उत्तर प्रदेश में यहां बिछेगी 81 किलोमीटर की नई रेल लाइन, 8 नए स्टेशन भी बनेगें

इन सड़कों का रेल लाइन को बचाने के लिए हाइड्रोलिक कैलकुलेशन सबसे अधिक जरूरी होता है। सर्वे में हाइड्रोलिक कैलकुलेशन पूरा कर लिया है। इसके साथ-साथ जिन स्थानों से रेल मार्ग बिछाया जाएगा वहां का भूमि परीक्षण भी कर लिया गया है।
 

Dehradun-Saharanpur Rail Line : देहरादून से सहारनपुर जाने के लिए चल रही रेल लाइन परियोजना के काम में तेजी देखने को मिल रही है। इस रेलवे लाइन का निर्माण शाकंभरी देवी होते हुए किया जाएगा। इस रेलवे लाइन के निर्माण के लिए पहाड़ी और मैदानी इलाकों में अत्याधुनिक तकनीक वाले ड्रोन लिडार से सर्वे किया गया है। सर्वे के आधार पर प्रस्तावित रेल मार्ग पर एलाइनमेंट निर्धारण किया जा चुका है। इस पूरे रूट में आठ स्टेशनों को प्रस्तावित किया गया है।

रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव ने इस परियोजना की घोषणा लोकसभा चुनाव से पहले की थी। इस पर योजना के तहत रेल लाइन का सर्वे करवाने के लिए 2.3 करोड़ का फंड भी जारी करवाया था। प्रोजेक्ट की डीपीआर 18 महीने में तैयार करने के आदेश दिए गए थे। प्रोजेक्ट की डीपीआर बनने के बाद जल्द ही रेल ट्रैक बिछाने के लिए निविदा आमंत्रित की जाएगी।

पहले फेस में बिछेगी 40 किलोमीटर रेल लाइन

देहरादून से सहारनपुर का सफर करने के लिए हरिद्वार से होकर जाना पड़ता है। नई रेल लाइन बनने के बाद इन दोनों शहरों के बीच की दूरी 112 किलोमीटर से घटकर 81 किलोमीटर रह जाएगी। इस सफर को मात्र डेढ़ घंटे में पूरा किया जा सकेगा। पहले फेस में सहारनपुर से शाकंभरी देवी तक 40 किलोमीटर की रेल लाइन का निर्माण किया जाएगा।

दूसरे फेस में शाकंभरी देवी से देहरादून के हरावाला तक 41 किलोमीटर की रेल लाइन बिछाई जाएगी। शिवालिक की पहाड़ियों से होकर गुजरने वाले इस रेल मार्ग में 11 किलोमीटर लंबी टनल बनाई जाएगी और 106 छोटे-बड़े पुल होंगे।

जमीन का परीक्षण रहा सफल

इन सड़कों का रेल लाइन को बचाने के लिए हाइड्रोलिक कैलकुलेशन सबसे अधिक जरूरी होता है। सर्वे में हाइड्रोलिक कैलकुलेशन पूरा कर लिया है। इसके साथ-साथ जिन स्थानों से रेल मार्ग बिछाया जाएगा वहां का भूमि परीक्षण भी कर लिया गया है। शिवालिक की पहाड़ियों और मैदानी इलाकों से लिए गए सैंपल में किसी प्रकार का अवरोध नहीं पाया गया है।

क्या है ड्रोन लिडार तकनीक

रेल मंत्रालय ने बताया कि पहले के समय में पहाड़ी इलाकों में बड़े सर्वे के लिए हेलीकॉप्टर या विमान का इस्तेमाल किया जाता था। ड्रोन लीडर तकनीक एक रिमोट सेंसिंग तकनीक होती है। प्रकाश का उपयोग इसमें पल्स लेजर के रूप में किया जाता है। लिडार तकनीक से किसी भी जगह का सर्वेक्षण लेजर उपकरणों के माध्यम से होता है। इसमें जीपीएस और स्कैनर भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। एक जीपीएस को एक ड्रोन और एक सर्वेक्षण स्थल पर लगाया जाता है।

इस तकनीक के द्वारा पृथ्वी के स्तर पर लेजर किसने डाली जाती है और प्रकाश के वापस लौटने में लगने वाले समय की गणना करके दूरी का पता लगाया जाता है। इस तकनीक से मानचित्र तैयार करके उसके गहराई चौड़ाई तथा प्रवाह संबंधी पूरी जानकारी प्राप्त की जाती है।

सहारनपुर लोकसभा सांसद ने बताया कि रेल मंत्री ने देहरादून से सहारनपुर वाया शाकंभरी देवी रेल लाइन बिछाने की घोषणा की थी। इस रेल लाइन को बचाने के बाद यूपी से उत्तराखंड की दूरी काफी कम हो जाएगी। उन्होंने कहा कि वह रेल मंत्री से मुलाकात करके अनुरोध करेंगे की रेल लाइन का कार्य तेजी से किया जाए।

मुरादाबाद मंडल के सीनियर डीसीएम आदित्य गुप्ता ने बताया कि देहरादून शाकंभरी देवी सहारनपुर रेल लाइन में काफी काम किया जा चुका है। फाइनल लोकेशन का सर्वे करके रेल लाइन से लेकर रेलयार्ड में सभी जरूरी निर्माण के लिए स्थान को चिन्हित किया गया है। इसी से रेल ट्रैक का एलाइनमेंट तय किया जाएगा।