हरियाणा में यहां रखा है एशिया का सबसे बड़ा हुक्का! एक बार में आधा किलो चिलम का होता है उपयोग

Haryana News :  हुक्का हरियाणा की आन बान शान है। जाट इसे अपनी संस्कृति का अहम हिस्सा मानते हैं। हर जाट के घर में आपको हुक्का जरूर देखने को मिलेगा चाहे उनके घर कोई पीता हो या ना हो। क्योंकि जब गांव में किसी के घर कोई मेहमान आता है तो उसे हुक्का भरकर दिया जाता है। हुक्के के बिना जाट को कोई महत्व नहीं है। आज हम आपको हरियाणा के सबस बड़े हुक्के के बारे में बताने वाले हैं।
 

Haryana : हुक्का, हरियाणा की लोक संस्कृति का सबसे अहम हिस्सा है, हरियाणा में चर्चा चाय पर नहीं, हुक्के पर होती है. और अगर आप भी हुक्के के शौकीन हैं तो ये खबर आपके लिए अहम हो सकती हैं, जी हां आपको बता दें कि एशिया का सबसे बड़ा हुक्का कुरूक्षेत्र की जाट धर्मशाला में रखा गया है. ये धर्मशाला कोई आम धर्मशाला नहीं बल्कि एशिया की सबसे बड़ी धर्मशाला है.

इस हुक्के की खासियत यह है कि इस हुक्के की चिलम इतनी बड़ी है कि एक बार में आधा किलो से ज्यादा सामग्री का प्रयोग चिलम में किया जाता है. इतना ही नहीं चिलम को जलाने के लिए करीब 8 से 10 उपलों का उपयोग होता है. इतना ही नहीं एशिया का सबसे बड़ा हुक्का होने के साथ-साथ इस हुक्के पर देवी-देवताओं और क्रांतिकारी महापुरुषों की तस्वीरें भी लगी हुई है.जो कि इस हुक्के को और भी अलग बनती है.

क्या है इस हुक्के का इतिहास

जानकारी के अनुसार 9 दिसंबर 2009 में ये विशाल हुक्का उचाना जींद निवासी चौधरी साधू राम गिल के द्वारा जाट धर्मशाला में भेंट के तौर पर दिया गया था. चौधरी साधू राम गिल अपने माता-पिता की याद में एशिया की सबसे बड़ी धर्मशाला जाट धर्मशाला में कुछ अलग और अनोखा भेंट करना चाहते थे.

काफी सोचने के बाद उनके मन में हुक्का भेंट करने के बारे में विचार आया . उसके बाद गिल ने 20-25 कारिगरों से इस हुक्के को बनवाया. 80 हजार की लागत से बना ये हुक्का एक साल में बनकर तैयार हुआ था.इतना ही नहीं इस हुक्के में लोगों के मनोरंजन के लिए एक हॉर्न भी लगा हुआ है जो कि लोगों को अपनी ओर और भी ज्यादा आकर्षित करता है.

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