UP में बिजली उपभोक्ताओं के लिए बड़ी राहत, स्मार्ट प्रीपेड मीटर खर्च की वसूली नहीं कर पाएंगी बिजली कंपनियां
UP News : उत्तर प्रदेश में बिजली उपभोक्ताओं के लिए राहत भरी खबर सामने आ रही है. प्रदेश में अब बिजली उपभोक्ताओं के ऊपर किसी भी प्रकार का कोई वित्तीय बाहर नहीं डाला जाएगा. बिजली कंपनियों को उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने साफ-साफ हिदायत दी है।
Uttar Pradesh News : उत्तर प्रदेश में बिजली उपभोक्ताओं के लिए बड़ी अपडेट सामने आई है। बिजली कंपनियां अब प्रदेश में स्मार्ट मीटर के लिए बिजली उपभोक्ताओं पर किसी भी प्रकार का वित्तीय भार नहीं डाल सकेंगी। बिजली कंपनियों को उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने स्पष्ट आदेश दिया है.
बिजली महंगी नहीं होगी
प्रदेश में बिजली कंपनियां बिजली की चोरी की रोकथाम कर विद्युत राजस्व वसूली बढ़ाने के साथ-साथ अपनी दक्षता के माध्यम से अधिक कमाई करके स्मार्ट मीटर की वित्तीय भार को स्वयं उठाना होगा. बिजली उपभोक्ताओं के लिए उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने महत्वपूर्ण निर्णय लिया है. अब बिजली कंपनियां बिजली मीटर के खर्चे की भरपाई के एवज में ना बिजली महंगी कर सकेंगे और नहीं ही उपभोक्ताओं से किसी भी प्रकार की कोई वसूली कर सकेगी.
सभी उपभोक्ताओं के घर लगाए जाएंगे स्मार्ट मीटर
केंद्रीय सरकार की संशोधित वितरण क्षेत्र योजना के माध्यम से प्रदेश में बिजली कंपनियों को बिजली उपभोक्ताओं के यहां पर स्मार्ट मीटर लगाने हैं। केंद्र सरकार की तरफ से इसके लिए 18884 करोड रुपए की अनुदान राशि दी गई है. बिजली कंपनियों ने जिस कीमत से मीटर की खरीद की है, उससे मीटर का संभावित कुल खर्च 27342 करोड़ तक पहुंच गया है. जब उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद को यह भनक लगी तो उपभोक्ता से 45% ज्यादा खर्च की भरपाई की जानी है तो नियामक आयोग का दरवाजा खटखटाया गया.
परिषद की लंबी लड़ाई रंग लाई
परिषद की लंबी मेहनत के बाद शुक्रवार को आयोग ने स्पष्ट रूप से कहा कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर योजना पर किसी भी खर्च की भरपाई उपभोक्ताओं से नहीं की जाएगी। कंपनियां बिजली दर, वार्षिक राजस्व आवश्यकता (ARR) या ट्रूअप के माध्यम से उपभोक्ताओं पर लगभग 8,498 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च नहीं कर सकतीं।
केंद्र सरकार ने पहले ही कहा है कि उपभोक्ताओं पर मीटर का बोझ न डाला जाए, क्योंकि योजना को आत्मनिर्भर मानते हुए अतिरिक्त धनराशि देने से मना कर दिया गया है। बिजली कंपनियां अपनी विद्युत राजस्व वसूलने की क्षमता बढ़ाकर अतिरिक्त खर्चों को स्वयं भरें।