंड में 1500 आरपीएम की गति पकड़ लेता है इंजन

बात जेनरेटर तक ही सीमित नहीं है। गुरुत्वाकर्षण के साथ टार्क को जोड़ देने से इंजन की गति तेज हो जाती है और 1500 आरपीएम (रिवोल्यूशन प्रति मिनट) तक घूमते हैं। जेनरेटर सिस्टम के साथ लगा मोटर कुछ सेकेंड में इतनी स्पीड पकड़ लेता है कि चार इंच का पानी निकलने में एक मिनट से भी कम समय लगता है। यही इस तकनीक की विशेषता है।

तकनीक को अंतरराष्ट्रीय पेटेंट मिला शैलेंद्र सिंह ने बताया कि बिजली उत्पादन की तकनीक को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मानकों पर पेटेंट मिल चुका है। ग्रेविटी के साथ टार्क से जोड़ने की तकनीक का पेटेंट हासिल किया है। इससे 125 केवीए बिजली उत्पादन कर रहे हैं। जेनरेटर में लगे क्रेंक एक मिनट में 1500 बार ऊपर नीचे होते हैं। इससे 415 वोल्ट तक बिजली उत्पादन किया जा सकता है। अभी बिजली उत्पादन में 8 बैल लगते हैं, प्रति बैल पांच किलोवाट बिजली उत्पादन कर रहे हैं। आने वाले समय में प्रति बैल 10 किलोवाट बिजली उत्पादन तकनीक पर काम कर रहे हैं।

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