RBI के आंकड़ों के अनुसार यूपी में व्यापारिकों का बढ़ा विश्वास, UP फिर बना नंबर वन
Saral Kisan - विधानसभा के मानसून सत्र में नेता विरोधी दल अखिलेश यादव ने वन ट्रिलियन इकानमी के उद्देश्य का मजाक उड़ाते हुए सरकार से इसके मार्गदर्शन पर सवाल उठाया था। बाद में मुख्यमंत्री योगी ने खड़े होकर विपक्ष के प्रत्येक प्रश्न का चुन-चुनकर उत्तर दिया। RBI का अगस्त 2023 का बुलेटिन आलोचकों को करारा जवाब देता है। बुलेटिन में दिए गए आंकड़ों से पता चलता है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सुशासन, जो उत्तर प्रदेश को सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाने में लगे हैं, पर देश भर के निवेशकों और सभी राष्ट्रीय बैंकों और वित्तीय संस्थाओं का पूरा विश्वास है और यह भरोसा हर साल बढ़ता जा रहा है।
अगस्त 2023 के आरबीआई बुलेटिन के अनुसार, बैंकों और वित्तीय संस्थाओं द्वारा स्वीकृत परियोजनाओं की कुल लागत हिस्सेदारी में उत्तर प्रदेश एक बार फिर सभी राज्यों से आगे है। 2022-23 में उत्तर प्रदेश, बैंकों और वित्तीय संस्थाओं द्वारा स्वीकृत परियोजनाओं की कुल लागत हिस्सेदारी में 16.2 प्रतिशत के साथ लगातार दूसरे वर्ष नंबर वन पर रहा है।
करीब 12 प्रतिशत की वृद्धि हुई
2017 में उत्तर प्रदेश की सत्ता संभालने के बाद सीएम योगी ने राज्य में लॉ एंड ऑर्डर, इंफ्रास्ट्रक्चर, कनेक्टिविटी और उद्योगों की स्थापना के लिए इकनॉमिक रिफॉर्म्स का दौर शुरू किया है, जो आरबीआई की ताजा रिपोर्ट में स्पष्ट है।
2020–13 से 2021–2021 तक हिस्सेदारी का औसत प्रतिशत 4.4 था। इसके बाद पिछले दो वर्षों में बैंकों और वित्तीय संस्थाओं द्वारा स्वीकृत परियोजनाओं की कुल लागत हिस्सेदारी में बड़ा सुधार हुआ है।
2021-22 में बैंकों और वित्तीय संस्थाओं द्वारा स्वीकृत परियोजनाओं की कुल लागत में उत्तर प्रदेश का हिस्सा 12.8 प्रतिशत था, जो अन्य राज्यों की तुलना में सर्वश्रेष्ठ था और इस मामले में पहला स्थान भी था। 2021-22 से 2022-23 के बीच इस हिस्सेदारी में सिर्फ एक वर्ष में 3.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
बैंकों द्वारा प्रदेश की परियोजना लागत में हिस्सेदारी 2013-14 से 2020-21 के बीच 11.8 प्रतिशत बढ़ी है। यह मुख्यमंत्री योगी के सुशासन और आर्थिक मामलों के प्रति उनकी दूरदृष्टि को दिखाता है।
यूपी में अन्य राज्यों की तुलना में नियमित वृद्धि का ट्रेंड रहा
यह रिपोर्ट बैंकों और वित्तीय संस्थाओं से एकत्र किए गए परियोजनाओं के वित्त पोषण संबंधी आंकड़ों और एक्सपर्ट्स के कैलकुलेशन पर आधारित है, जिससे एक और बात स्पष्ट होती है कि उत्तर प्रदेश में बैंकों और वित्तीय संस्थाओं द्वारा स्वीकृत परियोजनाओं की कुल लागत हिस्सेदारी लगातार बढ़ी है।
2013-14 से 2020-21 के मध्य औसत 4.4 प्रतिशत के बाद 2021-22 में 12.8% से होकर 2022-23 में 16.2% पर पहुंच गया है। यानी उत्तर प्रदेश में निवेशकों और परियोजनाओं से लगातार सहयोग मिलता रहा है।
अन्य राज्यों में यह वृद्धि अनियमित है। किसी राज्य में एक वर्ष में अचानक वृद्धि हुई तो 2013-14 से 2020-21 के मध्य और 2021-22 व 2022-23 में आंकड़ों में काफी गिरावट आई। कुछ राज्यों में तो विकास की बजाय गिरावट हुई है।
गुजरात में 2013-14 से 2020-21 के बीच औसत हिस्सेदारी 14.3 प्रतिशत थी, लेकिन 2022-23 में यह 14 प्रतिशत है। यानी 0.3 प्रतिशत की गिरावट ओडिशा में 2013-14 से 2020-21 के बीच औसत 4.5 प्रतिशत की हिस्सेदारी 2021-22 में घटकर 2.2 प्रतिशत हो गई।
2022-23 में इसमें अचानक वृद्धि हुई और 11.8 प्रतिशत हो गई। महाराष्ट्र भी 2013-14 से 2020-21 के बीच औसतन 13 प्रतिशत से 2021-22 में 9.7 और 2022-23 में 7.9 प्रतिशत पर पहुंच गया है, जबकि कर्नाटक में औसतन 8.5 प्रतिशत से 2021-22 में 6.9 और 2022-23 में 7.3 प्रतिशत पर पहुंच गया है। अन्य राज्यों में हिस्सेदारी का प्रतिशत भी 2013-14 से 2020-21 के बीच औसत 9.4 से घटकर 2021-22 में 4 और 2022-23 में 5.5 पर पहुंच गया है।
CM योगी के नेतृत्व में वृद्धि
विगत छह वर्षों में योगी सरकार ने सुशासन को बेहतर करने, कारोबारी निर्णय लेने में तेजी लाने, कारोबारी सुगमता को बढ़ाने और मौजूदा नियमों को प्रभावी ढंग से लागू करने के प्रयासों से राज्य में औद्योगिक परियोजनाओं को शुरू करने का मौका मिला है।
इन्हीं प्रयासों ने फरवरी में हुई ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में 36 लाख करोड़ रुपए के निवेश प्रस्ताव प्राप्त किए। बहुत से निवेशक उत्तर प्रदेश में अपनी परियोजनाओं को शुरू करने के लिए उत्सुक हैं। साथ ही, इन उद्यमों की आर्थिक आवश्यकताओं को देखते हुए बैंकों और वित्तीय संस्थाओं का उत्साह बढ़ा है और वे तेजी से परियोजनाओं को धन दे रहे हैं। यह हिस्सेदारी, ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में प्राप्त निवेश प्रस्तावों के धरातल पर उतरने के साथ, और भी नए प्रतिमान स्थापित करेगी और सीएम योगी के वन ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी के संकल्प को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
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