Haryana में मौजूद 4 ऐसे गांव, जहां नहीं रहता एक भी इंसान,

Haryana News :हरियाणा में ऐसे 4 गांव हैं जो कागज़ों में हैं और उनके पास ज़मीन भी बहुत सारी है पर उन गांवों में कोई नहीं रहता,  कौनसे है ये गांव और क्या है इनके सुनसान होने की वजह
 

Haryana News : दुनिया में आबादी तेजी से बढ़ रही है. भारत इस वक्त दुनिया में जनसंख्या के आंकड़ों में नंबर एक पर है. चीन को पीछे छोड़कर भारत पहले पायदान पर आया है. इस तरह की खबरों के बाद क्या आ सोच सकते हैं कि भारत में कोई ऐसा गांव भी होगा, जिसमें आबादी ही न हो और वो एक नहीं चार गांव. लेकिन सोहना के चार गांवों में एक इंसान भी नहीं रहता. यहां की आबादी शून्य है. सरकार के राजस्व विभाग के रिकॉर्ड में इन चारों गांवों को बेचिराग घोषित किया गया है.

आज की भागदौड़ की जिंदगी में जहां लोगों को रहने के लिए जगह मिलनी भी मुश्किल है, वहीं सोहना ब्लॉक में आज 4 गांव ऐसे हैं, जहां जमीन तो है लेकिन आबादी शून्य है. ये सुनने में बड़ा अजीब लग रहा है, लेकिन सोलह आने सच है. सैकड़ों सालों से इन गांवों में आज तक आबादी बसी ही नहीं. हजारों एकड़ ज़मीन पर सिर्फ खेती होती है. राजस्व विभाग के रिकॉर्ड में इन चार गांवों को बेचिराग गांव घोषित किया गया है. ब्लॉक में 4 गांव खोबरी, जलालपुर, पुलावास, रोजका गुर्जर जलालपुर को बेचिराग गांव के रूप में जाना जाता है.

क्या होता बेचिराग गांव?

सोहना ब्लॉक के चार गांव आज भी बेचिराग हैं. यूं कहें कि इन चार गांवों में चिराग जलाने वाला कोई नहीं है. इन गांवों की जमीन तो है पर आबादी नहीं है. इसी वजह से प्रशासन ने इन गांवों को बेचिराग घोषित किया हुआ है. कहने या सुनने में तो यह अजीब लगता है कि गांव के गांव खाली हैं. इन गांवों की ज़मीन पर दिन के समय में आस-पास के गांव के लोग अपनी खेती करने के लिए हरा चारा लेने के लिए आते हैं, लेकिन शाम को आसपास गांव में अपने घर चले जाते हैं. लेकिन इस सैकड़ों एकड़ जमीन पर कोई आबादी नहीं है.

गांव का नाम पर आबादी नहीं

अगर खोबरी गांव की बात की जाए तो इस गांव की करीब 196 हेक्टेयर जमीन है. वहीं जलालपुर में 142 हेक्टेयर जमीन है. इसी तरह रोज का गुर्जर में पहाड़ी इलाका है और हजारों एकड़ जमीन है जो कि दमदमा झील के बिल्कुल नजदीक है. पुलावास में 130 हेक्टेयर जमीन बताई जाती है. जिस पर मात्र खेती की जाती है. राजस्व विभाग के रिकॉर्ड में इन्हें बेचिराग गांव घोषित किया हुआ है, लेकिन यहां पर मात्र ज़मीन पर खेती की जाती है. इन गांवों की जमीन राजस्व विभाग के रिकॉर्ड में है और उनका नाम भी दर्ज है. लेकिन आबादी नहीं है.

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