धान की 3 ऐसी किस्में जो बाढ़ में भी नहीं होंगी खराब, मिलेगा बढ़िया उत्पादन
Saral Kisan: खरीफ फसलों में धान (Paddy/Rice) का अपना एक मुख्य स्थान है। इस बार मानसून ने कई राज्यों में अधिक बारिश से बाढ़ के हालात पैदा कर दिए तो कहीं कम बारिश से सूखे जैसी स्थिति बन रही है। ऐसे हालातों में किसानों की फसलों को काफी नुकसान हो रहा है।
हाल ही में हरियाणा और पंजाब में अत्यधिक बारिश से बाढ़ की स्थिति बन गई और इससे धान और चारा फसल को काफी नुकसान पहुंचा है। अत्यधिक बारिश के कारण धान की फसल पानी में बह गई जिससे किसान दुबारा धान की रोपाई (Transplantation of Paddy) करने पर मजबूर हैं। वहीं चारा फसलों में हुए नुकसान से भविष्य में पशुओं के चारे का संकट बन जाएगा।
इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए कृषि वैज्ञानिकों ने कुछ ऐसी धान की फसलों को इजाद किया है जो बाढ़ के हालातों का सामना करने में सक्षम हैं। धान की ये किस्में बाढ़ के कारण खेत में भरे अत्यधिक पानी में भी डूबती नहीं है। इन किस्मों में बाढ़ से नुकसान होने की कम ही संभावना होती है।
आज हम आपको धान की ऐसी टॉप 3 किस्मों (Top 3 Varieties of Paddy) की जानकारी दे रहे हैं जो बाढ़ में भी खराब नहीं होती है। ये किस्में बाढ़ को सहन करने की क्षमता रखती है, ऐसे में अब आपकी फसल बाढ़ से खराब नहीं होगी। तो आइये जानते हैं, इन टॉप तीन बाढ़ प्रतिरोधी किस्मों के बारे में।
धान सह्याद्रि पंचमुखी किस्म (Paddy Sahyadri Panchmukhi Variety)
धान की सह्याद्रि किस्म बाढ़ रोधी किस्म है। इस किस्म की खासियत यह है कि ये किस्म लगातार 8 से 10 दिन तक बाढ़ का सामना कर सकती है। इस धान की खेती (Paddy Farming) के लिए अधिक पानी की आवश्यकता होती है। इस किस्म को आंचलिक कृषि एवं बागवानी अनुसंधान स्टेशन ने वर्ष 2019 में विकसित किया था। इस किस्म के पौधे अधिक पानी से गलते नहीं है और इसके चावल की क्वालिटी पर भी कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। यह किस्म रोपाई के बाद 130 से 135 दिन में तैयार हो जाती है। इतना ही नहीं, यह किस्म धान की अन्य किस्मों के मुकाबले 26 प्रतिशत तक अधिक पैदावार देती है।
धान स्वर्णा सब 1 किस्म (Paddy Swarna Sub 1 Variety)
धान की स्वर्णा सब 1 किस्म भी बाढ़ प्रतिरोधी किस्म है। इस किस्म के धान के पौधे 14 से 17 दिन तक पानी में डूबे रहने के बाद भी खराब नहीं होते हैं। यह किस्म आंध्र प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय की ओर से विकसित की गई थी। यह एक अर्द्ध बौनी किस्म है तथा सीधी बुवाई करने पर 140 दिन में पक जाती है। जबकि इस किस्म की रोपाई करने पर यह 145 दिन में पककर तैयार होती है। इसका दाना मध्यम पतला होता है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में धान स्वर्णा सब -1 किस्म से औसतन प्रति हैक्टेयर 1 से 2 टन तक का अधिक लाभ होता है।
धान हीरा किस्म (Paddy Diamond Variety)
धान की इस किस्म का विकास भागलपुर स्थित बिहार कृषि विश्वविद्यालय के क्षेत्राधीन वीर कुंवर सिंग कृषि महाविद्यालय, डुमरांव के वैज्ञानिक डॉ. प्रकाश सिंग व उनकी टीम ने किया। इस किस्म की खास बात यह है कि यह किस्म बाढ़ के पानी में 15 दिनों तक डूबी रहने के बाद भी खराब नहीं होती है। इस किस्म की पैदावार धान की अन्य किस्मों से ज्यादा होती है।
धान की अन्य बाढ़ प्रतिरोधी किस्में
उपरोक्त किस्मों के साथ साथ धान की दो प्रतिरोधी किस्में और है जिन्हें असम कृषि अनुसंधान विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा विकसित किया गया है। यह दो किस्में क्रमश: रंजीत सब-1 (Ranjit SAB-1) और बहादूर सब-1 (Bahadur Sub-1) है। यह दोनों ही किस्में बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है। बता दें कि असम में विभिन्न क्षेत्रों में बाढ़ आने से धान की फसल (Paddy Crop) बर्बाद होती है। ऐसे में इस क्षेत्र के लिए विशेष रूप से धान की इस किस्म की बुवाई की जाती है।
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