Bihar Railway : बिहार में सबसे पुराना रेलवे स्टेशन, रुकती है 125 से अधिक ट्रेन

आज राज्य के लगभग हर हिस्से में रेलवे सेवाएं उपलब्ध हैं, लेकिन बिहार में इसकी शुरुआत मुगलसराय से पटना, किउल और झाझा के रास्ते हावड़ा तक ट्रैक बिछाने से हुई थी।
 

Saral Kisan - आज राज्य के लगभग हर हिस्से में रेलवे सेवाएं उपलब्ध हैं, लेकिन बिहार में इसकी शुरुआत मुगलसराय से पटना, किउल और झाझा के रास्ते हावड़ा तक ट्रैक बिछाने से हुई थी।तब भी पटना ही बिहार का सबसे महत्वपूर्ण स्थान था, लेकिन अब यह पटना नहीं है। पटना का सबसे पुराना रेलवे स्टेशन 162 साल पुराना है। इसके बहुत बाद वर्तमान पटना जंक्शन बनाया गया था।

यह रेलवे स्टेशन कैसे बनाया गया?

इस स्टेशन को पटना स्टेशन के रूप में 1861 में ब्रिटिश काल में नामांकित किया गया था। दानापुर-लखीसराय रेलखंड की स्थापना 1862 में हुई। 1867 में फतुहा-दानापुर रेलवे लाइन को दोहराया गया। पटना साहिब स्टेशन को पहले बेगमपुर स्टेशन भी कहा जाता था। राकेश कुमार यादव बताते हैं कि कुछ समय तक यह स्टेशन बांकीपुर नाम से भी जाना जाता था। पटना जंक्शन, जो बाद में गया रेलवे लाइन से जोड़ा गया था, वर्ष 1939 में बनाया गया था। इसके बाद पुराने पटना स्टेशन का नाम बदलकर पटना सिटी किया गया।

सरदार बूटा सिंह के रेल मंत्री रहते हुए नाम बदल दिया

10वें गुरु की जन्मस्थली होने के कारण पटना नगर का नाम बदलकर पटना साहिब कर दिया गया। सरदार बूटा सिंह इंदिरा गांधी सरकार में रेल मंत्री थे। कई लोगों का मानना है कि उनके प्रयास से ही इस स्टेशन का नाम पटना साहिब दिया गया था।

125 से अधिक ट्रेन यहाँ ठहरती हैं

यह वर्तमान में पूर्व-मध्य रेलवे का दानापुर डिवीजन का स्टेशन है। पटना साहिब पटना के छह बड़े रेलवे स्टेशनों में से एक है। पटना साहिब स्टेशन पंडित दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन रूट से दिल्ली-कोलकाता मेन लाइन को जोड़ता है। प्रतिदिन यहां 125 से अधिक ट्रेनें आते हैं। इस स्टेशन पर हर दिन लगभग पांच लाख लोग आते हैं।

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