दिल्ली की शराब यूपी और राजस्थान से सस्ती, लेकिन क्यों है हरियाणा से महंगी, समझे पूरा गणित

गोवा की लोकप्रियता सिर्फ उसके सुंदर समुद्र तटों की वजह से नहीं है। वहाँ शराब की कीमत भी काफी कम है। इसका कारण यह हैं की बाकी जगहों से कम कर हैं। गोवा देश में शराब पर सबसे कम टैक्स वसूलने वाले राज्यों में से एक है।

 

दिल्ली: गोवा की लोकप्रियता सिर्फ उसके सुंदर समुद्र तटों की वजह से नहीं है। वहाँ शराब की कीमत भी काफी कम है। इसका कारण यह हैं की बाकी जगहों से कम कर हैं। गोवा देश में शराब पर सबसे कम टैक्स वसूलने वाले राज्यों में से एक है। पड़ोस के कर्नाटक में शराब पीना जेब को बहुत नुकसान पहुंचाता है। देश में शराब पर कर्नाटक सरकार सबसे अधिक कर वसूलती है। नतीजतन, वहाँ देश में शराब की कीमतें भी सबसे अधिक हैं। यदि स्पिरिट (विस्की, रम, वोदका, जिन) की एक बोतल गोवा में 100 रुपये में मिलती है, तो कर्नाटक में यह 513 रुपये तक होगा। विभिन्न राज्यों की लागत का यह गणित क्या है? क्या शराब की दरों का फॉर्म्युला है? देखें विभिन्न राज्यों में शराब की लागत का अनुपात।

किस राज्य में शराब पर कितना टैक्स लगाया जाता है?

MRP पर गोवा में 49 फीसदी टैक्स लगाया जाता है। हरियाणा में शराब के MRP पर 47 प्रतिशत कर लगता है। दिल्ली सरकार शराब के MRP पर 62 फीसदी कर वसूलती है। महाराष्ट्र में यह दर 71 फीसदी है, जबकि कर्नाटक में 83 फीसदी है। यदि आप शराब की कीमतों के पीछे फैक्टर्स की ओर देखेंगे तो विदेशी उत्पादों पर आयात शुल्क एक समान है। लंबे समय से विदेशी कंपनियां इम्पोर्ट ड्यूटी को 150 फीसदी तक कम करने की मांग करते आए हैं। विदेशी प्लेयर्स यूके और यूरोपियन यूनियन के साथ ट्रेड एग्रीमेंट्स का रास्ता भी खोज रहे हैं ताकि टैरिफ में कमी आए।

लोकल करों का शराब की कीमतों पर कितना असर

शराब की एक बोतल का मूल्य देशव्यापी टैक्स के चलते काफी अलग हो सकता है। जैसे, दिल्ली में ब्लैक लेबल की एक बोतल लगभग 3,100 रुपये में मिलेगी। इसी बोतल को मुंबई में चार हजार रुपये तक खरीदना होगा। Interstate smuggling बहुत अच्छा है क्योंकि कीमतों में इतना बड़ा अंतर है।

शराब की कीमतें हर जगह समान नहीं हैं क्यों?

GST लागू होने के बाद अधिकांश उत्पादों और सेवाओं का क्षेत्राधिकार कम हो गया। GST, हालांकि, पेट्रोलियम और शराब को छोड़ दिया गया। इसलिए प्रत्येक राज्य इन पर टैक्स वसूलता है। राजधानी के वित् त मंत्रियों को फायनेंस पर अधिक नियंत्रण नहीं है, इसलिए वे GST से बाहर वाले इनकम स्रोतों पर जोर देते हैं।राज्य सरकारें शराब, पेट्रोल, डीजल और संपत्ति करों से पैसा कमाती हैं। GST को शराब पर लागू करने की चर्चा फिलहाल चल रही है, लेकिन पेट्रोलियम उत्पादों पर नहीं। इसका अर्थ है कि आम लोगों को अभी शराब की कीमतों में यह बदलाव स्वयं भुगतान करना होगा।