MP से गुजरात के बीच बिछेगी 201 किलोमीटर की नई रेल लाइन, कई जिलों को पहुंचेगा तगड़ा फायदा
 

MP News : मध्य प्रदेश के इंदौर दाहोद रेल लाइन को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। इंदौर धार के बीच रेल लाइन की सबसे बड़ी बांदा अब दूर होने वाली है। आने वाले दिनों में इंदौर से मुंबई के बीच 55 किलोमीटर की दूरी कम होने वाली है। 

 

Madhya Pradesh News : मध्य प्रदेश के इंदौर से लेकर मुंबई तक अब सफर आसान होने वाला है। बता दें कि इस रेलवे लाइन का काम पिछले 6 वर्ष से चालू है। इंदौर दाहोद रेल लाइन की सबसे बड़ी बाधा अब हट चुकी है. बता दें कि इस रेलवे लाइन पर प्रीतमपुर के समीप 2.9 किलोमीटर लंबी सुरंग निर्माण कार्य पूरा होने के बाद दोनों सिरे अब तैयार करके खुल चुके हैं।

अब इस सुरंग में  खास प्रकार की पटरिया बिछाई जाएगी. इस रेलवे लाइन का निर्माण कार्य पूरा होते ही इंदौर से लेकर मुंबई की दूरी 55 किलोमीटर कम हो जाएगी। मौजूदा समय में इंदौर से मुंबई के बीच रेल लाइन की दूरी 829 किलोमीटर है. अब लोगों को सफर कम समय में कम लागत में मैं पूरा हो जाएगा। फिलहाल, इंदौर से मुंबई की ट्रेन रतलाम से गुजरात के दाहोद तक जाती है। इस नए रेलवे मार्ग से मालगाड़ी भी मुंबई और मप्र के औद्योगिक शहर पीथमपुर से गुजरात और महाराष्ट्र तक चल सकेगी।

काफी सालों से चल रहा है निर्माण कार्य 

इंदौर दाहोद रेलवे प्रोजेक्ट को वर्ष 2007 में स्वीकृति मिली थी। उसे समय इसकी लागत राशि 700 करोड रुपए थी। बिना काम चल ही इसकी लागत बढ़ती चली गई. रेलवे बोर्ड की तरफ से साल 2012 में 1640 करोड रुपए इस प्रोजेक्ट के लिए मंजूर किए गए. इंदौर से दाहोदा रेल लाइन की लंबाई 201 किलोमीटर है. साल 2008 में इस प्रोजेक्ट को दूसरी बार मंजूरी मिली थी. मौजूदा समय में इस रेलवे प्रोजेक्ट पर 1680 करोड रुपए से ज्यादा की लागत है. इस रेलवे लाइन पर इंदौर से टीही के बीच 21 किलोमीटर का निर्माण कार्य चल रहा है और दमोह से कठवाड़ा के बीच 16 किलोमीटर का निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया है.

2.9 किलोमीटर लंबी सुरंग

2007 में इंदौर-दाहोद रेल योजना की मंजूरी हुई थी। तब इसकी लागत सात हजार करोड़ रुपये थी, लेकिन काम नहीं हुआ और खर्च बढ़ा। 2012 में रेलवे बोर्ड ने 1640 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट मंजूर किया था। इंदौर से पीथमपुर, धार, सरदारपुर से दाहोद तक एक रेलवे लाइन बनाई जा रही है। इस परियोजना की सबसे बड़ी चुनौती थी टीही के पास 2.9 किलोमीटर लंबी सुरंग।

रुक रुक कर चल रहा हैं कार्य 

धीमी गति से चला इसका निर्माण कार्य।  इससे सुरंग में पानी भर गया और काम रुक गया। सुरंग का काम पिछले वर्ष फिर से शुरू हुआ। सुरंग का पानी निकालने में ही तीन महीने लग गए। सुरंग को खुदाने में रेलवे ने तीन लाख किलोग्राम विस्फोट सामग्री का उपयोग किया। 30 से अधिक मशीनों के साथ 24 घंटे तक सुरंग बनाने का काम किया गया, ताकि वर्षाकाल में सुरंग में फिर से पानी भर न सके। सुरंग के दोनों सिरे खुलने के बाद यह समस्या अब नहीं रहेगी। रेलवे अधिकारियों ने बताया कि अब सुरंग में बेसाल्ट से भरा ट्रैक बिछेगा।

नहीं हुआ गिट्टी का प्रयोग 

इस ट्रैक में गिट्टी नहीं है। इस विशिष्ट ट्रैक को बार-बार मरम्मत की आवश्यकता नहीं होती। ट्रैक बिछाने से टनल में सिग्नल और विद्युत सेवाएं भी होंगी। इस कार्य पर पांच सौ करोड़ रुपये खर्च होंगे। यह अगले वर्ष पूरा हो जाएगा। सुरंग की ऊंचाई छह मीटर है। यह सुरंग जमीन से 20 मीटर नीचे बनाई गई है, ताकि मालगाड़ियों को ट्रैक पर अधिक चढ़ाई नहीं करनी पड़े।