Delhi Metro : घरों व पुरानी बिल्डिंग को न हो नुकसान, DMRC सुरंग खुदाई का इस तरह होगा काम

दिल्ली मेट्रो के अंडरग्राउंड टनल बनाने के लिए खुदाई करते वक्त टनल बोरिंग मशीनों से पैदा होने वाले वाइब्रेशन के चलते इन मकानों को कोई नुकसान न पहुंचे, यह सुनिश्चित करने के लिए डीएमआरसी इस बार एक नई तकनीक अपनाने जा रही है।

 

Delhi Metro : मेट्रो के फेज-4 में जनकपुरी वेस्ट से रामकृष्ण आश्रम मार्ग के बीच बन रहे नए मेट्रो कॉरिडोर (new metro corridor) के अंडरग्राउंड सेक्शन पर डेरावल नगर से पुल बंगश के बीच मेट्रो की सुरंग बनाने का काम शुरू होने वाला है। चूंकि इस पूरे इलाके में कई सारे पुराने मकान हैं, ऐसे में अंडरग्राउंड टनल बनाने के लिए खुदाई करते वक्त टनल बोरिंग मशीनों से पैदा होने वाले वाइब्रेशन के चलते इन मकानों को कोई नुकसान न पहुंचे, यह सुनिश्चित करने के लिए डीएमआरसी (DMRC) इस बार एक नई तकनीक अपनाने जा रही है। काम के दौरान इमारतों की स्थिति की निगरानी के लिए एक अत्याधुनिक रियल टाइम वेब आधारित मॉनिटरिंग मैकेनिज्म का इस्तेमाल (Use of monitoring mechanism) किया जाएगा, ताकि इन इमारतों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

तीन नए अंडरग्राउंड स्टेशन बनेंगे

डीएमआरसी के प्रधान कार्यकारी निदेशक अनुज दयाल ने बताया कि डेरावल नगर और पुल बंगश के बीच डेरावल नगर, घंटाघर और पुल बंगश इलाके में तीन नए अंडरग्राउंड मेट्रो स्टेशंस बनाए जाने हैं। ये तीनों इलाके बेहद भीड़भाड़ और घनी आबादी वाले हैं और यहां अनगिनत ऐसी इमारतें हैं, जो सदियों पुरानी हैं। इनमें से कुछ इमारतें बहुत अच्छी स्थिति में नहीं हैं। ऐसे में अगले महीने जब यहां सुरंग खोदने का काम शुरू होगा, तब इन इमारतों की स्थिति पर मेट्रो प्रशासन को लगातार निगरानी रखनी होगी। हालांकि, डीएमआरसी ने इससे पहले पुरानी दिल्ली के इलाकों में भी वॉयलेट और येलो लाइनों के निर्माण के वक्त इसी प्रकार की कठिन चुनौतियों का सामना करते हुए सफलतापूर्वक निर्माण कार्य पूरा किया था। उस दौरान भी चौबीसों घंटे इमारतों की मॉनिटरिंग की जाती थी।

रियल टाइम मॉनिटरिंग सिस्टम का इस्तेमाल

इस बार पूरी तरह डिजिटाइज रियल टाइम मॉनिटरिंग सिस्टम का इस्तेमाल किया जाएगा, जिसमें एक क्लिक पर तुरंत सारी जानकारी मिल जाएगी। इसके लिए ऑटोमैटिक टोटल स्टेशन, वाइब्रेशन सेंसर, टिल्ट मीटर, लोड सेल जैसे स्मार्ट गैजेट्स का इस्तेमाल किया जाएगा, जो चौबीसों घंटे रियल टाइम डेटा जमा करके उसे लगातार डेटा एक्विजिशन सिस्टम (डीएएस) को ट्रांसमिट करते रहेंगे। इसकी मदद से निर्माण कार्य से जुड़े सभी स्टेकहोल्डर्स को एसएमएस और ई-मेल के जरिए जरूरी रिपोर्ट तैयार करके भेजी जा सकेगी। जैसे ही टनलिंग का काम शुरू होगा, इस सिस्टम के जरिए पुरानी इमारतों की मॉनिटरिंग शुरू कर दी जाएगी और सारा डेटा चौबीसों घंटे मोबाइल/डेस्कटॉप के माध्यम से कस्टमाइज सॉफ्टवेयर पर उपलब्ध होगा।

8 जगहों पर होगी मॉनिटरिंग

रियल टाइम मॉनिटरिंग की शुरुआत आठ अलग-अलग स्थानों से की जाएगी, जो डेरावल नगर, घंटाघर, नबी करीम, पुल बंगश और सदर बाजार क्षेत्र में फैले हुए हैं। इन जगहों पर ये उपकरण लगाने का काम शुरू किया जा चुका है, जो रियल टाइम डेटा को सॉफ्टवेयर तक पहुंचाएंगे। डीएमआरसी के अधिकारियों का मानना है कि यह वेब आधारित मिकैनिज्म इस सेक्शन पर सुरक्षित तरीके से सुरंग का निर्माण करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।

खतरा हुआ तो टीबीएम भी कर देगी अलर्ट

एक अन्य पहल के तहत डीएमआरसी इस बार अपनी सभी टनल बोरिंग मशीनों (टीबीएम) को भी बोर टनलिंग इलेक्ट्रिकल अहेड मॉनिटरिंग (बीईएएम) सिस्टम से लैस कर रही है। अगर रास्ते में आगे अचानक कहीं कोई पानी से भरा कुआं, गीली मिट्टी का ढेर या जलकूप आने वाला होगा, तो यह सिस्टम टीबीएम के कटरहेड के फेस से 20 मीटर पहले ही उसका पता लगाकर अलर्ट कर देगा और इसकी रियल टाइम जानकारी दे सकेगा। ऐसे में खुदाई करते वक्त जमीन के धंसने की संभावना को काफी कम किया जा सकेगा और उसे रोकने के लिए पहले से ही उचित इंतजाम करके आगे सुरक्षित तरीके से खुदाई की जा सकेगी। फेज-4 में तीनों नई लाइनों पर लगभग 28 किमी लंबे नए अंडरग्राउंड कॉरिडोर्स का निर्माण किया जाएगा। ये इंजीनियरिंग के लिहाज से अपने आप में एक बड़ी चुनौती होगी। ये भूमिगत कॉरिडोर सदर बाजार, नबी करीम और दक्षिणी रिज के महरौली-बदरपुर रोड के भीड़-भाड़ वाले रिहायशी और कमर्शल क्षेत्रों से होकर गुजरने वाले हैं। डीएमआरसी ने अभी तक जनकपुरी वेस्ट और कृष्णा पार्क एक्सटेंशन के बीच 2.2 किमी लंबे अंडरग्राउंड सेक्शन का निर्माण कार्य पूरा कर लिया है।