Delhi के इस इलाके में लगेंगे 2 बायोगैस CNG प्लांट, हर दिन 900 टन कचरे का होगा प्रयोग

Delhi : दिल्ली नगर निगम (MCD) ने दिल्ली में दो बायोगैस-सीएनजी प्लांट लगाने की योजना बनाई है। ये प्लांट दिल्ली के नंगली सकरावती और नरेला में लगाए जाएंगे। इन प्लांटों को लगाने का उद्देश्य दिल्ली से कचरे का निपटान करना और शहर में वायु प्रदूषण को कम करना है।

 

Saral Kisan  NEWS : राजधानी में अब सीएनजी गैस को तैयार किया जा सकेगा। इसके लिए अगले वर्ष दिल्ली नगर निगम (Delhi Municipal Corporation) की ओर से दो नए बायोगैस-सीएनजी प्लांट (Biogas-CNG Plant) को तैयार करते हुए शुरू कर दिए जाएंगे। ओखला में जून 2024 तक 20 एकड़ के क्षेत्र में और नरेला के घोघा में 5 एकड़ से अधिक जमीन पर दिसंबर 2024 तक कुल दो नए बायोगैस-सीएनजी प्लांट (Biogas-CNG Plant) स्थापित हो जाएंगे। निगम के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि दिल्ली में पहली बार बायोगैस-सीएनजी प्लांट (Biogas-CNG Plant) अगले वर्ष बनकर तैयार हो जाएंगे। इसके बाद, तीन नए बायोगैस-सीएन प्लांट को तैयार करने की योजना भी बनाई गई है। (breaking news)

2024 में तीन बायोगैस प्लांट हो जाएंगे तैयार

विभिन्न कंपनियों के साथ भी इन प्लांट के निर्माण के लिए साझेदारी की गई है। इसके मद्देनजर, निगम ने बायोगैस-सीएनजी प्लांट (Biogas-CNG Plant) के लिए इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड के साथ भी साझेदारी की है। इसके अलावा, अगले वर्ष 2024 में तीन जगहों पर बायोगैस प्लांट भी बनकर तैयार हो जाएंगे।

हर दिन 900 टन से अधिक गीले कचरे का होगा निस्तारण

निगम के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार वर्ष 2030 तक, तीन बायोगैस-सीएनजी प्लांट तैयार करने के लिए निगम ने योजना बनाई। इसके लिए केंद्रीय आवासीय और शहरी मामलों के मंत्रालय और दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) को कई एकड़ जमीन उपलब्ध कराने की मांग करते हुए पत्र लिखे गए है। दोनों की तरफ से निगम को सकारात्मक प्रतिक्रिया भी मिली है। इसमें उम्मीद है कि निगम को आने वाले समय में कई एकड़ जमीन उपलब्ध होगी।

22.4 एकड़ जमीन की जरूरत

निगम के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि 300 टन गीले कचरे व कूड़े से बायोगैस-सीएनजी प्लांट तैयार करने के लिए 5 से 7.5 एकड़ जमीन की जरूरत होती है। इसके मद्देनजर तीनों नए बायोगैस-सीएनजी प्लांट के लिए 15 से 22.4 एकड़ जमीन की आवश्यकता होगी।

हर दिन 900 टन से अधिक गीले कचरे का निस्तारण

इन तीनों नए बायोगैस-सीएनजी प्लांट के तैयार होने से हर दिन 900 टन से अधिक गीले कचरे का निस्तारण उससे बायोगैस-सीएनजी गैस बनाई जा सकेगी। उन्होंने बताया कि वेस्ट टू एनर्जी प्लांट की तुलना में बायोगैस-सीएनजी प्लांट के लिए ज्यादा जमीन की जरूरत होती है। तहखंड में वेस्ट टू एनर्जी प्लांट 15 एकड़ जमीन पर बना है और इसमें दो हजार मीट्रिक टन कूड़े को संसाधित किया जाता है।

100 टन गीले कचरे से बनती है चार हजार किलो कंप्रेस बायोगैस

वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बायोगैस प्लांट से 100 टन अलग किए गए गीले कचरे से 4 हजार किलो कंप्रेस बायोगैस और सीएनजी गैस बनकर तैयार होती है। निगम के बायोगैस-सीएनजी प्लांट में संसाधित भी हर दिन 100 टन से 4 हजार किलो कंप्रेस बायोगैस व सीएनजी गैस बनाई जाएगी। वर्ष 2024 में दो नए बायोगैस-सीएनजी प्लांट से 400 टन गीले कचरे से 16 हजार किलो हर दिन कंप्रेस बायोगैस व सीएनजी गैस बनाने की योजना है।

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