MP में बुजुर्गों को अब नही मिलेगी 600 रुपए हर महीना पेंशन, सरकार ने उठाया ये बड़ा कदम

MP Latest News : मध्य प्रदेश में राज्य सरकार ने 'इंदिरा गांधी वृद्धावस्था पेंशन योजना' से जुड़े एक लाख से अधिक बुजुर्गों की 600 रुपए प्रतिमाह पेंशन बंद कर दी है।
 

MP Latest News : मध्य प्रदेश में राज्य सरकार ने 'इंदिरा गांधी वृद्धावस्था पेंशन योजना' से जुड़े एक लाख से अधिक बुजुर्गों की 600 रुपए प्रतिमाह पेंशन बंद कर दी है। उन्हें अपात्र बनाते हुए आदेश जारी किया गया है कि अब ये बुजुर्ग खुद ही दोबारा आवेदन करें और साबित करें कि वे पेंशन के पात्र हैं।

सामाजिक न्याय विभाग का कहना है कि जब आधार नंबर के अनुसार नाम, उम्र, लिंग और पता के साथ प्रोफाइल अपडेट किया गया तो वे अपात्र हो गए। अभी तक उन्हें उम्र की पुष्टि का प्रमाण पत्र, 60 वर्ष से अधिक आयु, बीपीएल कार्ड और तीन फोटो के आधार पर ही पेंशन मिलती थी। अब आधार के अनुसार उन्हें सभी दस्तावेजों के साथ दोबारा आवेदन करना होगा। जिन जिलों में सबसे अधिक बुजुर्गों की पेंशन बंद की गई है, उनमें दिग्विजय सिंह का राजगढ़, कमल नाथ का छिंदवाड़ा, बालाघाट, बड़वानी, पन्ना, सतना जैसे जिले शामिल हैं। इसका असर भोपाल और इंदौर पर भी पड़ा है।  

किस योजना में कितनी पेंशन बंद की गई?

इंदिरा गांधी वृद्धावस्था पेंशन योजना सामाजिक सुरक्षा वृद्धावस्था पेंशन योजना मुख्यमंत्री सामाजिक सुरक्षा योजना इंदिरा गांधी राष्ट्रीय विधवा पेंशन योजना मुख्यमंत्री अविवाहित पेंशन योजना सामाजिक सुरक्षा परित्यक्ता पेंशन योजना, एसएसपी विकलांग शिक्षा प्रोत्साहन योजना 3, बहु विकलांगता 

प्रदेश में 56.5 लाख पेंशन धारक

जिनकी पेंशन बंद की गई है, उन्हें हर साल 600 रुपए दिए जाएंगे। रुपए में मिलने वाली पेंशन 86 करोड़ रुपए थी। वर्तमान में प्रदेश में 56.5 लाख पेंशन धारक हैं। हर महीने इनके खाते में पेंशन के जरिए 340 करोड़ रुपए जमा होते हैं। करीब 1500 पेंशन धारक ऐसे हैं, जो सामाजिक सुरक्षा से 600 रुपए और लाडली ब्राह्मण योजना से 650 रुपए समेत कुल 1250 रुपए हर महीने ले रहे थे। उनकी भी पेंशन बंद हो गई है।  
पात्र व्यक्ति की पेंशन रोकी गई तो अधिकारी जिम्मेदार

विभाग को आशंका है कि जिन बुजुर्गों की पेंशन रोकी गई है, वे सीएम हेल्पलाइन या जनसुनवाई में शिकायत कर सकते हैं। विभाग ने फील्ड स्टाफ को अलर्ट किया है कि अगर कोई बुजुर्ग शिकायत करता है कि वह पात्र है और उसे अपात्र घोषित कर दिया जाता है तो ऐसी स्थिति में नगरीय निकायों के अधिकारी जिम्मेदार होंगे।