क्या आप जानते हैं  डीजल के  पौधे के बारे में, इसकी खेती करके किसान कमा रहे है लाखों

जेट्रोफा की खेती के लिए उष्णकटिबंधीय जलवायु की जरूरत होती है। इसके साथ ही इसकी खेती के लिए एक ऐसे खेत की आवश्यकता होती है जहां पानी का निकासी अच्छे से हो।
 

Saral Kisan: जेट्रोफा की खेती के लिए उष्णकटिबंधीय जलवायु की जरूरत होती है। इसके साथ ही इसकी खेती के लिए एक ऐसे खेत की आवश्यकता होती है जहां पानी का निकासी अच्छे से हो। यह पौधा शुष्क क्षेत्रों में उत्तम रूप से उगता है।

अब तक आपने सामान्य परंपरागत फसलों की खेती करते देखी होगी और कुछ किसानों को सब्जी की खेती करते देखा होगा। लेकिन अब आप किसानों को डीजल की खेती करते देखेंगे। ऐसा तो इस पौधे का नाम जेट्रोफा है, लेकिन आम भाषा में इसे डीजल का पौधा कहा जाता है। इस पौधे के बीजों से बायोडीजल निकला जाता है और किसानों को इसके बेहतर मूल्य मिलता है।

जेट्रोफा की खेती के लिए उष्णकटिबंधीय जलवायु की जरूरत होती है। इसके साथ ही इसकी खेती के लिए एक ऐसे खेत की आवश्यकता होती है जहां पानी का निकासी अच्छे से हो। यह पौधा शुष्क क्षेत्रों में उत्तम रूप से उगता है। यानी राजस्थान, उत्तर प्रदेश के कुछ इलाके और मध्य प्रदेश के कुछ इलाकों में इसकी खेती बेहतर तरीके से होती है।

जेट्रोफा के पौधे को सीधे खेत में नहीं लगाया जाता है, सबसे पहले इसकी नर्सरी लगाई जाती है फिर इसके पौधों को खेत में लगाया जाता है। इसकी खेती के साथ सबसे अच्छी बात यह होती है कि एक बार इसे खेत में लगा दिया जाए तो यह तीन से चार वर्षों तक फसल देता है।

जेट्रोफा के पौधे से डीजल के बनने की प्रक्रिया बहुत सघन होती है। सबसे पहले जेट्रोफा के पौधे के बीजों को फलों से अलग किया जाता है, फिर इन्हें अच्छे तरीके से साफ किया जाता है। उन्हें एक मशीन में डाला जाता है जहां से इसका तेल निकलता है। यह प्रक्रिया उसी तरह होती है जैसे सरसों से तेल निकालने की होती है।

डीजल-पेट्रोल की बढ़ती कीमतों के कारण भारत सहित पूरी दुनिया में इसकी मांग बढ़ती जा रही है। भारत सरकार भी इसकी खेती में किसानों की मदद कर रही है। अगर भारतीय किसान इसकी खेती करते हैं और इसे बड़े पैमाने पर उत्पादित करते हैं तो यह उन्हें पारंपरिक फसलों के मुकाबले ज्यादा मुनाफा देगी।

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